पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५२८

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गोकाक-नाकुलजी सम्पत्तिराम जाला कालको पानी वरम जाता और यहां टुभि क्ष पड़ने नहीं गोकोम्न ( म० पु० ) गोः पृथिव्याः कोल इव । गोकिम देखा। पाता । गोकाक नहरमे २८ वर्ग एकर जमीन मिचतो गोकंद । हि० पु०) भारतको दक्षिणको नदियों में पाये है। घाटप्रभा नदी पर गोकाकका सुप्रसिद्ध निझर है। जानवाली एक तरहकी मछली। गोकाक-चम्बई प्रान्त के जलगांव जिलेमें गोकाक तालुक. गोकार ( म०प० ) वब मोटा ताजा और बलिष्ठ बेल । का मदर । यह अक्षा. १६ १० उ० पार दशा० ७४ गोकल ( म० की. ) गोः कलं, तत् । १ गोममून, ४८ पृ॰में दक्षिण ागठा रलव के गोकाक रोड ष्टेशनमे भगड । २ गोष्ठ, गोत्रांक रहने की जगह, गोशाला, ८मोल दूर पड़ता है। जनसंख्या प्रायः ८८६० है। गहान । ३ मथ गर्म दक्षिण कोण पर और यमनाके पहले यहां रंगाई और बनाई का काम वड़ा होता था। वाम तौरवर्ती एक पुण्यस्थान । गोपराज नन्द इमो ग्रामम लकहो और मट्ठोक खिलाने भो खब बनाये जाते थे। रहन ध। कृष्ण और वलरामने अपनो वाल्यावस्था इमो १८५३ ई० को मुनिमपालिटी हुड । नगरके पश्चात् भागमें स्थानपर बिताई थी । पूतनावध, शकटभञ्जन प्रभृति एक निर्जन पर्वत पिावर पर दुर्ग है। कहा जाता है कि अम्नांकिक कायका अनुशन भी यहीं पर हुआ था । उमको बीजापुरक आदिलशाही सन्नतानान बनाया था। लगानोन्नानत्र समझ कर गोकुल वैष्णवांका एक तोथ ११८५ ईको यह एक मरकारका मदर रहा । १७१७ है। यहां कई एक देव मन्दिर भी हैं। शिवशतनाम और १७५४ ई०को मावनरक नवाबोंन गोकाक अधिकार पाट करनमे जाना जाता है कि गोकनमें गोपीश्वर नामक करके मसजिद गजी खाना निर्माण किया । १८३६ एक शिव विद्यमान हैं। ई०को गोविन्दराव पटवध नकं मग्न पर यह अगरेजोंक गांकल-एक जैन ग्रन्थकार। नर्क ययाम 'सकमाल- हाथ नगा चरित्र भाषा' नामक सिर्फ एक ही ग्रन्थ मिलता है। नगरमे ३॥ मोल दूर गोकाक झरना है। यहां घाट गोकलचन्द्र -१ आन्हिलचन्द्रिका नामक मंस्कृत ग्रन्थ- प्रभा नदीका पानी एक चटान पर १७० फीट नीचेको। रचयिता। २ भगवद्गोताथ मारकं प्रणता । ३ रनिक गिरता है। घाटी को गाभा विचित्र है । वर्षा ऋतुम चन्द्रिका नामक गोवई नक्कत आर्यासहाशतोका एक टोका- समको देखते ही बनता है। नदीक दक्षिण तट पर कार। कर का पुतलो घर है। १८८६-१८०२ ई०को गोकाक हिन्दीक एक भशहर कवि। इन्होंने बहुतमी कवि- बांध १७ लाखको लागतसे तयार हुआ था। गोकाम ( म० त्रि.) गां कामयत गो कामि प्रण । गो। । तायें रचो हैं, जिनमेंसे एक नोचे दी जाती है :- बच्छक, जो गाय लेनको इच्छा करे। ए मन मेरो लागोर याम सुन्दर वा मों।। गोकामुख ( मं० पु०) भारतवर्ष स्थ एक पर्वत, हिन्दुस्तान- ___ गोकुलचन्द मनोहर मूरत चित घटक्य: वाही लङ्गारवा मौं । के एक पहाड़का नाम । गोकलजित् ( मं वि०) गोकलं जयति जि-क्विप. तुगा- मोकारु-उत्तर कनाडाका एक नगर। यह गोकर्णातीर्थ- गमथ । जिमम गोकल जय किया है। के पास पाम अवस्थित है। यहां तीर्थ यात्री आकर ठहः गोकुलजित्..एक स्मात पण्डित । इनके पिताका नाम रते हैं, विशेष कर माघ महीने मेले में प्रायः पाठ टश होरजित् था । इन्होंने इलदुर्गाधिपति कल्याणवर्माके हजार संन्यामो माधौर तीर्थयात्री यही टिकत हैं। प्रादेशसे १६३२ ई०को मंक्षपतथिनिर्णयमार मक गोकिराटिका (मं० स्त्री.) गावाचं किरति गो-क-क तथा संस्कृत ग्रन्य प्रणयन किया था। सतो अति अट गवस टाप । मारिकापक्षी, मना। गोकुलजी सम्म सराम जान्ला--सुराष्ट्र के एक विख्यात व दा. गोकिराटो ( मं० स्त्री०) गोकिरा वाचं रटन्ती मती अटति न्तिक एवं पारस्य मंस्कृत और अजीजीभाषावित पगिडत । पट अच् गोरादित्वात् डोष । मारिका पक्षो, मंना। ओप एक समय जनागड़के प्रधान सचिव थे । लडक- मोकिल (सं० पु०) गोः पृथिव्याः कोल इव । १मसम्म, पनसे हो पायको वेदान्तमें अनुराग उत्पन हुमा । एक २.साङ्गल, हल। समका जूनागड़में रामबाबा नामक एक वेदान्तिक