पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४९५

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गेवोखाखो-गैड़ा को गोदावरी औरगाबाद जिलेसे उसे अलग करती है। १ कापुरुष, कायर, डरपोक, भारु। २ घरमें पागका १३५ गांव हैं। गेवराई गांवमें कोई ३८६५ पादम लग जाना । घरका जलना। रहते हैं। गहन (सं० त्रि.) गेहे: अलुक्समासः। कापुरुष, रोवीखाली-बङ्गालके मिदनापुर जिलेमें तमलुक मय कायर, जो सिर्फ घरमें बैठ कर आत्मश्लाघा किया करता डिविजनका एक गांव। यह अक्षा० २२१० उ. और । देशा०८७५७ पू०में हुगलो नदीके दक्षिण तटपर पदत' गहष्ट (स० त्रि.) गेहेष्ट: अलुकसमा० । जो अपने है। जनसंख्या ५२४ है। यहां व्यापार बहुत होत घरमें धृष्टता प्रकाश करता है, गर्बयक्त । है। ईष्टन बङ्गाल ष्टेट रेलवेके लिए एक जहाज डाय गेहेनचिन् (मंत्रि०) गेहे माईति गर्जति नई णिनि अलक- मगड हारबर पाता जाता है। स्थानीय आलोकग्रह समा० । कापुरुष, जो घर पेठवार गर्जता है, किन्त बाहर को 'कोकोलो' कहते हैं। जानसे एक बात भी मुखसमी निकाली। गेषण ( मं० पु. ) गाण। १ रनोपजीवो, जो नाचग गहमोहिन् (सं० वि०) गर्ह मुह्यत मुमकिमि सबस,महा, कर अपनी जीविका निर्वाह करता है, रण्डी, भाँड।। आलमी। २ मामगानकर्ता, मामवेदका गान करनेवाला । ३ पर्व गह विजितम् (२.वि.) गेहविजितं प्रयास्ति रोग ग्रन्थि, अवयवभेद। इन । कापुरुष । गेहे थे दिन देखी । गेषण ( मं० पु०) गा इष्णुच । १ गायन, गानेवाला. गवंया, गेहे-याड़ ( म० पु० ) दाम्भिक, धत, कली, कपटी। गायक । २ नट, भाँड। ३ मामगानकर्ता मामवेदः गेहेशूर ( मं० पु० ) अलुक ममा० । कापुरुष, जो सिर्फ का गायक, मामवेदका गान गानेवाला। घरहीमें शूरवीर हों। गहन दग्वा । गह ( म०लो. ) गो गणेशो गन्धर्वा वा ईह ईमितो यत्र गेहोपवन ( मं० लो० ) गेह ममीपवर्ती उपवनः गये बहुव्री। गृह, घर, मकान, निवासस्थान। निकटस्थ उद्यान, घरकै नजदीकको फुल्नवाड़ो। गेहदाह ( म० ए० ) गैहस्य दाहः. ६-तत्। राहदाह, . हा (मं० वि०) गेहे भव: गेहाय हितं वा। १ गहोत्या, घरका जलना। घरमें आग लगना। जो घरमें उत्पन्न हा हो। २ घरके हिसकर। (पु.) गेहधूम ( मं० पु० ) यहधूम, झूल । ३ धन, दौलत, जायदाद। गैहनी ( हि स्त्री० ) घरवाली, गृहिणी, भार्या, पत्नी। गहुअन (हिं. पु० ) मटमले रंगका विषधर म । गेहपति ( मं० पु०) गेहस्य पतिः, ६-तत्। गृहपति, गहा (हिं० वि० ) वादामो, गेह के रंगका। घरका मालिक । । गेहूं ( iह पु० ) गाय म देखा गरभ (सं० स्त्री.) गेहस्य भूः, ६-सत्प | एहस्थान, गैंटा ( देश.) कुल्हाड़ी। वह जगह जहां घर निर्माण किया गया हो। गैडा-एक चतुष्पद जन्त, कोई चौपाया जामवर । यह गहन (सं० पु० ) गेहमस्यास्ति गेह-इनि । गृही, घरका स्थ लचर्म और विभक्त खुरविशिष्ट पशवोंमें गण्य, प्रति मालिक । भय दृढकाय और हस्तीको अपेक्षा भी अधिक बलशासी गहिनी (सं० स्त्री०) गेहिन् डीप । ग्रहिणी, घरवाली, रहता और भुक्त वस्तुको उहीरण करके फिर रोमन्य नहीं भा-- करता। इसकी नासिकाके अग्रभागमें एक या दो वा गेहव डिन (सं० त्रि०) गेहे खेड़ते खेड़-रनि पात्रे समिः (सौंग) निकल पाते और चारों पावो के खुरपको तादित्वात् अलुक्ममा०। डरपोक, कायर, वह मनुषा विभक्त हो जाते हैं। यह पालनेमे हिल जाता, परमा जो लडाई में अक्षम या भोर रहता किन्तु घरमें बैठ कर हठात् किसी कारणसे कुपित होने पर वह सहकमें अपने पराक्रमको डौंग शंकता है। प्रसन नहीं पाता । बममें शावक श्रादिके साथ विवरण गेहदाहिन् (सं० वि०) गेहे दहति दह-नि पलुक्समा। कालको यदि शत्र पा करके इमको घर लेता, तो प्राच Vol. VI. 124