पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४६३

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गुवारपाठा-गुस्न ४६१ गुवारपाठा (हिं० पु०) ग्वारपास देखो। सराका फारमी अनुवाद किया है। इन्होंने अपने अनु- गवारिच-अयोधयामें गोण्ड जिलेके अन्तर्गत एक परगना वादमें दस प्रकारमे अपना परिचय दिया है.-शाहजहा- दमक उत्तरमें तोहि नदो और गोण्डपरगना, पूर्व में नाबादमें उनका जन्म हुआ था । १८३५ मम्बतमें ये काशी दिगसार परगना, दक्षिणमें घर्घरा नदी एवं पश्चिममें गये थे । १८४७ मालमें इन्होंने जोनाथन डान साहक्के कुगमर परगना है ।। यहां राजपूत राजाओंके सेनानायक अनुराधमे रामायणका अनुबाद किया था। महलदेवने १०३२ ई०को मुमन्लमान-विजता मैयद मालर | गुमाई कवि, राजपतानेके एक प्रमिड कवि। इनके मुमाउदको पराजित कर देशमे वहिष्कत कर दिया था। दोहों का गजपतो में बड़ा आदर है। थोड़े ममयके बाद यह परगना गोडराज्यके रामगढ गुमाईगञ्ज-लखनऊ जिलेका एक नगर। यह अमेथी गीडिया परगन में मिलाया गया। वतमान गोगड, वस्ती टोनगुरनगरमे ३ माइल दक्षिणपश्रिममें है और लखनाज- और गोरखपुर प्राचीन गौडराज्यके अन्तर्गत थे । गया। से सलतानपुर जाने के रास्ते में पड़ता है। हिम्मतगिरि इम परगने में बहुतमी नदियां और कोटे छोटे स्रोत गुमॉईने १७५४ई में यह नगर बमाया था। यहां मिट्टी- उत्तर-पश्चिममे दक्षिमा-पूव मुग्व हो कर प्रवाहित हैं । इम मे बने हुए एक बड़े किनेका ध्व'मावशेष अब भी मौजद लये भूमिका निम्रतर प्रदेश उवरा है। भूपरिमाण है। यहां के लोग एक प्राचीन मूत्ति को चतुर्भुज देवी मान कर उमको पूजा करते हैं । २६ वर्ग मोल या १७०८६२ एकड है। जिनमेंमे ११. ___ उक्त राजा १००० अश्वारोही राजपूत मेनाके नायक ४२ एकड़ जमीनमें फसल होती है। थ और मैनाके वेतन म्वरूपमें अमथो परगनाके जागीर- गुमन्न (हिं पु० ) गुम ल देंग्वा । दार हो गए थे। एक ममयमें उनका खच बल था। गुसांई-वैष्णव सम्प्रदाय विशेष । यह मस्कृत गोस्वामी वक्सर युद्ध के बाद नवाब मूजा उद्दौलाने अगरेजीके डरक शब्दका अपभ्रंश है। इन्द्रिय जय करनेवाल का ही नाम मारे इनमे आश्रय चाहा था। उन्होंने आश्रय महीं गोम्वामी वा गुमाई है। भारतके मब प्रधान पुण्य नेत्री, दिया। बादमें नवाच और अगरेजोंमें जब मन्धि हो मई तीय स्थानों और बड़े नगरों में गुसाइयोंक मठ या अखा तब इनको भाग कर अपनी जन्मभूमि हरिहारमें जाना ड देख पड़ते हैं। इनके चिरदिन अविवाहित वा मंमार हो पड़ा। वहां उन्होंने अङ्ग्रेजोंसे एक कोटीमी जागीर निनिय रहनकी बात है। परन्तु आजकल उम नियमका पाई थी। कम ख्याल रखते हैं। अखाडीक महन्त विवाह नहीं यह नगर बड़ा माफ सुथरा है। रास्ता प्रादिक माफ करते । दाक्षिणात्यके गुसाई' पृथक्जाति बन गये हैं। करन में जो खर्च होता है, वह प्रत्येक घरमे कर स्वरूप वह सब वर्गीके लोगोंको कुछ रुपया पाने पर अपने कुछ कुछ ले लिया जाता है। कानपुर और लग्वनच दलमें मिला मकते हैं। महागष्ट्रवीर माधोजी मेंधियाके तक ममान गम्ता होनेमे, यहांका कजगार अका चलता अभ्युदय कान्नको उन्होंने अस्त्रधारण किया था। पश- है। यहांकी अधिष्ठात्री देवीके उत्मवर्क उपलक्षमें मालमें वाके पास गुमाइयोंको बहुत फौज रही। मालापरि- दो वार मेला लगता है। इस मेले में करीब पाँच मात वर्तन हारा हो उनका विवाहकार्य सम्पन होता है। हजार आदमियोंकी भीड़ होती है। बालके गोसाईकण्ठी और दाक्षिणात्यवाल रुद्राक्ष | गुसा ( अ० पु. ) गम्मा । पहनते हैं। शिषाको “श्री सोऽहम्' मन्त्रको दीक्षा दी गुस्ताख (फा०वि०) धृष्ट, ढीठ, बडीका मङ्कोच न रखने जाती है। इनमें जाति भेदको खटपट नहीं है। वाला। गुमाई आनन्दकष्ण ब्राह्मण,-एक प्रसिद्ध कवि और गुस्ताखी ( फा० स्त्री० ) धृष्टता, ढिठाई, अशिष्टता पण्डित । इन्होंसे फारसी भाषामें ४०००० श्लोकाम सप्त स कागड रामायण, १२०००ओकोंमें मत्स्यपराण और मिता- गुस्त्र ( अ० पु.) मान । Vol. VI. II6