पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५४२

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किया गया । अाजकल गौड़ा कि लेकी मालगुजारो कोई । ५ बदौमा तहसीलमका एक ग्राम। वान्दासे ३० २३ लाख १७ हजार रुपया है। मोल दक्षिणा पूर्व में अवस्थित है। यहां पर दो चन्द लो यहां २ मुनिमपालिटियां और दो 'नोटीफाइड मन्दिर हैं। उक्त मन्दिरों में ग. , यमुना, शिव, काली, एरिया है। ४ शहरीका इन्तजाम १८५८ ई.को २०वीं गणेश, ब्रह्मा और विष्णुको मूत्तियां हैं। दफाम रोता है। मिवा हमके स्थानिक प्रबन्ध डिष्ट्रिक अयोध्याके प्रतापगढ़ जिले का एक नगर। यहां बोर्ड करते हैं। १० पुलिम थाने हैं। लोग ज्यादा पढ़े अष्टभुजादेवीका मन्दिर है, इमो लिए इमकी प्रसिद्द है। निखे नहीं। मौम कोई ३ आदमो ही शिक्षित हैं। नोगटान-१ बम्बई प्रान्तकी काठियावाड़ पोलिटिकल पाठशालाओं और छात्रों की मंख्या बढ़ रही है। शिक्षामें एजन्मीका देशी राज्य। यह अक्षा० २१४२ तथा २२. कुन ४६०००, रु०का खच है। भूमि बहुत उर्वरा है। उ० और देशा० ७०३ एवं ७ ७ पू० के बीच उत्तरको कुवाना पड़ता जहां जङ्गल मिलता है। तिरही प:ता है। क्षेत्रफल १०२४ वर्गमील है। मिवा उममान् दक्षिण और विम्ही उत्तरके आरपार प्रवाहित है। कोई पहाड़ बाकी सब देश बगबर है। कितनो ही नदियां ४२२ एकड़ खेतीम १८७ एकड़ मौंच है प्रवाहित हुई हैं। जलवायु अच्छा है। ३ युक्त प्रान्तक गोंडा जिन्न और तहमोलका मदर। गोगडालके गजा जाड़े जा वंशीय राजपूत हैं । इनको यह अक्षा० २०८ उ० और देशा०८:५८पू में बङ्गाल ठाकुर माहब कहा जाता है, आईन-अकबरी और मोरात पार नाथ वष्टन रलवेको कई शाखाांक जनशन पर अहमदी में लिखा कि गोगडाल मोरठ सरकारको बधला पड़ता है। प्राबादा लगभग १५८११ है । यह नाम गोंठा रियासत था। १म कुम्भोजोन इमे स्थापित किया था ( गोष्ठ ) शब्दका अपभ्रंश है। कहते हैं, बिशन राजपूत २य कुम्भोजीने उसे इम हालतको पहुचाया । १८०६ मानमिहन जो मम्भवतः अकबरक प्रथम राजत्व कालको ई० को अगरेजों के माथ गोगडालके राजाको मन्धि हुई। जीवित रहे, उम बमाया था। १८५७ ई०के बन्नवेमें उन्हें गोद लेने का अधिकार है। ११ तोपको सालामी गांडा गजान विद्रोहियोका माय दिया । उमौसे इनका होता है। गज्य जा करके अयोध्याधिपतिको मौण गया। नगरको गोगडालकी लोकसंख्या प्राय: १६२८५८ है। इममें शोभा दो तालाबोंम बढ़ी हुई है। १८६८ ई०से यहां ३ नगर और १८८ गाँव बसे हैं। मींचने और पीनक मुनिमपालिटो है। सषिजात द्रव्यांका अधिक व्यवसाय निये ५॥ लाख रुपया लगा कर पानोका एक कारखाना होत भी काई उद्योग देव नहीं पड़ता। खोन्ना गया है। घोड़ों ओर बैलोको नम्न बढ़ानके लिये ४ उक्त जन्न'का प्रधान नगर । फैजाबादसे २८ मील | कई सांड़ हैं। रूई और अनाजको ग्वाम पैदावार है। उत्तर पथिममें अक्षा० २७. ७.३० उ० और दशा० सूती तथा ऊनी कपड़े, जरदोजी, तांबे पोतलके बन, ८२° पू०मे अवस्थित है। पहिले यहां जङ्गल हो जङ्गल लकड़ी के खिलौने और हाथी दांतको चूड़ियां बनाते था, पौर अहीर लोग यहां रातमें अपनी गायें बाँधा करते हैं । ११॥ मोल पक्की मड़क है। लाखों रुपयेका रियासतमें थे। बादमें फिर कुरामा गजा मानसिंहने यहां अपना पैदा हुआ माल हर माल बाहर भेजा जाता है। यहाँ प्रामार यजनकना बनाया था। तबहोसे यहां राज. भावनगर गोण्डाल-जूनागढ़-पोरबन्दर रेल चलती है। था। कलहंमो राजावान हो गए है। नगर भी तबहीसे जतलमर-राजकोट रेलवेको भी एक शाखा है, इन दोनों तक अपना आधिपत्य फेलो में रियामत हिस्सादार है। हैं कि.---दिलोक किमो तोगाधाकगड सरोवर, औषधालय, काठियावाड़में गोण्डाल प्रथम श्रेणीका जैसा रमर • . [५ महायजा नाया हुआ तालाव, विद्यालय है । वार्षिक पाय प्रायः १५ लाख है। उममें १२ लार. निमिता न पावसा न मान-ए रिफा नामका प्रसिद्ध मालगुजारी आती है। यह राज्य हटिश गवर्नमेण्ट, बड़ोदाके गायकवाड़ और जूनागढ़के नबाबको ११०७२१)