पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४९९

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पेड़।

डारिन १६. बयेड़ डंकिनने अपने बनाये प्राणिसमें कहा है कि | गबर ( देश ) एक तरहका पक्षो जिसके उने, छाती और टस नहीके कंकरोले उपङ्कलमें किसी समय सीन भिन्न पोठ उजले, दुम कासी और चोंच तथा पैर लाल होते जातीय गेडामोका वास रहा। ( Boyd Dawkius' | Nat. list. Rev. 1865 p. 403.) गबो (म०वि०) १ गुप्त, विपा इमा। २ अज्ञात, अवोध- १६६८ ई०को लन्दन नगरकी मुद्रित 'चार्थानन्युज' | गम्य, अजनयवो। नामक पत्रिकामें प्रकाशित हुआ कि उम शहरका कोई गयर (अ.पु.) गजवर, हाथी । गिरा हुवा कुवां खोदते समय एक जातीय ( R. ticho- | गया ( हिं स्त्री० ) गो, गाय, गऊ। rin u-) गेड़े की हड्डी निकली थी। प्राणितत्त्वविद्ने गर ( अ० वि० ) १ अन्य, दूसरा । २ अपने कुटम्ब या उक्त जातीय गण्डका अस्थि फ्रान्म, जर्मनो और इटलीमें ___ ममाजसे बाहरका मनुष्य । जगह जगह देखा है। गैर ( अ० स्त्री० ) अत्याचार, अनचित कम्म, अंधेर। ७७१ ई० दिमम्बर मामको उत्तर माइबेरियाको गर (मंत्रि०) गिरी भवः गिरि अगा। १ पर्व तोत्पच, जो जिमोवे-दि-बोलौदस को नदीके वालुकामय उपकलमें अधे पर्व तसे उत्पन हो। २ एक वृक्षका नाम लाग लोका प्रोत्थित किमी गगड़का देह मिला था। बहुत दिनों तक उमका गात्रचर्म नहीं गला ओपन माहबने उमो गैरकंवल (सं० ली.) नीलकण्ठताजकोक्त वर्ष और लग्न जातीय (hich rinc) गैडेका मस्तक और पदको दरकु कालिक ग्रह योग विशेष, नवम ग्रह योग। टस्क नगरमें देखा था और भी मालूम हुआ है कि उम गरखी (हिं. स्त्री०) गले में पहननका एक तरह आभूषा, जातिके गड़े शीतप्रधान लोन नदी किनारे तक पहु हंसुली। चते हैं। ( मका विस्त्र । विवरण Memoirs of the Academy of गरत ( अ० स्त्रो०) लज्जा, शर्म , ग्लानि । St. Petersburg नामक ग्रन्थ में द्रष्टव्य है।) इसेक्स प्रदेशके गरमनकूला ( अ.वि.) स्थिर, अचल, वह पदार्थ जो ओयालटन नगर और नारफोकके क्रोमार बन्दरमें भी एक स्थानसे दूमरे स्थान तक उठाकर न ले जा सकेयर किमी स्वतन्त्र जातीय गगडकका अस्थि मिला। एक शब्द सिर्फ 'जायदाद' शब्दमें व्यवहृत किया जाता है। ममय डालेगड और तनिकटवर्ती होप समूहमें उसो गरमामली (अ.वि.) १ अमाधारण । २ नित्य नियम- जातिके बहुतमे दिखनी गेड़े रहते थे। के बिरुद्ध । गती (देश) जमीन खोदनेका एक हथियार, कुदाल । गरमुनासिव (अ.वि.) अनुचित, अयोग्य । ग( मं० कि०) गीतगाना, गानमें प्रशंसा करना । गैरमुमकिन ( म०वि० ) असंभव, न होने योग्य । गतो (देश) हिमालयके किनारे पर होनेवाला एक पेड़ गैरवसली ( अ० स्त्री.) घरको छत बनानको क्रिया जिस इमकी लकड़ी बहुत कठिन और अंदरसे सुख होती है। में वासकी पतली कमाचियोंको मजबूतीसे केवल वन इससे मानाप्रकारके सामान बनते हैं। गैन (हिं० पु.) १ गेल, मार्ग रास्ता । गर वाजिब (अ.वि.) अयोग्य, अनुचित, बेजा। गैना (हिं. पु०) छोटा वृषभ, नाटा बेल । गैर हाजिर (प्र० वि० ) अनुपस्थित, जो मौजूद न हो। गफल (फा. पु०) जहाजका एक छोटा पाल। गै फज कञ्जा ( फा० पु. ) पालको नीचे और ऊपर करने गैरहाजिरी ( अ० स्त्री० ) अनुपस्थिती, नामौजदगी । की रस्मी। गैरायण ( सं० पु. श्री०) गिरे!त्रापत्य गिरि-फत् । गब (अ.पु.) परोक्ष, वह जो सामने म हो। गिरिका गोत्रापत्य, गिरिगोत्रकी मन्तान । गैबी ( अ. वि. ) परोक्षका जाननेवाला, सर्व देश पौर | गैरिक ( सं० लो०) गिरी भवः गिरि-घञ्। १ उपधातु- सर्व कालन्न, वह जो समस्त देश और कालका हाल विशेष, गेरूमिट्टी। इमका पर्याय-रक्तधातु, गिरिधात, जानता हो । गये धुक, धातु, सुराधातु, गिरिमनव, वनालत, गवेकर Vol. VI. 125