पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४६८

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गूजर-गूटो को कनिङ्गहम साहब चोना, यूनानो तथा मुसलमानी | गूजरो (हि. स्त्री० ) गूजरो देखा। ऐतिहासिक कथित तोखारी, कुशान या क्य स्खयाङ्ग | गूजी (हिं. स्त्री. ) एक तरह का छोटा काला कोट । ( तातार ) जाति जैमा पनुमान करते हैं । यह और भी | गूझा (हिं. पु०) १ पकवानविशेष । गृहात देखो। २ गूदा । बतलाते हैं कि उन्हींसे गुर्जरराष्ट्र तथा खुरमान दो राष्ट्रों- | ३ फलके मध्यभागका रेशा। का नाम पड़ा है। कह नहीं मकत, वह अनुमान कहाँ | ही | गूटो ( देश ) १ नोचोका पड़ रोपनको एक तरकीव । तक मत्य है। परन्तु पावर्यावक गठन देख करके जाटी| २ चौपार्योका एक रोग। से इनको तुलना की जा सकती है। १३०३ ई०को | गूटी-मन्द्राज प्रान्तर्क अनन्तपुर जिलेका सब डिविजन । प्राचीन गुर्जर नगरध्व'स हुआ था। १५४४ ई०का सम्राट इसमें दो तालुक लगते हैं। अकबरके राजत्वसमय इन्होंने उमको फिर निर्माण | किया। गूटो-मन्द्राज प्रान्तके अनन्तपुर जिलेका उत्तर तालुक । ___ शोलापुरके गूजरों में बहुत मे गुजरातो जन श्रावक- यह अक्षा. १४. ४७ तथा १५.१४ उ. पोर देशा वंशीय हैं। कोई १०० वर्ष हुए, गुजर देशसे जा कर | ७७ ६ एवं ७७ ४८ पृ० के मध्य अवस्थित है । क्षेत्रफल के वह वहां रहने लगे हैं। इनके बीच गोत्रमें विवाह | १०५४ वर्ग मोल और लोकसंख्या प्रायः १५६१५५ है। होता और उसमें बड़ा खर्च पड़ता है। यह बड़ दान तीन नगर ओर १४२ ग्राम बमते हैं । मालगुजारी कोई गोल हैं। शोलापुरमें पार्श्वनाथ दो और कई एक | ३१६०००, रु. है। दक्षिण और पश्चिम अञ्चलमें भूमि अन्यान्य मन्दिर उन्हीं के बनवाये हैं। व्रज भाषाक कवि अधिक उर्वरा है । उमके ५मे १० फुट नीचे तक चूनेका योने रम जातीय स्त्रियों को 'गूजरि,' 'गूजरा' वा 'गुजः | पत्थर मिलता जो पानीमें घुला करता है। पेड़ जैसे ही उनको जड़ चुनेमे मिलतो फिर नहीं फूलते फलते। लिखा है। उत्तर और पूर्व को जमीन पथरीली है। पर मदो ही महि ) गुर्जर देखी । गूजर खाँ-रावलपिगड़ी जिलाके दक्षिणपग्निम और मूरि अकेले इस तालुकमें बहतो है। पर्वतसे २० मील दक्षिण एक तहसील । यह अक्षा. गूटी-मन्ट्राज प्रान्तकै अनन्तपुर जिलेमें गूटो सबडिवि. ३३४ तथा ३३२६ उ० और देशा० ७२५६ एवं जन और तालुकका मदर। यह अक्षा. १५७ उ. और ७३ ३८ ३० पू० पर अवस्थित है। भूपरिमाण ५६५ देशा० ७७३८ पू॰में मद्रास रेलवे पर पड़ता है। जन- वर्ग मील है । यहांक विचारविभागमें एक तहसीलदार संख्या प्रायः ८६८२ है । इसका मध्यभाग प्राचीन पार्वत्य और एक मुग्मिफ है। दुर्गाके लिये प्रसिद्ध है। बहुतसी जमीनको चारों ओर गूजरसिंह-एक सिख योडा। यह भङ्गो जातिके मरदार पहाड़ घेरे हुए हैं। पहाड़ोको उस ओर एक मजबूत थे। १७६३ ई०को भङ्गियोंके जातीय एकता सूत्रमें पाबड | चहारदीवारी है । उस पर जगह जग: बुज बने हैं। होने पर इन्होंने उनके सैन्यको साथ ले फोरोजपुर प्राक उत्तर और पश्चिम दिक्को शहरमें जानेके लिये इसी मम और जय किया। फिर वहां पर इन्होंने टुग सस्कार दोवारमें दो सूराक हैं । किला जमीनसे १००० फुट ऊचा किया और अपना राज्य शतद्रु पर्यन्त बढ़ा दिया । १७६५ | है । रक्षाके उपकारणों में कोई कमी नहीं। वह विन। ई०को सरदार गूजरमिहने लाहोरसे गकरराज मुकारब | टुर्भिक्ष या छलनाके टट नहीं सकता। पानीके निय. खाँके विरुद्ध यात्रा की और उन्हें पराजित करके गुजरात पहाड़ पर भी हौज मौजूद हैं। एक पहाड़ी पर वनोग्न के वहिर्देश भगाया था। मुकारबने वितस्ताके पर पार | रावक डेरा' नामकी मारत प र प्रात- को पलायन किया था । वहां वह स्वजातिकट क मिहत | रख खेलते और कैदियो:पावर नाचे धकेला का हुए । इसी समय गूजरसिंहने जा करके उमको विनाश | हुआ देखते थे। यहां १८ को गञ्जाम किसी किया और राज्य पर अधिकार कर लिया। पहाड़ी लोक कैद किये गये थे। जब यह जगह कम्पनी