पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५२४

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५२२ गोपा धारिणी सुमुखी नामको एक ब्राह्मणकन्या वहां जा कर १८७८ और १८८० ई०को उनका मृतदेह प्रदर्शित हुआ सोको कष्ट दिया करती थी। एक दिन कई एक था। उस समय पृथ्वोके नाना स्थानोंसे मव सम्प्रदायक स्त्रियां आ रही थीं, राक्षमीने उन पर आक्रमण किया। ईमाई विशेषत: लाखों कैथोलिक और बहुतमे हिन्दू भो स्त्रियां जोरसे चिल्लाने लगीं। मिद्धपुरुषन ऐमा देख उनके पवित्र देहकङ्गालको देखने के लिये आये थे । और रक्षा लिए अपनको अममर्थ ममझ शिवजीका बहतोका कथन है कि, उनके मृतदेहको ऐसो महिमा आह्वान किया। दीनवत्मन्न भगवान्ने आविर्भत को एक रही कि अनेक अमाध्य रोगो भी दर्शन और म्पश नमे हो हुङ्गारमे राक्षमोका विनाश किया; तथा वे लिङ्गरूपमे रोगमुक्त हो गये थे सेन्टजेभियरके शवाधारको एक उम स्थानमें रहने लगे। मिडने आगधना की थी इम. चाभी गोआके विशप और दूमरो गमके पापक निकट है। लि7 उनका नाम मिहेश्वर हुआ है। इनके दर्शनसे यहां एक तिहाई भूममें खेतो होतो है। कितनी ममम्त पाप विनष्ट होते हैं।' ( साद्रि० माङ्गोशमा०) ही जगह कङ्कर पत्थर भरा है । खाद बहुत डालते हैं। फिर भी मह्याद्रिवगडके उत्तराई में लिखा है कि चावलको उपज अधिक है। इसकी दो फमलें होती हैं। "परशुरामने बिहोत्रपुरसे भारद्वाज, कौशिक वत्स्य, कोंः गर्मोमें मींचमे काम लिया जाता है। नारियल लगानको डिय, कश्यप, वमिष्ठ, जमदग्नि, विश्वामित्र, गौतम और भी बड़ी चाल है। फलोंमें आम और कटहन प्रधान है। अत्रिगोत्र इन दश ब्राह्मणों को ला कर थाइयज्ञादि वेलहाम कनक्तिमताम प्रान्तमें कषकीको दशा खेतीको निर्वाहक लिए उन्हें पञ्चक्रोशी गोमाञ्चलके मध्य स्थापन चीजोंका दाम बढ़ने और अङ्गरेजी राज्यको लोगोंक चले किया था। इसके मिवा त्रिहोत्रमे उन्होंने मागिरीश, जानसे सुधरी, किन्तु नोवम कनक्किमताममें कहते हैं महादं व, महालक्ष्मी, महालमा, शान्तादुर्गा, नागेश और जमीन्दारों के अत्याचारसे बिगड़ी है। समकोटीश्वर प्रभृति बहुतमे देवता ला गोमन्तमें स्थापित नोवस कनक्क्षिमताममें ११६ वर्गमील जगन्न है । किये थे ।" ( महादिखा ऊत्तराई १म१० ४८.५४ सो) कुमरो ( परिवर्तनशील ) खेतीमे कौमती पड़ मारे गए ' गोपाके देशीय ईमाईको गोप्राइज कहते हैं। हैं। जङ्गलकी आमदनी कोई २५ हजार रुपया मालाना पोर्तगोजान गात्रा पर अधिकार कर बहतसे मनुष्यों को है। कई जगह लोहा निकलता है। अपने अभ्य दयक ईमाई'बनाये थे, उनके वंशधर आजकल गोप्राइज नामसे समय गोत्रा पर्व तथा पथिमकै मध्य व्यवमायका प्रधान मशहूर हैं। ये मफेद जिनके पाजामा और कोट पहनते स्थान था। ईरानो खाडीके माथ घोड़ीका कारबार अधिक है, मर पर जरोदार टोपी और पनहीं पहनते हैं। स्त्रियां रहा। किन्तु पोर्तगोज मात्राज्यका अधःपतन होने पर घरमें रंगीन साड़ो और चोलो व्यवहार करतो, किन्तु गोआमें व्यवमा य कम पड़ गया। कोई बड़ा काम काज गिर्जा जाते समय मफेद माड़ी और ओढ़नी काममें लातो नहीं होता नारियन्न, सुपारी, प्रा.), तरबूज, कटहल, हैं। इनका खान-पान बङ्गालियों और उड़ियोंमे बहुत अन्यान्य फन्न, मिच, गोंद, रम्मोकी चीजें, जलानेको कछ मिलता-जुलता है। प्रातः कालमें काति, मध्याह्न- लकडी, विडियो और नमकको खाम रफ्तनो है । चुङ्गी में भात और सन्ध्याके बाद भात खाते हैं। इनके ईसाई से मालाना कई ५ लाख रुपया पाता है । मरमा. होने पर भी उनमें अब भो वर्ण भेदको प्रथा पाई जाता गोपामे दक्षिण मराठा रेलवे मिन्नो हुई है। १८ मड़कें है। प्रमिह इमाई-धम प्रचारक सेन्ट-जेभियरको ये विशेष भक्ति श्रद्धा करते हैं पोर्तगोजीके प्रथम प्रतिष्ठित प्राचीन पोर्तगाल के राजा गोपा, दमन और डिऊ प्रान्तके गोगामें मेन्टजेभियरका समाधिस्थान है। गोप्राइज लोग लिए एक गवर्नर जनरल नियुक्त करते हैं। उनका कार्य- वहां जा हाथ जोड़ कर मक्तिभावसे उस मिह पुरुषको काल ५ वर्षमें पूरा होता है। वहाँ जङ्गीलाटका भी काम पूजा कर पाते है। इसी सेन्टजेभियरके लिए गोमा करते हैं। उनके चीफ सेक्रेटरी नामक मन्त्रीको भी साईपीका महापुण्यस्थानके जेसा गण्य है। १८४२, नियुक्ति पोर्तगाल नरेश ही करते हैं। गवर्नर जनरल