पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४३९

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गुलाब या गुलाबफल गुलाब, या गुलाबक ल -स्वनाम प्रसिद्ध गक पुष्पविशेष। हिमालय प्रदेशमें ममुद्रपृष्ठसे ४५०० मे १०५.. गुलाबके संस्कृत नाम-शतपत्री और पाटलि; पारब- फीट ऊंची जगहम एक तरहका ग लाच ( Rose Ma- बग्द: पारमो--गुल, चीन-यिमि, मियांबे, मुदकाई-ब्बा, crophylla) पटा होता है। इसका फल जब कोचोन चान होयाहुङ-तो, ग्रीक गेड्रोन, रुष-रोजा, | कर काला हो जाता है. तब लोग उसे खाया करते हैं। ओलन्दाज-रुम् अङ्गारेजी-गेज ( Rose: ); मलय-| यह खाने में बड़ा मधुर और मोठा होता है। भवर, तामिल-गुल्लाप्प, तेलङ्ग-रोजायुवो, गुलपवौ । पञ्जाबमें ओर हिमालयमे ५०००से ८५०० फोट Rose Centifolia वा मिरिया देशका गन्नाव-वत। ऊचो जमोनमें Bos. inbbian नामका गुलाब होता मंस्कृत भाषाम इसे शतपत्री, हिन्दी में करम कल या कठ है। इसका भी फल खानम मोठा और प्रादग्नीय होता ग लाव और अजीम केब्बंजरोज Cabbage Rose) | कहते हैं। यरोपमें, भारतमें सर्वत्र, पारस्य और चीन | फल और बीज बेचनवानांक सूचीपत्र में अब सैकड़ों देशमें इमको पंदायश होती है। हमी फ ल ग लाब तरह गुलाबांक नाम देवन में आते हैं। उनमे (१) का अतर और एसेन्म बनता है। भारतमें इमो फलमे | नमोरा वा पारम्य देशका उत्पन्न एक तरहका गुलाब, 'गलकन्द' बनता है। गलकन्द खानमें अत्यन्त सुस्वादु (२) स्थायोगन्ध दामास्क जातीय, (३ ) स्थायोगन्ध, और पित्त शान्त करता है। मथजातीय (इङ्गल्ने गडम डम फलका विशेष आदर है), इमक पानीको गुलाब जल कहते हैं। हम फूलको मधुर (४) व दंशका गुलाब, ( ५ ) चीनिया गुलाब, और सुगन्धिमे मन ही का मन मो हत होता है. इमीलिये (C) चायकी गन्धयुक्ती,---ये हो गुलाब प्रसिद्ध है। इसके इमका विशेष आदर है। गुलाबके पडकी डाली अत्यन्त सिवा जितन नामधागे गुलाब हैं: व मब इन्हो वणि- कॉटेदार होती है। पतं चिकन होने पर भी उनके याम शामिल किये जा सकते हैं। किनार नोकदार खरखर होते हैं। भारतमें यह फल घरम, बगीचामं और जङ्गलोंमें मवत्र पैदा किया जा मकता ___ गुलाब फ ल ज सा मनोहर है, उसका अतर और है आर देखनमें आता है । काश्मीर, लाहुल और भूटान । जल भी उतना ही प्रिय और उम्दा होता है। गुलाबका जङ्गली में पोल रङ्गक गुलाब अपने आप पैदा होते हैं। फल मनुष्यका प्रिय हैं, इसलिए उसकी पैदायश भी खब की जाती है और इससे लाभ उादा होने के कारण लाधमें ममुद्रपृष्ठसे ११००० फीट ऊचेमें पीले रंगके बड़े गुलाबक पैदायश लायक जमोनको कीमत भी ज्यादा बड़े गुन्नाब देखने में आते हैं। चीनमुल्कमें भी ऐसे है। इटालीम कनि नामक तरहटीमें गुलाबके कुछ खेत पोले गुलाब देखे जाते हैं। यह पेड़ ट्रमर गुलाबके हैं। उनमें प्रय॑ क वीघाका मामिक लाभ तोन मा रुपये वृक्षोंमे पड़े और लता-जैसे होते हैं इमी लिये हमारे देशमें इम वृक्षको बोते समय चारो ओर रहपञ्चे लगा है। वहां प्रति वर्ष में अढ़ाई लाख रुपये मिफ गुलाब देते हैं । अङ्गीज लोग इम फलको "मामलनोल" कहते फल ही पैदा होते हैं। गाजीपुरमें भी ऐसे गुलाबके हैं। इसका गुच्छा बड़ा आदरनीय और भेंट देने के खेत हैं । गाजोपुरमें गुलाबको खेतोके लिए माई चार का वल होता है। मो वीघा जमीन मौजूद है । वह भी छोटे छोटे खेतों में माधारणतः १८ अक्षांशसे ७० अक्षांशके भीतर यह विभक्त है। प्रत्येक खेतके चारों तरफ काँटीको झाडो वृक्ष उपज सकता है। सूची जमीन या मिट्टी में अगर और मिट्टोको दोवार लगो हुई है । प्रत्यं क बोघा पर यह वृक्ष बोया जाय, तो जल्दी पेदा होते हैं। यूरोपके ५, क. हिमाबसे कर और इमके अलावा १ हजार पेड़ उत्तरांशमें मिर्फ इकहरी पापड़ीवाला फल पैदा होता है। परन्तु इटालो, ग्रीस और स्पन आदि देशों में बहत पर २५, रु० और भी लिया जाता है-इस प्रकार कुल पापड़ीवाले फल काफी पैदा होते हैं। ३०, रुपये जमीदारोंको मिलते हैं। प्रति बोधामें, Rove Glandilifera-पञ्जाबमें इसे गल-शेउती और भी खर्च पड़ता है । जलवायु और उत्तापके अनुकूल या शेवती कहते हैं। कोनसे उन एक जार वृनौ लाखसे भी अधिक फल VI. Vol. 110