पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५०१

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गैलौलिया-गैस ४५६ पतित पदाथ को आकर्षण शक्तिका इसी नियमसे ( क टिउकन उन्हें टामकानिमें लौट जानके लिए अनुरोध फिट २) आविष्कार किया था। इस गति-नियमको किया था। इमो समय पोपने उन्हें अपना मत छोड देनके लेकर एरिष्टटन्न मतावलम्बियोंसे बहुतसा झगड़ा हुआ, लिये आदेश दिया था। इस घटनाक थो दिन पौके इसलिए उन्हें पाईमाको परित्याग कर पाटुमा नामके गेलो लोका एक प्रधान ग्रन्थ प्रकाशित हा, इसमें भो नगरमें चला आना पड़ा था। यहाँ वे भिनिसियान | उन्होंने कोपाणि कम, टलेमि और आरिष्टलकै पक्षका मम विश्वविद्यालयमें अतारह वर्षके लिए अङ्गशास्त्रको वक्त ता | र्थन किया था । रम पर पोपने एमा आदेश दिया कि, देने के लिए नियुक्त किये गये। कुछ दिन बाद उनकी | जिमसे वे फिर कोई भी पुस्तक न प्रकाशित कर मकें। इच्छा हुई कि, जन्मभूमिमें हो रहे। उन्होंने पाईलामें परन्तु गैलीलिओन नाना प्रकारक कौशलोंसे पोपमे पुनः पहिलेके काम लिए पुन: प्राथ ना पत्र भेजा। उनकी अनुमति ले ली और १६३२ ई में लोरेन्म नगरमें " इच्छा पूर्ण हो गई। पर शत इतनी रहो कि, जब तक Dilogy intornoi due massimi Sistorimi lal वं अधापकका काय करेंगे तब तक अपना निज Monda नामकी एक पुस्तक प्रकाशित कराई था। अभिमत जनतामं न फैला मकंग। वे पाईमा पहुच पुस्तक प्रकाशित होते हो विचारार्थ दण्डनायकांक गये। पाटुअा व जन तक रहे थे, तब तक उनकी हाथमें पड़ो। पोपने पुस्तक पद कर ऐमा ममझ लिया वकटता सुनने के लिए यूरोपके नाना स्थानीसे बहुतमी कि, 'गेलोलिअनि मेरो ही दिल्लगी उडानक लिये यह कात्रमगडलो आया करती थीं। उन्होंने पहिले पहिल | पुमतक प्रकाशित की है।" दर्शनशास्त्रक उपद शाको मरल इटालीकी छन्दमें अनु उम समय गैलीलियोकी उम्र ७० वर्ष की थी । इम वाद किया था। उनक आविष्कारों में एक प्रकारका ताप | बुढ़ापे में भी उन्हें विचाराधीन होना पड़ा था। उनके यन्त्र, दिग्दर्शनयन्त्र और सर्व ज्योतिर्विद्याओं का आदरणीय ऊपर काफी अत्याचार किया गया। जिसमे व उन्हें तङ्ग दूरवीक्षणयन्त्र ( Refracting telescope) ये तीन हो । हो कर अपना मत परित्याग करना ही पड़ा था। इतने प्रधान हैं। १६०८ ई में उन्होंने अपना आविष्क,त प्रथम | पर भी उन्हें छुटकारा न मिला, जलको मजा भुगतनी दरवोक्षण मिनिसके प्रधान विचारपतिको भेटमें दिया पड़ी थी। फिर टामकनिके ग्रेण्ड डिउक वार वार था। इसी मालमें उन्होंने ट्रमरा एक अणुवीक्षणयन्त्र प्रार्थना करने पर पोपने गलीलियोको मुक्ति प्रदान बनाया था। की थी। इन दिनों वे अपने दूरवीक्षणणांसे ज्योतिष्कमण्डली. ___ अन्तिम जीवन उन्होंन आसेंटी नामक स्थानमें बिताथा का परिदर्शन किया करते थे। १६१० ईमें ७ जन था। उम ममय वे आखासे अच्छा देख न मकते थे । वरीको रातको उन्होंने वृहस्पतिग्रहके ४ पारिपाश्विक | परन्तु तब भी उन्हीन जोवनके आखिरी दिन में वैज्ञानिक उपग्रह देखे थे । १६११ ईमें वे रोम नगरीमें गये थे। | चर्चा करते हुए ७८ वष की उम्रमें १६४२ ई०की प्वी वहां पर उन्होंन खब सम्मान पाया और 'लिसियाई | जनवरोमें इह जीवन छोड़ा था । साण्टाक शर्क मन्दिरमें एकाडेमी" नामक विश्वविद्यालय मभासद बनाये गये। उनका स्म तिधित अब भी मौज द है। इसके कुछ ही दिनों बाद वे कोपणि कसके मतके समर्थक गैस-१ एक प्रकारको वाष्य विशेष । पहिले रामायनिकों बन गये। इसमे जनताने उन्ह नास्तिक मतका प्रचारक ने दो प्रकारके गैमौका निश्चय किया था,-एक स्थायी ममझ कर निरादर किया था। उन्होंने कमीको बात पर गैस ( Permanent Gas ) और दुमरी अस्थायो गेम ध्यान न देकर ‘सूर्यमें कन्नर' नामक एक पुस्तक लिखी, (Nonvermanent Gas) । उनके मतमे, यर्थष्ट उत्ताप उममें उक्त मतकाब हो ममर्थन किया गया था। अपने और दवानेसे जो गैस नष्ट नहीं होती, उसे स्थायो गेम मतकै प्रसारके लिये वे दूमरी वार भी रोममें गये थे। कहते हैं, जैसे अक्सिजन, हाइड्रोजन इत्यादि और जो परन्तु वहां पर उनकी प्रासन विपद् जान कर ग्रेण्ड' गैस ताल की जा सके, वह अस्थायी गैस है।