पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४५२

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४.. गलाबसिंह चौदह पन्द्रह हजार सेना ने उन पर टूट पड़े और कारण भी था। गुलाब ओर होरासि हमें जब विवाद अन्तमें उनका प्राणान्त हो गया। चला था, उस ममय जवुराज गुलाबन पेशोरामिह को सचेतमिहको मृत्य मवाट पाकर गुलाबसिंह मंन्यसंग्रह करनको कहा था। उनके कथनानुसार होरामिहके ऊपर बहुत कष्ट हो गये थे। कुछ दिनके पगोराने गुलाबको सहायताके लिये लगभग दो हजार बाद उनन होगमहको कहला भेजा कि धानमिच मन्य एकत्र किये। किन्तु होरामिहके माथ मेल हा और सुचेतमिहको सम्पत्तिक व हो ( गुलाब ) अधि। जाने पर गुलाबने सेनाओंको कुछ भी तनवाह न दे कर । कारी हैं। पत्र पाकर होरामिह बहत कर हो गए सबको भगा दिया था। उन्होंने आ कर पेशोरामिहसे और उनन भी वे समस्त मम्पत्ति आर अपनो स्थावर ___अपना वेतन मांगा। पेगोरान मेनाओं का प्राप्य चुका प्रस्थावर सम्पत्ति जो गुलाबकं पाम रक्वी हई था, देने के लिये गुलाबको कई बार पत्र लिखा था, अन्तमें ममम्त उन्होंक हाथ सौंप दे नो चाही । इस तरह दोनी- गुलाबने उन्हें इस तरह उत्तर दिया था--"दुष्ट मेना. में विवाद प्रारम्भ हवा। होगमिहने लाहोरमें एक ओंका अस्त्र शस्त्र कीनकर उन्हें मार भगावें।" पेशोग- महामभा कर उपस्थित प्रधान प्रधान मौरीको गुलाबकै मिहने उम पत्रको उन्हों उत्तेजित मैनिकों के मामने स्वार्थपरता की कहानो कह सुनाई और उनको सम्मति पढ़ा। गुलावके आचरणसे अत्यन्त कड हो उन सेना ले कर जम्वुमें एक पत्र भेजा .. यौन गुजरातमें रीमा भयङ्गर कागड कर डाला था. किंतु लाहोर-राजसरकारकै अधोन जो ममस्त सम्पत्ति पगोरामिह उम ममय वहां उपस्थित नहीं थ।। गलाबसिहभोग करते रहे हैं, इमका चौथा भाग और गुलाबमिहने अपनको निदोष बतलाते हए, पगोग अधिक मालगुजारी द नो होगी। २, उन्हें राजा सुचेत मिह पर दोष लगा कर लाहोरके दरबारमें उनके नाम सिंह और राजा मानसिंहको जागोर और समस्त जाय पर अभियोग चलाया। परंतु इमका पशरामिहको दाद लोटा देनो पड़े गो ओर ३, उन्हें स्वयं लाहोर दरबा. कोई पता न लगने पर उमने उनके विरुड सेना न भजी। रमें उपस्थित होना पड़ेगा। इमके थोड़े दिन बाद ही महार ज दलोपर्क मामा शायद गुलाबसिंह इम पत्रको अग्राह्य करें, इमलिये जबाहिरसिंहने होरासिहके विरुद्ध ग्वाल सा सेनाको २२ दल मिग्वसैन्य उनके विरुद्ध भेजे गये। किन्तु ग्वालमा उर्त जित किया। इस षड्यन्त्रमें होरासिह शत्र - मन्यने जाना कि गुलाबसिंहका भो मैन्यबल कम नहीं से मारे गए। इम समय गुलामिह वरकजई जाति है। वे भी यदि चाहें तो ममस्त पार्वतीय मरोंको को खालमा म नाके विरुद्ध उत्तेजित कर रहे थे। यह उत्तजित कर सकते हैं, यहां तक कि काबुन, काश्मीर सवाद पाकर जबाहिरमिहने उन पर शालन जमानक प्रभृति स्थानोंक शामनकर्ता ममैन्य पा गुलाबको महा- लियं जवुको ओर मिग्व मनाको भेजा। लालसिंह, यता अवश्य देंगे। गुलाबमिहने पत्र पाकर उत्तर दिया श्याममिह अठरवाला, फतमिह मान और सुलतान मुह- कि होगमिहके कनिष्ठ भाई मियां जवाहिरमिंहके जंबु नद ग्वा नामके प्रधान मर्दार तथा सेनापतिगणने मना पाने पर वे ममम्त विषयों को मीमांमा करेंगे। इस परिचालनका भार ग्रहण किया। गुलाबमिहने सिख कार्य के लिय जबाहिरमिंस को जाना पड़ा। चतुर नाके आगमनको खबर पा होरामिहके भाई मोयो गुलाबने उनके साथ परामर्श कर एक तरहको निष्पत्ति जबाहिरको सेनाके साथ यशरोता नामक स्थानको भेजा। कर लो और मपुत्र लाहोर आ पहुचे। होरामिहने सिखस नाके यशरोता पहुंचने के बाद मर्दार उत्तरसिंखप्र. ज्येष्ठतातका स्वागत किया। इस ममय गुलाबके निकट खालमा सेनामें मिल गये और तब मीयां जबाहिरसिमोनी दारुण मंवाद पहुचा कि गुजरातमें उनके जितने में न्य अनमाना मैना भी छोड जाने लगे। प्रतक्ष में भी उन्हीं थे, वे मबके सब पयोगमिहमे मारे गये और उनका हिर वाध्य हो कर जवुको भाग आये। सब खालका राजभण्डार ल ट लिया गया है। प्रमो दुर्घटना होनेका सेना बहुतही उत्साहमे ज'बु राजधानी पहुचे। गुलाब-