पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४४७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गुलाबसिंह गुलाबमिहने उपकारी सिखनरपतिसे विदा ले बहत रात्रि में जिन लोगोंने मिल असहाय खगमिहको वन्दो हो समारोहके माथ जम्वु राज्यमें प्रवेश किया जो मनुष्य किया था, उनमंसे गुलाबसिंह भी एक थे । । एक समय सिर्फ ३, २० मासिक वेतनको नौकरीके ___ खर गम देखो। लिये लालायित हुआ था, आज वही मनुषा जम्बु के एक जब खनसिंह कारागारमें और उनके पुत्र नवनिहाल खाधीन राजा हैं। अष्टचक्र किम तरह परिवत्त नशील मिह पंजाब के मिहासन पर बैठे थे, उम ममय गुलाब है गुन्नामिह ही इमका दृष्टान्त बन गये। बहुत धूम सिंह प्रभृति तीन भाइयोंका एक तरह पंजाबमें आधि- धामसे गुलाबमिह जवुराज्यमें अभिषिक्त हुए थे। मिख पत्य था। रणजितके पौत्र नवनिहालको यह अत्यन्त अस- राजके कर्मचारी और उनके अधीनस्थ सभी मैन्य जं. धमाल म पड़ने लगा। खङ्गमिहको अन्त्य ष्टिक्रियाके छोड पञ्जाब चले आये । गुलाबके माथ रणजित्मिहका दिन नवनिहालक माथे पर ढ़ाल गिरा थ जिममे उन्हें अब कोई लगाव न रहा। सिर्फ इतना निश्चित था कि बहुत चोट आई थी। लोग कहते हैं कि उमोमे उनको गजा गुलाब प्रतिवर्ष दुर्गापूजाके ममया मसैन्य लाहोर मृत्य हुई । किन्तु किमी किमो ऐतिहामिकन लिखा आ पञ्जाबकेशरोक आनन्दको बढ़ावें ! है-"इस मामान्य आघातसे उनके मृत्य होनको कोई मम्भावना नहीं थी।" सुप्रमिड मिख इतिहाम-लेखक गुलाब जम्बुका एकाधिपत्य लाभकर निकटवर्ती मगिको वशीभूत करने लगे। राज्यलिप्माके साथ उच्चा कनिहमने लिखा है "जम्ब के राजा नवनिहाल के हत्याके भिलाष, परथीकातरता, परपीड़न और अर्थ लाभ ये मव कागडम शामिल थे इमका यद्यपि कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं महादोष उनके हृदय में आगये थे। यहां तक कि जम्व के मिलता है तो भी इस घोरतर अपराधमे उन्ह' कोड बालम वृद्ध तक मब मव गुलावका नाम सुननेसे हो । देना भी बिलकुल असम्भव है।" मचमुच ध्यानसिंह प्रभृतिक षड्यन्त्रमे हो प्रवल पराकान्त मिखराज्यके डरते थे। बाहरम गुलाब इतने मुखमधुर थे, उनके मुखिमगडल । अधःपतनका प्रारम्भ हुआ। में एमा स्वच्छ सुन्दरतावरण था कि एक वार जो उन्हें नवनिहालको मृत्य के बाद उनकी माता चांदकमारो टेखता और उनके माथ आलाप करता वद उनकी राजगद्दी पर बेठों। वह ध्यानमिहको अच्छ। तरह मोहिनी शक्तिमं प्राकष्ट हो जाता था। पहचानती थीं। उस ममय भी ध्यानमिह राज्यके शामन-मचिव थे। महारानो चाँदकुमाराने ध्यानसिंह- १८२० ई० में गुलाबसिंहने राजोयारिके राजा अषरखाँ का उपेक्षा कर सिन्धवाल उत्तरसिहको प्रधान मन्त्रीके पर आक्रमण कर उन्हें वन्दी किया था। पद पर नियुक्त किया। रानो प्रबलप्रताप राज्य करने १८३८ ईमें पंजाबकेशरी रणजिसिंहको मृत्यु लगीं। कृरप्रक्लति ध्यानसिंह बुद्धिमती विचक्षणा रमणी- हुई और इनके पुत्र वोरवर खगसिंह सिंहामन पर बैठे। को मिहामनसे अलग करने की चेष्टा करन लगे। रण. गुलाबसिंह तथा उनके भाइयोंने समझा था कि रणजि- जित्मिहका शेरसिंह नामक व्यमनासक्त और मद्यपायी सिंहको मृत्यु के बाद उनके भाई ध्यानसिंहके पुत्र एक जारज पुत्र था। ध्यानमिहने सोचा कि मौको होरासिंह पंजावक सिंहामन पर अभिषिक्त होंग, परन्तु मिहामन पर बैठाकर स्वय राज्यके हर्ता कत्ता हो जावें- उनका अभीष्ट मिड नहीं होनसे राजा ध्यानसिंह महा- गे। चतुर गुलाबसिंहने भी भ्राताके माथ इम षड़यंवमें र खसिंहको नाश करने के लिये षडयन्त्र रचने योग दिया था। ध्यानसिहन शरमिहको अपना अभि. लगे । रामोसामिह भी ‘इम निदारुण षड्यन्त्रमें प्राय प्रगट करते हुए उन्हें समना लाहोर पानेको शामिल हुए भाव कुमार नवनिहालसिह खेवरसे लिला । १८३१ ई०की १२वीं जनवरीको सेरसिंह पिता प्रवासी काली ओर पा रहे है, उस समय | मसन्य फतगड़ आ पहुचे । रानी चाँदकुमारीने शीघ्र ही उनसे मिल गये। गहरी मिहबार बन्द करनेका पादेश किया। बार बन्द किया V 1. VI. 112 रा