पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४५६

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४१४ गुलाम-माल-गुल राजाओं को भी यथेष्ट प्रशंसा की गई है। फरामोसी गुलिया ( हि वि. ) मह एक वीजसे नि:सृप्त । पंडित रनिगेड वरफ मम्ताफा, ब्रग पोर वाल्फोर मारध गुन्नी ( स० स्त्री० ) गुल: गुड़ाकारो ऽस्त्यस्याः गुल मच ने इस ग्रन्थ का अगरेजी अनुवाद प्रकाश किया है । उक्त गौरादित्वात् डोष । १ गुटिका, गोली, गुल्ली । २ वसन्त- पारसी ग्रन्थको सहायतामे गुलाम अली साहब नामक रोग । वसन्तरोग देखो। एक मानवीने १८५६ ई० में हिन्दुस्थान में “खुलामत् ई. गुलुच्छ ( म० पु० ) गुच्छ पृषोदरादिवत् साधुः । गुच्छस्त तवारिख-ई लियर उल मताखिरीम" नामका एक इति- वक। हास प्रणयन किया है। ___ गुलच्छकन्द ( म० ए० ) गुच्छकन्द । उस इतिहासके अलावे गुलामहमेन "वशारत उन्न् गुलुब्छ ( स० पु० ) गुड़ क्विप गुन गोलाकार उच्छगति इमानत" नामका एक काव्य भी लिख गये हैं। वध्नाति गुल उञ्छति प्रण । १ गुच्छ, गुच्छा, बह तसे गुलाम-माल ( अ० पु. ) कंवल, लोई प्रभृति । फलोंका समूह । २ गुच्छकन्द। गुलामराम-हिन्दी भाषाके एक कवि। कहते हैं कि गुलुञ्छक ( म० पु० ) गुल उञ्छति गुल-उछ-राव ल । उनकी कविता अच्छी होतो थी। म्तवक, गुच्छ। गुलामी (अ. स्त्रो०) १ दामत्व, गुलामका भाव । २ मेवा, गुलुफ ( फा० ) गल फ देखो। शुश्रूषा। ३ पगधीनता, परतन्त्रता । गुलुह ( स० ) गुड ४ देखा। गुन्नामो --एक हिन्दो कवि। उनको कविता अच्छी गुल ( हि पु० ) १ एक तरहका पेड़ जो नेपालको होती थी। तराई, बुन्देलखगड और वङ्गालके छोटे छोटे पहाड़ी पर गुन्नाल ( सं० पु० ) भूण, कोई घाम । ओर दक्षिण भारत तथा बरमाके जंगल में पाया जाता गुलाल ( फा० पु० ) होलोके दिनों में एक दूसरे के मुख पर है। यह २५से ४० हाथ तक ऊचा होता है, इसमें लगानेका लाल चूर्ण। यह गण जनमें भी मिलाकर बॉम लम्बे लम्ब पतं होते हैं जाड़ा ऋतुके आते ही इम के या टोनको बनो पिचकारीमे एक दूमरे पर छिटकते हैं। समस्त पत्ते नोचे गिर जाते हैं और माघ फाला न माममें गुलाल-हिन्दी भाषाके एक कवि। १८१८ ई०को उन- इसमें पुष्प लगते हैं। इसका प्रत्ये क अङ्ग ओषधमें उप- का जन्म हुआ। गुन्नालका प्रधान ग्रन्थ शालिहोत्र है, योगी है। इसको जड़ और वीजको गरीब मनुष्य खाते जिममें पशुओंकी चीरफाड बतलायी गयी है। हैं जब यह वृक्ष पुरातन हो जाता तो चार पाँच हाथ मुलालसिंह-हिन्दी भाषाके एक कवि। १७२३ ई०को लम्बे टकडे इसके तनेमे काटे जाते हैं। इमके मधामसे उनका जन्म हुआ था। सुन्दर रेशा निकरता है जिसमे रस्मी तथा कप बनाये गुलाला (फा० ) गन नाला देखो। जाते है। इसके काष्ठसे भांति भांतिके खिलौने बनाये गुलिका (सं० स्त्रो० ) गुल: गोलाकारोऽस्त्यस्या गुल ठन्- जाते । इमी वृक्षसे कतीरा नामका गोंद निकलता है। टाप । १ गुटिका, गोलो। २ बसन्त रोग। ३ पक्क २ प्रायः एक हाथ लम्बो एक तरहको मछली । ३ एक कुष्माण्डखगविशेष, पके कुम्हड़े का खण्ड । इसकी प्रकारको वटेर। प्रस्तुत प्रणाली इस तरह है-पुरातन शुक कुष्माण्डको गुल बद ( फा० पु० ) १ एक विलन्त चौड़ी कपड़े को पट्टो । गोलाकार खण्ड करके चूत और गुड़में पाक करते हैं। यह सूत, ऊन या रेशमकी बनी होती है, जो सरदीमे थोड़े समयके बाद उसमें जोरा और मिर्च डाल देते हैं। बचने के लिये कानों पर लपटी जाती है। २ गलेमें पहन- भलो भातिमे सिद्ध होने पर वह नोचे उतार लिया जाता नेका स्त्रियों का एक आभूषण । • है, इमोको गुलिका कहते हैं। गुलंदा (हिं० पु०) मर एका पका फल, कोलेंदा। गुन्निकालवण ( म० को०) गुटिकालवण, माँवर नमक। गुले ( हि पु० ) उत्तर भारतवर्ष में होनेवाला एक तर गुलिक म(.) कुन्निक देखा। एका पेड़। इसके काष्ठ बहुत मजबूत तथा चमकीले