पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४९२

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४. गीतास्त्र-गहरों ग्रहीता (स० वि०) हीतमायेन, बहुमो । अर्थ है। किन्दु गण बहुत दिनोंसे इस ग्रन्मके मतानुसार धारी, जिसने हथियार धारण किया हो। वैदिककार्य का अनुष्ठान करते पा रहे हैं। वर्तमान महौतिन् ( स० वि० ) ग्टहीत ग्रहण प्रस्त्यस गृहीत- समयमें भी इसका मत प्रादरणीय है। सचराचर व्यवहार- इनि । कैतग्रहण, जिमने ग्रहण किया है। मैं यह ग्रहासूत्र नामसे उसख किया गया है। वेद एवं मई ( त्रि.) ग्रह-क । ग्रहण करनेवाला, ग्रहोता। शाखाभेदमें बहुतसे ग्रहासूत है। इनकी भाषा प्रायः एहशानिन् (म त्रि०) १ अबहुदर्शी, प्रज्ञान, जिसको वैदिक भाषाको नाई है। सूत्र देय।। ममझ नहीं है। २ नितान्त निर्याध, जिमको बोध ग्रहाक ( म० ति० ) हा स्वार्थ कन् । गृहासक्त पक्षी, नहीं है। घरमें रखनेकी चिड़िया । २ घराल मृग। ३ पराधीन । गृहरु ( म० पु० ) ग है रोहति रुह क, अलुकमः। गृहागुरु (स'• पु. ) शिव, महादेव । गृहजात वृक्ष, घरमें जन्मा दुवा गाछ। गृहाग्रन्य ( म० पु० ) ग्रहासूत्र । गृहेनर्दन ( म० पु. ) ग हे एव न ति नद णिनि अ- गृह्या ( स. स्त्री० ) हा टाप । बड़े ग्रामके नजदीक कम । कापुरुष, कायर मनुषा, ररपोक आदमी, वह शेटा ग्राम। मनुषा जो लड़ाई में मीरता दिखलाता और घरमें बैठ गू( सं० क्रि० ) १ शब्द करना, पुकारना, आशान करना, कर लम्बी चौड़ी बात बोला करता है। प्रशंसा करना, प्रकाश करना। २ खाना, निगलना, महेश (मपु. ) ग्रहस्य ईशः, ६-तत् । १ घरके स्वामी, मुखसे गिरा देना। ३ जानना निशान करना, प्रकाश घरका मालिक । २ राशश्वर । करना, सिखाना। गृहेम्बर (सं• पु०) गहस्य खरः, ६-तत् । गहके पधिपति, गङ्गटा (हिं० पु० ) कर्कट, केकड़ा । घरका मालिक। गण्ठी (हिं. स्त्री० ) ग्रष्टि, वाराहीकन्द । महोत्पात (सं० पु०) गरस्य उत्पातः, ६-तत् । घरका विन, | गैण्ड (हिं. पुं०) १ काण्ड, जखके जपरका पत्ता .मगौरा। घरका उपद्रव। २ गोष्ठ, घेरा जो जग्खके पत्ते, सरसोको उण्टो तथा मंडीपकरण (मो०) रहस्य उपकरणं.-तत्। ग्रह परहरके शेष्क काण्ड से बनाया जाता है, इममें रहस्य सामग्री, घरको तैयार करने में जिन जिन चीजोका प्रयो- | भूमा देकर अब रखते हैं, ठेक। जन पड़ता है. . . . ? | गणना (हि. क्रि० ) १ पतली छोटी दिवारसे स्खेत यहोसिका (स'.बी.) गृह बात सामान बाहुस- धेरना । २ अनाज रखने के लिये ठेक बनाना । ३ धेरना। . कान संप्रसारप टापू पत इत्लप। ज्येष्ठी, छिपकसी। "कुलहाड़ीसे काटना। ग्या (सं• पु०) गयी पनवादिभिः ग्रह-बाप । १ ग्रहा गेहलो (हिं. मी. ) कुण्डली, कुडस, फैटा । साल पची, बरमें रखनका पक्षी। २ ग्रहासत मृग। गैडहिया ( देश ) नानाप्रकारके रसके रोए या जन । गेंडा (हिं. पु० ) १ काण्ड, देखके शोर्षमागकी पत्तियां । •)४पखतन्त्र, पराधीन। ५पायत्त, २ ईख, गना, ऊस, केतारी। ३ खेतमें बोनेको चिके वश्य, विनीत, यासनीय। । पत्य, पक्षपाती । यह भवः | ईटे टुकड़े । ४ पीतल और तर्षिको लाल कर पीटने- गायत्। ७ होत्या, की चरम पैदा हो। (पुं० ) की पत्थरकी निहाई । यह निमित्त पनि ) उस अग्नि सम्ब. गंडपा (हि.पु.) १ किया, वालिश, सिराहना । २ धीय काम। (पु. ) ग्यचन्ने सचन्ते वेदविहितानि हत् कन्दुक, बड़ा गेंद । कम काण्डानांत्र ग्रह-पप । १० वैदिक सूत्रविशेष । गैडरी (हि. स्त्री० ) १ कुण्डली, घड़ा रखनका रस्मोका इसमें टहस्थ जन्मसे मृत्य पैसवार्य कलापकी अनु- बना पा मंडरा, विड़वा । २ फेटा । ३ सापोका बा- ठान प्रणाली और कर्तव्याकत भैलोभौति पति लाकार होकर बैठना। मसहार।