पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४७

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वाशी खिल्य-खोचौधोहान '४५ के भुने हुए वीज। इसको भोजनके पीछे मुखशुद्धिके | पहाड़के ऊपर कृषियोग्य बहुतमी उर्वरा जमीन है। लिये व्यवहार करते हैं। यथेष्ट वर्षा होने पर गेहूं और वानरा बहस होता है। खिल्य (सं० त्रि०) खिले भवः, खिल-यत् । १ खिलसे पहाड़ के नीचे के देशमें तम्बाकू उत्पन्न होती है। उत्पन्न । २ परिशिष्टपठित, परिशिष्टमं पढ़ा जानेवाला। खिसी, खिसियाहट देखो। ३ प्राणियोंके गमनयोग्य । (सक २०१४॥३) खौंच (हिं. स्त्री.) १ पाकर्षण, खिंचाव । २ कमकैया खिल्ली (हिं० स्त्री० ) १७सी, ठठोली २ गिलौरी, पानका बडाने का एक हाथ । इसमें अपना पता दूसरे पताके बोड़ा । ३ कोल कांटा। . नीचे ले जा कर उलटा घुमा कर खींचते । खोंचका खिशो ( हिं० स० ) मोड़ी, खिन खिला कर छमने हाथ ऐसा सच्चा होता है, कि दूसरेको काया कट- नमे नहीं बचती। ममें डोर खींचते खोंसे पीछेको गिणवाडी (हिं. स्त्रो० ) शुभेद, किसी किस्म की अख । भी हटा जाता है। खिमनाव (जि. १०) खिसकनेको स्थिति, जिस हाल- खौंचतान (हिं. स्त्री० ) १ लेवदेव, सप्या झप्पी । ३ उलट समें फिमन पड़े। पुसट, धोंगा धोंगी। खिमलाहट (हिं० स्त्री.) खिसलाव देखो । खोंचना ( हिं० कि. ) १ पाकर्षण करना, घमीट लेना। खिमारा (फापु०) क्षति, घटो, नुकसान। २ निकालमा, खोलना । ३ भरमा । ४ चम्लामा, निसाना खिसियामा (हिं. क्रि०)१मजा पाना, यम खामा। ५ वशीभूत करमा, गुलाम बनाना। सगाना।. २ क्रोध करना, नाराज होना । (वि० ) ३ मजिस । पीना । ८ टपकामा, चुवाना 10 नि:सार करना, खा खिसियाट (हिं. स्त्री० ) १ लज्ना, शर्म। २ क्रोध, जामा । १. लिखना । ११ चित्र बनाना । १२कमा । १९ मंगाना। गुस्सा । खोखर (हिं० पु० ) वना जन्तुविशेष, किमी किस्मका बन खिसौर-पन्नाव के डेरास्माइन-खां जिनाको एक गिरि बिलाव । इसको कटास भी कहा जाता है। माला, इसका दूसरा नाम 'रतारो रकमयगिरि है।। खीचीचोहान-चोहान राजपुतोको एक शाखा । कोई कोई यह प्रक्षा० ३२.१३ से ३९३४ ७० और देवा० ७० कहते हैं कि इन्होंने किमी ममय देवी भगवतीको एका ५० से ७१२१ पू० बीवपस्थित है। पात्र खीचड़ी भोग लगाया था। देवी संतुष्ट होकर इनको या मिरिमासा १४.. हाथमे २२१४ तक ऊंची किमी स्थानमें जाने कहा यहां इन्होंने बहुतसा सोना है।पसको सम्बाई ५. मौल और चौड़ाई ६ मील है। और चांदी पाया। तभीसे वे खीचड़ी नहीं खाते हैं। इसके गिरिशिखर पर करें एक प्राचीन हिन्द दुगके इसी खीचड़ीसे खोची नाम हुा । किसी किसोका मत वहार और बहुत से भम्न देवमन्दिर हैं। वे सब | ऐमा है कि खिचरी वा खौच स्थानमें ये बाम करते थे प्राजकस "काफिरकीट" नामसे विख्यात है।सगिरि इसीमे ये खौच करमाये और वह स्थान "खोचौवार मासा पर विसोत नामके स्थानमें सैय्यद पोरको नामसे विख्यात हुवा। मस्जिद, यह निकटस्थ मनुष्यके निकट पनि खीची चोहान लोग कहलाते हैं। शाम्भरका राजा प्रसिद्ध है। माणिकरावके २४ लड़के थे। उनमेंसे एकका नाम अजक ऐसा कहा जाता है कि वापोर मोहे को मौका पर राव था । यही अजयराव उन्हींके पूर्व पुरुष थे । समके चढ़ कर सिन्धु पार होते थे। उनके वंशधर मखदूम | १६श पुरुषोंमें गयासिंहने जन्म ग्रहण किया था । उनको बिमोतकी जागीर भोग करते। यहां चना पहाड प्रमहराव और पिल्पश्चरराव नामके दो पुत्र थे। वे पर बहुतसे युगों के प्रागन प्रसगभून जीवदेश पाये ! दोनी खोचोपुर पाटनमें रहते थे और दिलीपति पृथ्वी जात । इसमें स्नान खान पर उपसण,म राजके ममसामयिक थे । पृथ्वीराजने उन दोनोंकोमाला- में खिमोरके निकट गर्गवा नामका मरमा प्रधान। वारमें अठारह हजार ग्राम युक्त गागरोन् परगणा प्रदान Vol. V