पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४४१

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गुलाब ४३६ ORY बोतलमें पानी भरकर उसमें गुलाबको कलम लगाई जा सकती है। इसको प्रणालो बहुत ही कठिन है जिस नरम डालीसे पुष्प गिरा हो, इस प्रकारको नरम एक या दो डालीको काटकर शीत ऋतुमें बोतल में लगाना चाहिये । बोतल पानोको साफ रखना चाहिये। रोज पानो बदलत रहना हो उचित है, नहीं तो डालो मड़ जानका मम्भावना रहती है। उन बोतलों को घरके उत्तर- को तरफ या पर्दाको बोटमै एसो जगह रखना चाहिये जिससे उममें सूर्यका प्रकाश और हवा जरा भी न लगन पाव । अथवा बिना ढक्कन एक बकम उस बोतल पर रख कर म य के उत्तापमं रख देना चाहिये । इसके लिए कमसे कम १० पाउन्म की बोतल की जरूरत हागी।। एक गुलाबक प्रेमी उद्भिद्वत्ताका कहना है कि एक माल की पुरानी डालोक एक फुटकं नापसे काटनी राके के भीमर में डान्नीका निकलना। चाहिये । प्रत्य क डालोको गाड़न की तरफ समभावम कभी कभी उसके फलम केशर न पंदा हो कर डाली कलीको गांठ के पास काटना चाहिये, और ऊपरका भाग उत्पन्न हो जाती है। कलमको तरह बनाना चाहिये और उसकी दो एक ग्रीक लोगांके प्राचीन ग्रन्याम लिखा है कि गुलाबका कलित्रांक मिवा और मबको काट देना। चाहिये बाद फल खिउनिमाम देव और अफ्रोडाहट (Aphrodite) को माच के महोनमें ८ इञ्च ऊंचो जगह पर वह कलम नामक द वीकी अतिप्रिय वम्त है। पुराने रोमक भी गाड़ दं ना चाहिय , आर उम को जड़ मिट्टोसे ढक टेनो गुलाब उत्मव करते थे, उमका नाम रोमालिया (Rosalia) था। माकिदनमें मिदामका गुलाबका बगोधा पहिले चाहिय । जुलाई और अगस्त माममे यह कलमी पाधा बहुत प्रमिड था, वह स्थान अव भी वर्तमानक बुल फल देने लगता है। इमक बाद ऊंचो जगह को ममतल गरिया नगरमें है। अभी तक बुलगरियाका गुन्नाबका करक पादेको जड़ जो मिट्टी के भीतर थी, उमे निकाल्न देना चाहिये । एमा करनसे वह पौधा जडमे दो तोन इञ्च अतर जगत् प्रमिद्ध है। पहिले भारतमें भी गुन्नावका ऊचाईम ही फ ल द ने लगता है। ख ब आदर था, मंस्कृत ग्रन्याम शतपत्रोके नाम गुलाब- का उल्लेख पाया जाता है। पात्र य मंहितामें लिखा है- साधारणतः लोग जिम रीति गुलाबको कलम बनात "शतवो तुगन्धादा मीमाग'नध शिवधि। हैं, उसके नियम यह हैं-जहां पानी न जम मर्क, मी सुगोसा च सूत्रता च समना, शतपत्रिका ॥ जगहमें एक फुट अन्तर पर कुछ गडे खोद करके उममें शतपत्राहिमा विना मगरच्या निम्नप्रसन्। सारयुक्त मिट्टी दे कर मुका मुका कर पोध गाड़ते हैं। दाच गावातघ्नो कुटपिम्फाटक नाशिनी ॥' फिर उन गड्डौको मिफ मिट्टोम ढक दंते हैं। दिनमें उन शतपत्रीको दूमगे मंस्कृत पर्याये ये हैं-गन्धादया, पर सूर्य को रोशनो न पड़ने पाव, इस लिये उसके ऊपर सौम्यगन्धा, शिवप्रिया, सुशोता, मुत्ता, मुमनाः और फस आदिका छप्पर डाल देते हैं, और गतका उसे शतपत्रिका । गुन्नाबका फूल शीतल, तिक्त, मारक, रोचक, उठा लेते हैं। वायुनाशक, दाहनाशक, रक्त, पिन, कुष्ठ, ओर विस्फोट- कहीं कहीं एसा भी दे स्वनमें आया है कि फल. नाशक होता है। इम देशक व धोका विश्वाम है कि में केशर ओर पखड़ियोंका भी कुछ कुछ परिवत्त न शतपत्रो नाम शेवती होका है । गुलाब और शेवती दोनों हुआ है। गुलाबका पेड़ खूब नरम मिट्टीमें गाड़नेसे | भिन्न भिन्न पुष्य हैं । शतपत्रीका अपनश शेवती हो सकता