पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४७२

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१०. जिन-धमल लिन (स० पु०) यदुवंशीय शुरके पुत्र, वसुदेवके भ्राता। राधू ( स० पु० ) ग्ध वाहुलका त् कू । १ बुद्धि । एशोबन् ( सं० पु. ) स्तोत्र, स्तव। . २ कुत्सित । ३ अपान । गुरुडीव ( स'• पु० स्त्री० ) वृहत् शृगाल, बड़ा गोदड़। रन ( सं० त्रि. ) ग्रन, पृषोदरा दस्वादुकारस्य प्रकारः । मृत्म (सं• पु०) यति लिप्सति अनिन रध सकित्, दका- रन देखा। रान्तादेशः। १ कामदेव । (त्रि.) २ स्तवकर्ता, स्तव- ग्रघ्न, ( सं० लि. ) ग्टध्यति कामयते. लिप्सति वा धनमिति- करनेवाला। ३ स्तुत्य, जिसको स्तव करना उचित है। शेषः । लुब्ध, लोभयुक्त । ४ मेधावी, पण्डित, विज्ञ। ५ विषयाभिलाषी। ग्रन ता ( म० स्त्री० ) ग्रनोर्भाव रन तल टाय । अभि एत्मपति ( स. पु०) ग्टत्माना विषयाभिलाषिणां मेधा- लाष, अतिशय इच्छा, लुब्धता । विना वा पतिः, ६-तत्। १ विषयाभिलाषीगणका प्रति· राध्य ( स० त्रि.) गृध कर्मणि क्यप ।१ प्रभिन्नषणीय, पालक रुद्र । २ मेधावी प्रतिपालक रुद्र, विद्वानोंके रक्षक वाञ्छनीय । ( क्लो० ) ग्ध भावे क्यप । २ इच्छा, अभि- रुद्। यम देखे।। लाष । मृत्समति ( म० पु०) एक राजा। इनका जन्म वृहस्पति- गृध्यिन् ( म० त्रि० ) गृध्यमस्यास्ति ग्राध्य-इनि । अभि- वंशीय महोत्रके औरमसे हुआ था । (करिव २१ १०) लाषयुक्त, अभिलाषी। स्टत्समद ( पु०) १ एक मुनि, शुनक गोत्रके प्रवर-प्रवक्तक। ध्र ( स० पु०-स्त्री० ) Zध्यति अभिकाङ्गति मम गृध- विष्णुपुराणका मत है कि ये क्षत्रवृद्धवशीय महोत्रके क्रन् । १ पक्षीविशेष, गिद्ध, गीध । इसका संस्कृत पर्याय--- टतीय पुत्र रहे। इनके पुत्रका नाम शुनक था। दाक्षाय्य, वजतुण्ड, दूरदश न है । मम्तक के ऊपर अथवा ____ विपराण ४८ अ.) जिसके घरके ऊपर गृध्र भ्रमण कर उसका मृत्य निकट- महाभारतमें लिखा है कि पूर्वसमयमें देवराज इन्द्रने वर्ती ममझना चाहिये । २ जटायु पक्षी । (त्रि.) ३ लुब्ध, सहस्रवर्षव्यापी एक यन्त्रका अनुष्ठान किया था। महर्षि लोभी। मृत्समद उस यजमें मामवेद पाठ पदते थे। उनका पाठ गृध्रकूट ( म० पु० ) ग्रां प्रधान कूट यस्य, बहुव्री। सम्यक न होनेके कारण चाक्षुषमनुके पुत्र भगवान् मगधदेशके निकटवर्ती एक पव त । यह पर्वत गिरि वरिष्ठने उन्हें शाप दिया । इस शापसे उन्होंने मृगयोनि- व्रजसे २६ मोलकी दूरी पर अवस्थित है। इसका दूसरा में जन्म ग्रहण किया। ११८०० वर्ष पर्यन्त मृगरूपमें नाम लगिरि है। ये जलवायुविहीन विशाल जल में रहे। तत्पश्चात् राधूचक्र ( सं० पु० ) गिद्ध और चकवा। अपनी दुर्दशाको दूर करने के लिये इन्होंने महादेवजीका गृध्रजम्बुक ( सं० पु.) शिवजीका एक अनुचर । स्तव किया। शिवजीके वरसे इनकी इन्द्रसे मित्रता हुई गध नखी (मं. स्त्रो०) राधस्य नखस्तदाकागेऽस्त्यस्या एवं शालके पारदर्शी हुए। ___ग्ध, नख-पच गौरादित्वात् ङोष । १ कण्टकपाली २ ब्रह्मर्षि वीतहव्यके पुत्र । ये देखनमें ठीक देव वृक्ष, काकादनीका पेड़ । २ कोलिवृक्ष, बेरका पेड़। राज इन्द्रसे मिलते जुलते थे। एक दिन इन्द्रहषी दैत्य- ग्ध पति ( स० पु०) ग्धाणां पतिः, ६ तत् । एध गणों के गण इन्हें इन्द्र ममझ पकड़ कर ले गये, किन्तु अधिक अधोखर गिद्धोंका राजा, जटायु । चेष्टा करने के उपरान्त उन्हीं के हाथसे छुटकारा पाया। रध पत्र ( स० पु० ) ग्ध स्यप तमिव पत्रमस्य, बहुव्रो० । ऋग्वं दमें इनकी अनेक प्रशमा को गई है। १ बाण, तोर । २ कात्ति कके एक सैनिकका नाम । (भारत पशु. १०१०) राध पत्रा (म० स्त्रो०) गृध स्य पत्र मव पत्र यस्याः , हिन्- चिन देखा। बहुव्री० । धूमपला वृक्ष, तम्बाक का गाछ । मधु ( म० पु० ) ग्रध्यत्यनेनास्माहा गध कु । १ कामदेव गृध पुरीषः ( स० पु. ) गृध, पक्षीको विष्ठा । कन्दर्प । (नि.)२ पभिलाषुक, इच्छुक । गध मल ( स० पु० ) ६-तत्। गदुध पक्षोको विष्ठा