पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५४०

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गोण्डा तरह तरह के हरिण और जङ्गलो सूअर देखने में आते हैं। कलहंमियोंक मर्दार महाजसिंह नम दानदोकी तरहटोमे नदियों में मछली, मगर और कछुए आदि भी अमख्य यहां आये थे। पौके उनको मम्राट ने हिमान्नय और हैं। यहां दोघ चञ्च, वनकुक ट, मयूर, कब तर आदि' धर्धराक मध्यवर्ती लागीको वश करने के लिए नियुक्त नाना प्रकार के पक्षिया दग्वनमें अते हैं। किया। उन लोगांन पहले वर्तमानक कुगशा नगरम ___ उप जिनेका प्राचीन इतिहाम थावम्तो नगरक. मोल दक्षिणको तरफ जो कोएलो जङ्गन हैउमे अपना पगतत्वमे मम्बन्ध रखता है। कूर्म और लिङ्गपुराणमें इस वामस्थान बनाया था। प्रत्येक मर्दारकी ५ कामक भूमिका गाड़देगक नाममे उन्नं ख मिलता है । मूर्यवंशोय जमीन जायगोर मिन्नो यौ। थावम्तोक पुत्र वंशकन यहां थावम्तो नगगे बमाई गोण्डा-राजवंशक पतन के विषय में जमा प्रवाद है थो । नगर थोरामचन्द्र के पुत्र लवको राजधानी थो। कि, राजा अचलनारायण सिंह किमी ब्राह्मण जमोदारको उम नगरीका वत्त मान नाम गठमहट है। कन्याको वलपूर्वक चग लाये थे। इममे उम लडको सावन और गौरव के पितान उम अत्यनारी गजाके दरवाजे पर विना केक ईम्बीको ३य शताब्दी में अयोध्या राजा विक्रम खाये ही अपना प्राण त्यागा और मरते ममय "कोटो दित्य राजवके ममयमें यह राज्य बहुत हो समृद्धिगानी गनीक गर्भस्थ पत्रक मिवा ममम्त राजवशका शोर हो था। परन्तु उनको मृत्य के कई वर्ष बाद गोण्डाका राजा नाश हो"-.मा अभिशाप दे गये। उनका यह अभिः दगड गुहावंशीय राजाओं के हाथम पाया। ब्राह्मण और शाप फल्न गया। गोघ हो मग्य नटोन किला और बौद्धधम के परम्पर के विषमे यह नगर कमशः नष्ट हो गजप्रामादको रवा दिया। राजा और उनका परि गया । चानपरिवाज जब श्रावस्ती और कपिन्नवास्तु वाग्वर्ग भो उममें हबकर मर गया। मिफ कोटी गनी नगर देवन के लिए आये थे, तब उन्होंने उन दोनों नगगं. मपुत्र बच गयो। ई. १५ वीं शताब्दी के अन्तमें गमी की बीच को रास्तामि जङ्गल देखा था। इतिहामक दुर्घटना हुई थो । चभनोपाईकै वत्त मान कनमा पढनर्म मालम होता है कि, गोगडाक जैन राजा मोहिन जमोदार लोग उमो कोटी रानोक पत्रक वशज है। देबन गजनोवाल मामूद के बहनोई मैयद मन्नारको मना इसमे कुछ दिन पहिले जनवाडांन इम जिनं को तगई महित मार डाला था। जिम ममय मुहम्मद घोरोन भारत भूमि पर अधिकार जमाया था। मम्राट अकवरक ममय पर आक्रमण किया था, उस समय यहां डोमराजा राज्य में डकाना और उतरोन्नार्क मिवा अयोध्या प्रदेशमं और करता था और गोरखपुरक पाम हो डोमनगढ़में उमको ट्रमगे जगह दूसरा कोई बनवान मार नहीं था। विशन राजधानी थो; इम वंशक प्रमिद्ध राजा उग्रमेनन महादेव और बन्दलघोगे ये दो जातियाँ इम जिनेक अवशिष्ट परगणाक इमरियादि ग्राममें एक छोटासा किला बन अंश वाम करतो थीं। गोगडाक विशेन गजाओंकी वाया था। उन्होंने थारु, डोम, भर, पाशो आदि जाति उन्नतिक ममय, उनका राज्य १००० वर्गमोनके करीब यांको बहतम गांव दिये थे। विम्त त हो गया था, बलरामपुर, तुन्नमोपुर और माणिक ई० १४ वीं शताब्दीम यह ड!मराज्य कन्नहमी, जन- पुरमें भिन्न भिन्न जनवाड़ मर्दार राज्य करते थे। वाड और विशन-वंशीय क्षत्रियांक अधिकारमं आ गया दिमोसे अयोधया तक वातन्त्रा लाभ करनसे पहिले था। कलहंमो राजाान हिमामारम लेकर गोरखपुर मयादत् खान कुछ दिनों तक म्वाधोनभावले राजत्त्व तक अपना आधिपत्य फेला लिया था । एमा प्रवाट मुनते सुखका उपभोग किया था । बराइचके प्रथम गामनकर्ता कि..-टिजो किमो तोगनक मम्राटको मेनाकै माथ गालावल खाँ गोगडाक गजाके विरुद्ध युद्ध करके मर गये थ। फिर गोगडागजके विरुद्ध में मेना भेजो गई थी, सष महामना शस्त ताऽभव। मिमिमा यसपावसो गीर्दी जितम:' परंतु इस बार भी उन्होंन मुमलमानीको परास्त कर दिया (लिङ पु. ४३४) था। इनके बाद करीब ७० वर्ष तक विशन राजाधीन