पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४३२

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गुरूपदेश-मुर्गाव नहीं। पाणिनीय सूत्रभो इन्हींके मतका ममर्थना करता इस जिलेके मध्य प्रवाहित हो कर नजफगड नामक है। (म निरिणे । पा२।२।१०) केयटके मतसे-जिम स्थान झोलमें परिणत हो गये हैं। यह भीन्न गुर्गा व मदरसे पर निर्यमाण, निरिणका कारण और जिमसे निद्धारण रोहतक और दिल्ली जिला तक विस्त त है। यहांके नौके किया जाता है ---इन तीनोंका उल्लेख रहता है, वहाँ निकटवर्ती बारह ग्रामोंक कूपका जल लवणात है तथा निरिगामें वहित षष्ठोका ममाम नहीं होता : किन्तु इन रोहतकके निकटवतो नजफगड़ झोलक ममोप भी जलमे सोनोंके न रहने पर हो जाता है। (केयर) लवण प्रस्तुत किया जाता है इम पहाड़क दसिणके जेमे--'मनुष्याणां हिजः श्रेष्ठः' इम जगह निर्वाय- भागमें लोहे की खान है जिल्लाकै दक्षिण फिरोजपुरम माण हिज, निरिणका कारण श्रेष्ठत्व और जिममे नि - एक समय लोह गलानका कारग्वाना था। अन्यान्य रण किया गया है वह अर्थात् मनुष्य, इन तीनोंका खनिज धातुमें तवा, मौमा ,गरूमट्टी, हरताल प्रभात उल्लेख है, इमलिये षष्ठो ममाम नहीं हुआ। किन्तु पाये जाते हैं। पश्चिम ओर पहाडके नीचे एक झरणा गुरूत्तम आदिमें तोनीका उल्लेख नहीं होने के कारण वहां है जिसका जल गन्ध कमिश्रित है। वात, क्षत तथा षष्ठी और मामो तत्पुरुष ये दोनों ममाम हो मकते हैं। दूमरे दूमर चम रोगों के लिय यह जल बहुत उपकागे गुरुपदेश ( म० पु०) गुरोरुपदेशः, -तत । गुरुका है। इम जिलेमें जङ्गल अधिक नहीं पाया जाता है, परन्तु वाक्य, गुरुका उपदेश । पहाड़ के ऊपर वाघ, चीता, हरिण, नीलगाय, शृगाल गुरूपामना ( मं० स्त्रो० ) गुरोरुपामना, ६-तत् । गुरुको पोर खरगोम प्रभृति जन्तु देखे जाते हैं। सेवा। इम जिलेके प्राचीन इतिहामक विषय विशेष पता गुरेट (हिं० पु. ) एक तरहका बलन जिममे कड़ाहमें नहीं चलता है । मुमलमान इतिहाममें दूम जिलेका पकता हुआ ईखका रम चलाया जाता है। यह लगभग नाम 'म वात' अर्थात् म व जातिका वामस्थान कह कर चार या पॉच हाथ के डटेमें लगा रहता है। उल्लिखित है । अभी भी गुर्गावके अधिवामियोम म व गुरेरा (हिं० पु. ) गम्तमा देखो। जातिकी संख्या ही अधिक है। दिल्ली में जब मोगल, गुर्गाव (गुडगाँव ) पञ्जावके छोटे नाटके अधीन एक प्रभाव जाज्वल्यमान था, तब य म व दस्यु के दलम जिला । यह असा. २७३८ मे २८३३ उ. और ७६ दिल्ली के प्राचीर तक आकर लट पाट किया करते थे । ये १४ से ७७३४ पू०में अवस्थित है। भूपरिमाण १६४५ पहाड़ों में इस तरह छिप कर रहते थे कि मोगल मम्राट वर्गमौन है। इसके उत्तरमें रोहतक, पश्चिम और दक्षिण- किमी उपायसे उन्हें दमन नहीं कर मकत थे । १८०३ में अलवर, नाभा और झिन्द राज्य, दक्षिणमें मथुरा में लोड लक को जयके बाद यह जिला गरजांक जिला, पूर्व में यमुना नदी और उत्तरपूर्वमें दिल्ली जिल्ला अधिकारमें आया। हो । गुर्गा व नगरमें जिलेको मदर अदालत है। परन्तु १८३८ ई० मे हम जिन्नेको अधिक उन्नति हुई है। जलेका रेवाड़ो नामक स्थान हो वाणिजाके लिये परन्तु दस्युका उत्पात और दुईर्ष राजपूत जातिका अत्या प्रधान है। चार आज भी नहीं गया है। पहले भरतपुरके राजाने दो छोटे पहाड़ जिले के दक्षिगासे ले कर बरावर उत्त- जिलेको ममम्त जमीन इजारे पर लगा दो, वाद १८०४ रको ओर समतल क्षेत्र तक फैले हुए हैं। इसके पश्चिममें ईमें भरतपुर युद्धको गड़बई ममस्त वन्दोवस्त एक और पहाड़ है जिमने अलवर राजाको स्वतन्त्र कर बन्द हो गया। रखा है। इस पहाड़की एक शाखा दिल्ली तक चली गई रेवाडोके निकट भरवा जातिके मैनिकावाममें पहले है। दोनों पहाड़ोंमेंसे एक भी ६.० फुटसे अधिक ऊंचा इमी जिलेको मदर अदालत थी, बाद १८२१ ई०में यह न होगा। यहांको जमीन वालुकामय है। कहीं कहीं उठकर गुर्गाव नगरको चलो गई। १८३२ ई०में यह पहाड़ भी है । पार्य तोय छोटे छोटे असंख्य जलस्रोत जिला तथा दिल्लीका अधिकांश उत्तर-पत्रिम गवर्मेण्टके विगा