पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५४३

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गाण्डिया-गाव २० कर देतो है । पांच मुनिसपालिटियां हैं । गोतमान्वय ( म० पु०) गोतमोऽन्वयो वशप्रवत्तको यस्य ___ २ बम्बईकी काठियावाड़ पोलिटिकल एजन्मोके बहुबो । मायादेवीके पुत्र शाक्यमुनि । गोण्डाल राज्य की राजधानी। यह अक्षा० २१ ५७। गोतमी (मं० स्त्रो०) गोतमस्य भार्या गोतम-डोष । गौतम- उ. और देशा० ७०. ५३ पू०में गोण्डाली नदीके पश्चिम ऋषिकी स्त्री अहल्या । कत्तिवासी रामायण में लिहा है तट पर अवस्थित है। लोकसंख्या प्रायः १८५८२ है । कि अहल्या गौतम ऋषिके शापसे एक शिला हो गई थी, गोण्डालसे राजकोट आदि कई स्थानोंको अच्छी सड़क किन्तु वाल्मोक रामायणका मत है कि अहल्या गोतमके लगी है। यहां रेलवे ष्ट शन भी है। शापसे नितान्त कुरूप होकर तपस्या करने लगी थी। गोण्डिया-मध्य प्रदेशके भण्डारा जिलेको तिरोरा तहमोल तपस्याके बलसे उनका शरीर ज्योतिर्मय हो गया, उम का एक गांव। यह अक्षा० २१ २८ उ. और देशा० रूको रामचन्द्रजीने देखा था । ( उत्तरकाण्ड) ८०.१३ पृ॰में बङ्गाल नागपुर रेलवे पर पड़ता है। सातपुरा-रेलवेका जशन है। जन संख्या कोई ४४५७ का पुत्र, शतानन्द ।। होगी। गोडियमें दूमरे जिलोंसे कितना हो माल चालान- गोतमेश्वर (मं० पु०) गोतम ईखरो यस्य, बहुव्री। तीथे- के लिये आ आ करके इकट्टा होता है । मलाहमें अनाज- विशेष । ( ५५राण) का बड़ा बाजार लगता है। हिन्दी पाठशाला स्थापित गोर्दि- बम्बई में रेवाकान्ताविभागक मध्यवर्ती एक रुद्र राज्य यह चार म नन्तकोंक अधान है। लोकसंख्या गोत (हिं० पु०) १ गोत्र, कुल, वंश, खान्दान । २ समूह प्रायः २८ है। मानाना आमदनी ४७८, क० उनमें से जस्था। ३२७) रु० वरोदा गायकवाड़को कर दिया करते हैं। गोतम ( सं० पु० ) गोभिर्ध्वस्त तमो यस्य, बहुव्री०। गोतम्लज ( सं० पु० ) प्रशस्तो गौ: नित्यममाम । उत्तम गौ, पृषोदरादिवत् साधु । १ एक मुनि, गोत्रप्रवर्तक ऋषि | सुन्दर गाय । महाभारतमें इस नामको व्य त्पत्तिकै विषयमें लिखा है गोता ( मं० पु०) जल आदिमें बनेको क्रिया, हुब्बो । कि इनके शरीरक तजसे ममस्त अन्धकार नष्ट हुवा जान गोताखोर ( अ० पु० ) गोता लगानवाला, डुबकी मारना वाला। कर इनका नाम गौतम पड़ा। वायुपुराणमें लिखा है कि गोतामार (हिं पु०) गमावर देखा। इन्होंने श्वेतवराहकल्पमें ब्रह्माकै मानसपुत्ररूपसे जन्म गोतिया (हिं० वि०) अपने गोत्रका, गोती। ग्रहण किया था । ( वायु गया. ११. ) । इन्होंने न्यायदर्शन गोती (हि. वि. ) गोत्रीय, अपन गोत्रका, जिसके माथ प्रणयन किया है। न्याय देखो। ( पु० स्त्री० ) १ अतिशयेन शौचाशौचका मवन्ध हो, भाई बन्छ । गो: गो-तम । अतिशय जड़, भारी जड़ । २ बुद्ध भेद । गोतीत ( म० त्रि.) अगोचर, जो जानन्द्रिया द्वारा न गोतमस्तोम, १ सूतविशेष । २ एक प्रकारका यन। जाना जा सके। गोतमस्वामिन् (सं० पु०) जैन-धर्मावलम्बो एक ब्राह्मण । ये गोतीर्थ (. ली.) गवां क्कत तीथं मध्यपदलो० । १ गोष्ठ, तीर्थङ्कर महावीरस्वामोके एक प्रधान गणधर थे, उनका गौ रहनका स्थान। २ कबाजके अन्तर्गत तो विशेष । दूसरा नाम इन्द्रभूति भी था। भारत के नाना स्थानों में ( भागवत ३॥१॥२१) तथा सम्मेदशिखर पर्वत पर इनको सुबहत् पाषाण गोतीर्थक ( म० पु. ) वैद्यशास्त्रोक्त एक प्रकारको छेदन मूर्तियां देखने में आती है। इनको मूत्ति कर्णाट और प्रणाली। । म ) फोड़े आदि चोरनको एक तरकीब तवार उपकूलमें ही अधिक है। महिसरस्थ श्रावण | जिसके अनुसार कई छेदों वाले फोर्ड चोरे जाते हैं। मोमियोलामें ५६ फीट, जेनरम ३५६ फोट और कर्काला गोते ल ( म० की० ) गोवशा, बांझ गाय। .. स्थानमें ४११ फीट ऊंचो गोतम खामोको पाषाण गोत्र ( म० पु. ) गां पृथिवी वायत नक्षति गोत्रैक । गाँव वत्सा है। गौतम गधर देखो। | पातानुपमगै : । १० ३।२।१ पर्वत, पहाड । val I 126