पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४९७

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मेंड़ा ४८५ दित रहता है। स्कन्ध ओर नितम्ब पर थोड़ा परत देख ! itlol) जातीय गण्डक सर्वापक्षा भयानक पोर बलिष्ठ पड़ता, अपर सकल ही स्थान मरल लगता है। मस्तक है। इसके दोनों कण बराबर रहते हैं। सम्म खका पक्षात्को लटकता पार पक्षात्का सम्म खको मुकता है। ऊपरी होठका अग्रभाग नोकदार और कुछ लटका हुषा होता है। होठ नुकोला-जमा होनसे यह छोटो लता, गुल्म और वृत्त आदिको ताजी ताजो पत्तियां छांट करके खा मकता है। अन्यान्य गंडात्रीको अपक्षा इमको गुद्दो ज्यादा लम्बी लगती है। जोधर्म भीतरीक काले काले धब्ब और नाक पर तथा आँखक चारो पाखा पर छोटे सुमाया हाके पोका वोरिलो। छोटे गट्ट पड़ जात हैं। इसका घ्राणन्द्रिय अतिशय सूक्ष्म २ किटलीया, और अंत दिखामख ॥ है। यह क्रोशाधिक दूरसे भी मूंध करके शत्र का प्राग- अपेक्षालत लम्बा, चतु छोटा तथा धुधला, ऊपरी होठ मन मालम कर सकता है इमोसे गड़े के आक्रमण नुकोला और सामनेको लटकता हवा, कान कोटा, पतन्ना कालको शिकारो वायुगतिको विपरीत दिकको गमन और चारों और झालर जैसे काले बालोंसे मजा हा करने पर वाधा हैं। शत्रको निकटवर्ती देख करके यह सामनका सींग पाकेका टेढ़ा और दोनों आखोंक नीचे पलायन नहीं करता वरन् उमको विनाश करके हो चूड़ालति ओर एक छोटा खड्न होता है। क्षान्त पड़ता है। इसक चक्षु अति क्षुद्र और स्थ लकाय. अफ्रीका देशीय गडे का ( R. Adricanns. ) वर्ग प्रयुक्त हैं द्रुत गमनकालको यह हठात् पाश्व में दृष्टि पीताभ कपिश, मस्तक तथा मुवविवरक पार्श्व में वैगन डाल नहीं मकता। इम गेंड के हारा आक्रान्त होने पर जैमा नीला कोखें लाल, अखि धुधली और दोनों कच. एकाएक किसी ओरको घूम करके ही बच जाना चाहिये। कर्ड काले लगते हैं। मामनका सोंग पोछेवालेसे कुछ यह ११ फुट आध एच लम्बा और ५ फुट ऊंचा होता है। बडा और टेढ़ा पड़ता है। गले और मम्तकके सन्धिस्थल खेत खङ्गी ( R. Simus ) देखनमें कुछ कुछ पोत में गोलगोल कटाव रहता और पूछ तथा कानके अग्र मिश्रित धूमर तथा पिङ्गलवर्ण है। कान और पूछको भागमें सावण लोम निकलता है। अपरापर देशीय जडमें काले काले कड़े बाल होते हैं। मुख कछ कुछ गेंडाांकी तुलनामें यह अलस रहता और अल्पमात्र गोका जैमा लगता है। नाक पर २ खल उठते हैं। अगले खाया करता है। इसको केवलमात्र २८ चवण दन्त पात, भागका कचकडा पिछलेको बमिस्वत चौगुना बड़ा होता छेदनदन्त बिलकुल देखे नहीं जावे। यह १० फुट ११ | है। चक्षु पोताम पिङ्गल लगता है। शरीर १२ फुट १ इञ्च लम्बा होता। सवा और लपटोला अफ्रीकामें और भी तीन प्रकार में हैं।" है। अफ्रीका को जाति सपिता माल प्रत्येक जातिको ही दो दो खङ्ग निकलते हैं। यह कच है। यह अतिशय निरोह और केवलमात्र बास खा कर कर्ड भारतवर्षीय गडाकि मोंगसे बड़े होते हैं। इन के जोवन धारण करनेवाला है . जहाँ घास प्रचुर परि- का चमड़ा मोधा रहता और उसमें परत नहीं लगता | मागामें उपजती रसको रहना अच्छा लगता है। मधा यह देखनमें किसी बड़े सूबर-जैसे समझ पड़ते हैं। अफ्रोका बेचुयाना लोग इसको 'मोहह' कहते हैं। . दक्षिण अफ्रीकाका 'बारिता' गैड़ा। ( R. Bico. इनमें प्रवाद है कि वही अफ्रोकाका आदि जीव है जो rninकाना होता है। यह अति चतुर और दुर्धष उनको परपुरुषों के माथ एक ही गुहासे निकला था। Kी उसको सिंहकी अपेक्षा स्वभावतः बलशालो सिवा एसके उसकी उत्पसिके संबन्धमें कोटलोयासे प्रभेष्ट तार कसा समझते हैं। 'कोटलोया' ( R. Ke- | भी देख पड़ता है। . .