पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४६९

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गूड़ो-गढ़लूट को मिलो, वारीकोंमें शो पंदल फाज रही। अब किल्ले | गढ.ता ( स० स्त्री० ) ग ढ.स्य भावः गढ. तन्न -टाप । और मारतोंका देख भाल मरकार करती है। १गुलता, विपाव।२ अबोधगम्यता, गम्भीरता, कठिनता। शहर बहुत धना है। ग्रीष्म ऋतुमें गर्मो बहुत पड़ती | गढ.त्व ( म० क्ली० ) ग ढ.स्य भावः ग ठाव । १ ग ढ.ता, है। इसीसे मब मरकारी दफ़र मैदानमै उठ गये हैं। गुपता : २ गभीरता, कठिनता। किलेका पूरा इतिहास अज्ञात है। वह विजयनगर गढ़नाभि-वशिष्ठ गोदीय चण्डिकाभक्त पृथूवशीय एक राजाओं का एक अति सुदृढ़ दुर्ग था । मुमलमान कितने | राजा, कूम के पुत्र । हो समय तक उसे अधिकत कर न सके । १७४६ ई०को | | गढ.नीड़ ( म० पु० ) गढ़ गुना नोड' यस्य. बहुव्री० । म रारिराव नामक महाराष्ट्र वोग्ने उमको मरम्मत की। खञ्जनपक्षी। १७७५ ई०को बहुत दिन तक घेरा डालनके वाद हैदर ग ढपत्र ( म पु०) गढ़ पत्रमभ्य, बहवो। १ अकोठी- अन्नीने उसे अधिकार किया था । १७८.८. ई०को टोपूके | वृक्ष, अखरोटका पड़ । २ करीलवृक्ष । मरन पर वह निजामके हाथ लगा। १८०० ई० में यह गढ.पय ( मं० पु० ) ग ढं पन्था यस्य बहुव्री०, ममासान्त अगरेजों के अधिकारमें है । १८६० ई० तक वहां दो अङ्ग-टच । १ अन्त:करण, अन्तात्मा । २ गुणपथ । रेजो फौजें रहीं। गढ.पद ( सं० पु० ) गद पादयति पद णिच विप । यहा गूड़ी हि स्त्री० ) बाजरेकी बालको प्याली, जिममें | गुमाः पादा यस्य, बहुव्री० । निपातने माधु । मर्प, साप । दाना लगा रहता है। गढ,पाद ( मं० त्रि. ) म द. पावृतः पादो यस्य, बहुव्री० । गूड र-१ कृष्णा जिलामें मसुलीपत्तन ताल कके अन्तगत | आवृत चरणा, जिमका चरण आच्छादित हो। एक प्राचीन नगर। यह मसुलोपत्तन नगरसे ४ मोल ग .पुरुष (मं० पु. ) गढ.श्वासी पुरुषति, कर्मधा। पश्चिममें अवस्थित है। राजप्रेरित छद्मवेशी पुरुष, गुप्तचर, भदिया । मन्टाजमें कर्णल जिलाके अन्तर्गत एक नगर। गढ.पुष्पक (सं० पु०) ग ढानि सत्तानि पुष्पाण्यस्य, यह कर्णल नगरसे १८ मोल उत्तर-पश्चिममें अक्षा० १५ | बहुव्री० । १ पोपल, बड़, ग लर, पाकर इत्यादि वृक्ष। ४३ उ० और देशा० ७८.३४ ४०पू के मधा अवस्थित २ बकुलवृक्ष, मौलसिरी।। है। यहाँ कार्यास और रेशमी वस्त्र प्रस्तुत होते हैं। गूढ़फल (मं० पु०) गूढं फलं यस्य, बहुव्री। बेरका ३ विजापुर जिलाके अन्तर्गत एक पुरातन ग्राम। पेड़। रामेश्वरके प्राचीन मन्दिरके लिये यह प्रसिद्ध है ! यहां गूढ़फला ( सं० स्त्रो०) धनखो। प्रतिमा और ताम्रके बरतन या पात्र प्रस्तुत होते हैं। गूढ़मण्डप ( म० पु.) देवमन्दिरके भीतरका बरामदा या गूढ़ (संत्रि०) गुह-त ।१गुम, छिपा हुआ। २ अभि- | दालान । प्राव-गभित, जिसमें बहुतसा अभिप्राय गुम्न हो । कठिन, | गूढमल्लिका ( म० स्त्री० ) अङ्गोलिवृक्ष, अखरोटका पेड़ । जाईल अबोधगम्य । ३ सवत । ( पु०) सातिमें पांच गूढमाय ( मं० वि० ) गूढ़ा गुमा अन्यग्लसिता माया यस्य, • प्रकारके गे वाहों मेंसे एक गवाह । ५ एक अलकार। | बहुव्री० । जिमको माया दूसरे से अन्लक्षित है । कामी (स ) काक, कौवा । बूढमार्ग ( मं० पु० ) नित्यकर्म ! गुमपथ, सुरङ्ग, पृथ्वीके गर्भक ( सं••) गर्भ जरोगविशेष । मीचे खोदा हुअा रास्ता। गूढचारिन् (सोममें गूढ़ः सन् चरति चरणिनि । जो गूढमकुम ( सं० पु० स्त्री० ) गूढं गुप्त केनाप्यलक्षितं मधनं गुल रीतिके विचरण करता है। गुमचारो। यस, बहुजी० । काक, कौवा। गूढज (मत्र), गढ़े गुप्तस्थाने जायते गूढ़-जन-उ। गढ़लूट-मदुरा जिला परिषकूड़म् तालुकके अन्तर्गत गूदोत्पत्र पुत्र । बारह प्रकारके पुत्रोंसे एक पुत्र अपन हो। एक पाम । इस ग्राममें एक पुरातन शिवमन्दिरमें बहुत- यहमें किसी एल जारसे पैदा किया हुआ पुत्र । सौमिसीलिपि देखी जाती हैं।