पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५१९

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मात्रा में प्रासादमाला सुन्दर मुमज्जित, प्रत्यच्च गिर्जा और | हुआ था। इस समय ररिम पौर विउतिम पात गोजके प्रच्छ अच्छ मठ हैं। भारतमें पोत गोजको नाई' धन । हाथमे निकल गये। पोर्त गोजराज्य के प्रतिनिधि भी वान् संमारमें बहुत थाई हैं, किन्तु यह धनगोरव हो । दुर्ग के अवरोधकालमें मारे गये। पीरो और जिल्पम् इन्हों के ध्वसका मूल है।" १६७५ ई०को एक दूमरे दुर्ग सुन्दाराजाको तथा विचोलिम्, संकुलिम् और अग्लो मनुष्यन गोत्रा प्रदर्शन कर लिखा है,-"भारतमें यह रोम क्षेममामन्तको लौटा देनक लए पोर्तगीजन आदेश दिया, नगर जैमा सप्तशेलके ऊपर अवस्थित है। चारो ओर उस समय हैदरअलीके हाथमे बच के लिए मुन्दाराजा- विश्वविद्यालय, उच्च भजनालय और बड़ी बड़ो अट्टालिका | ने पोर्तगीजको जांबुली, रामेश्वर और कोणाकोण नामक हैं, किन्तु अधिकांश ध्वंश हो जाने पर यह नगरी लज्जा भूभाग अर्पण किये। एक वर्षकं बाद क्षेममामन्तन पोर्ट- से अधोवदन की हुई माल म पड़ती है।" गोजक साथ फिर भी विरोध ठाना, अन्तम पोत गोजांसे १६८३ ई०हो शम्भाजोन अकस्मात् गोगामें प्रवेश कर परास्त हो, उन्हें आलोगा, पर्णम्, म निम् और चिरी नगर लटा था,उम ममय किमोसे महायता पानकी आशा लिम् छोड़ देने पड़े । सैकड़ों आक्रमणां और मरी रोगसे न थी। मे ममयमें मद्याट्रिसे बहुतसे मोगलमेन्यने श्रा गोपा नगरो धार धोरे उजाड़ होने लगी। महागष्ट्रों को पराजय और वशीभूत किया । थोडे दिनों पोत गोज गवन मण्टने राजधानीका पुन: मंस्कारको के बाद फिर मावन्तवाडोमे भोनमलेन आकर गोत्रा चेष्टा की । अधिक रुपये व्यय होने पर भी कुछ मफलता राज्य पर आक्रमण किया, परन्तु वे भी पोत गोजीम हाथ न आई। पहलेसे ही अधिवामीगण धीरे धीरे परास्त हो गये। नदोके मुहाने पर अवस्थित पञ्चीम या नय गोयामें बस इम समय पोर्त गोजीन महाराष्ट्रोंके अधिकृत विचो रह थ, तब यहां नयी राजधानी स्थापित हुई । १८वीं लिम् टुर्ग ध्वंश तथा कोयुत्रम् और पन्लेम् नामक होप शताब्दोमें गोपाको अवस्था बहुत शोचनीय हो गई थी, अधिकार कर लिया । १७१७ ई०को वारदेश और यहां तक कि आयसे भी वहांका खर्च अधिक था; और चपोराको सीमामें दो दुर्ग निर्मित हुए। १७३२ ई० मे | सेनाध्यक्ष ( Captain ) ६) रु.मे अधिक वेतन नहीं १७४१ ई. तक पोतगीजो के माथ महाराष्ट्रका युद्ध होता पति थे। महाराष्ट्रॉस रक्षाक लिये जो दो हजार यरोपोय रहा। इस समय भोन्मलेमे गोआ राज्यके नानास्थानों सेना नियुक्त हुई थो, उनका खर्च पोत गलक राजाको हो में टमार करते थे। अम्तमें नये राजप्रतिनिधि मार देना पड़ता था। कमान हमिल्टन लिख गये हैं कि हम ओफ लरिशालने १२०० यूरोपीय संन्यके साथ ले उम समय भी गोआके निकट पर्व तके अपर बहत गिजे वारदेशमें महाराष्ट्रों को पराजित किया और गोवा राज्य और कुमारीमठ तथा प्रायः तीम हजार रोमन कैथोलिक मे उन्हें भगा कर पोराडा तथा दूसरे कई एक छोटे छोटे याजक थे । भकलियोनी १७३८ ई०को महाराष्ट्रॉन गोवा राज्य पर बहुत उप. मेमसामन्त पोत गोजके करदरूपमें गण्य हए थे। हम द्रव मचाया था। ईमाई यति और संन्यामियोन भीति हो घोर युद्ध के बादभी महाराष्ट्र शान्त न हए, उन्होंने भोनमले मागोव नामक स्थानमें आश्रय लिया था । जो कुछ हो के माथ मिल पोर्तगीजर्क माथ फिर भी लड़ाई ठान दी। गोपाको दरिद्रता घटी नहीं। पदस्थ राजपुरुष और बोर मारक्र म ओफ काष्ट लो ( Marquus of Cush सेनाओं को अमितव्ययिता भी दूर नहीं हुई। tilo Novo ने पालोर्मा, तीरकूल, नितिम, ररिम और १८०१ ई०को फरामोमीयोंकि युद्धकालमें अंगरेज सङ्ग लिम्को दावन किया। १७६० ई०को पोर्त गोजके पोर्त गोजोंके माथ मिले थे। १८१०ई०को पोतं गीज के प्रतिनिधि मारक्क एम प्रोफ तवाराने सुन्दाके राजाको प्रतिनिधि काउगट ओफ लिपोपर्दोने उप्मा और रस्मिक पराजय कर पोरौ दखल किया। इसके बाद राजप्रति- दुर्ग पर आक्रमण किया था ' १८३५ ई०को राशी (२री) निधिपाल्वारके समयमें महाराष्ट्र के साथ घमसाम युद्ध' डोनाम रि | डोनाम रियान वार्ना डो परेश-डा-सिलभा नामक एक Vol. VI. 130