पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४७०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गूढवास-दलूर गढ़वर्चस ( सं• पु०सी० ) गूढं वर्थोऽस्य, बहुव्री०। भक, एक पुत्र । मनुका मत है कि दूसरेके औरस (वीर्य) मेडक । से यदि कोई सन्तान उत्पन्न हो और उसका यह प्रकत मूढ़वल्लिका (सं० स्त्री०) अकोठवृक्ष, अखरोटका दरख्त । सम्बाद दूसरा कोई नहीं जानता हो तो जिसको स्त्री गूढ़वालो ( मं० स्त्रो० ) १ अझोठयक्ष । २ कष्णा जिलाके उसोका पुत्र कह कर वह गण्य है। इस तरह के गुल रेपनी तालुकके अन्तर्गत एक छोटा ग्राम। यहां लमी उत्पन्न पुत्रको शास्त्रकारगण ग दौत्पन्न कहा करते हैं। नरसिंहका पुरातन मन्दिर है। ग दात्मन् ( म० पु० ) ग दश्चासौ प्रात्माचेति कम धा० । गृढव्यङ्गदा ( सं० स्त्री० ) गढ़ गुण काव्यार्थभावनपरिपक्क परमात्मा । बुद्धिमात्रवेद्य व्यङ्ग यत्र, बहुव्रीः। ततः टाप । काव्यमें गथ ( म० पु. लो० ) ग थक् । विष्टा, मला। एक प्रकारको लक्षणा। गथलक्त ( म० पु० स्त्री०) ग थे विष्टायां रतोऽनुरक्तः, माहित्यदर्पणके मतमे लक्षणा दो तरहको हैं-गट- ७ तत् । ग थशालिक, एक तरहका पक्षी । इसका पर्याय- शरमल्ल, बुद्रचड़ और मालिक है। व्यङ्गदा और अगूढव्यङ्गदा । इनका अभिप्रायः मर्व त्यना (हिं० पु०) १ ग्रन्थन, कई चोजीको एक मूर्तमें एकत्र माधारणको शीघ्र समझ नहीं पा सकता। - करना । २ किमी पदार्थको दूमरे पदार्थमें सूई तागेसे गुढ़माक्षिन् ( मं० पु० ) गृढ़यासी साक्षीचति कर्मधा० । माक्षीविशेष । अर्थो या वादी अपनी इष्ट सिक्के लिये अटकना । ३ भद्दसिन्लाई करना, सोना, गॉथना । गुद (हि० पु० ) १ ग दा, मगज ! ( स्त्री० ) २ गर्त, प्रत्यथा या विवादाका समस्त कथा जिस माताका मुनाता गट्टा । ३ निशान, दाग। है वही गुढ़माक्षो कहलाता है। ग दगरी-बम्बई प्रान्तके कर्णाटक जिलेमें छोटी मिराज गदाग ढ़ता ( सं० स्त्री० ) गढ़ाग ढ़ास्य भावः गढ़ाग द- रियामतका सब डिबिजन और इसीका सदर । यह धार- तल्ल-टाप् । ग दाग दत्व, जटिल, कठिन। वाड़ में लक्ष्म श्वरसे ३ मोल दक्षिण-पश्चिम पड़ता है। गदा ( सं० षु०-स्त्री.) गदानि अङ्गानि यस्य, बहुव्री०। लोकसंख्या प्रायः ३१२८ है। महाहमें एक बार बाजार १ कच्छप, कछुवा । २ उपस्थ, भग, लिङ्ग आदि गोपनीय लगता है। यहां मामलसदारका दफतर, थाना, बालक प्रहः । (वि.) गढ़ गुण अङ्ग यस्य, बहुव्री०। ३ गुण और वालिका विद्यालय, डाकखाना तथा धर्म शाला है। देह, जिसका शरीर छिपा हुआ हो। ग दर-हिन्दी भाषाके एक सुप्रमिद्य कवि । कविताका गुदाङ्गि, (सं० पु० स्त्री०) गृदअद्धि यस्य, बहुव्री । मर्प, मॉप नमूना यह है- गढ़ मालर-अर्काटसे उत्तर बालाजापट तालुकके मध्य एक "मो कोई राम स्टे सोई जाने। जो जो मजो सो सुरपुर गया नरक भक्ति सयाने ॥ पुरातन ग्राम । यह बालाजापेटमे ३ मील दक्षिणमें प्रव- ताको महिमा क्या अभिषिको सागर दुहु सचाने। स्थित है। यहां पाला नदीके तट पर प्रात्रे यमहषिके प्रिय मिलवैको सभा मनो दोमता मानो। उद्देशसे चोस्लराज कर्तृक एक सज पत्थरका मन्दिर मानपतपमान मदीको बेदागरस बरसानी। निर्मित है । मुसलमानोंने शाहदत्-उल्लाको मस्जिदके बाको ममि मति पसभापत सवै भाग -1 निर्माणके लिये उक्त मन्दिरके बहुतसे पत्थर खोल कर गाव मूहब गुरुको दया जब तब होलीत १००० फुट अर्काट ले गये थे। किन्तु पीछे ग्रामवासियोंके यनसे 'गूदलूर-मन्द्राज प्रान्तके नीलगिरि जिलेका वह विन। ग्रेणाइट प्रस्तर हारा मन्दिरका पूर्ण संस्कार किया गया। यह अक्षा० ११ २३ तथा ११४० मोके निक ग ढोक्ति ( सं० स्त्री० ) एक अलङ्कार । इसमें कोई गुप्त बात ६१४ एवं ०६३६ पू० मध्य अवस्थित है। मुखमरेग्न तृतीय मनुष्यके प्रति किसी दूसरेके अपर छोड़कर कही म १२ गांव हैं। लोग मुलायम भाषा व्यवहारह शत- जाती है। हवा, सोने और अबरकका काम बन्द हो जाने ग ढोत्तर ( सं० पु०) किसी गढ़ अभिप्रायका उत्तर। नर बिगड़ा है। लोकसंख्या प्रायः २११३८ और माल ग ढोत्पन्न (सं० पु०) गढ़मुत्पन्न: । हादश प्रकार पुनोमिसे गुजारी ५३०००) है।