पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५५३

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गावरिकथ-गोदना ५५१ गोत्ररिक्थ (३० क्ली०) गोत्रस्य रिक्थ, ६ तत् । गोत्रधन। | गोदगुदली ( हिं• पु० ) गूल नामका पड़। गोत्रवत् ( मंत्रि. ) गोलं अस्त्यस्य गोत्र-मतुप.मकारस्य गोदत्र (म लो०) गोदत्रायत त्रक । १ मस्तिष्क रक्षक. वकारः । गोत्रयुक्त, जिमको गोत्र है। मुकुटादि । (पु० ) २ इन्द्र । (वि.) ३ गोदान करन- गोत्रवृक्ष ( मं० पु० ) गोत्रजातः वृक्ष: । धन्वनवृक्ष । वाला। गोदधि ( म० का० ) गायका दही। गोत्रसूता ( म० स्त्री० ) पर्वतकी पुत्री, पाव तो । गोदनहर ( हि ) गाद नहार्गदखा। गोत्रमवलन ( म० को०) गोत्र नामनि स्वलनं ७ तत् । एक गोदनहरा (हिप) टोका लगानवाना, माता कापन. नाम बोलनक अभिप्रायमे किसी दूमरे नामका उच्चारण, वाला। मनुष्य अतिशय गाढ़ चिंताम मग्न रहता है तो इम तरह- गोद नहाग ( हिंस्त्रो०) नटजातिको स्वो जो गोदना की घटना घटती है किन्तु आलङ्कारिक गणों का मत है गोदने का काम करती है। कि नायक अोर नायिकाका अनुराग वदित होने पर गोटना ( हि क्रि०) १ गाना। २ किमी काम के लिए गोत्रम्खनन हया करता है। 'बार बार यत्न करना । ३ छेड़ छाड़ करना। ४ हाथाको गोत्रा ( मं० स्त्री. ) मा: पशून, मर्वान् जीवान, वायत नै अकुश देना । । १० ४ एक विशेष प्रकारका काला चिन्ह क-टाप ।१ पृथ्वी । गवां ममूहः गोत्र टाप । २ गोममूह, जो तिल के आकार होता है । नट जातिको स्त्रियां अपनी गायका झगड़ ! ३ गायत्रोस्वरूपा महादेवो मई को नोल या कोयलेक पानीमें डबा कर मनुष्य (देवाभा० १२६॥११) शगरम केद देती हैं। हममें दो तीन गेज तक गरम गोत्रादि ( म० पु० ) पाणिनीय एक गण । गोत्र, ध्रुव, बहुत बदना माल म पड़ती है। किन्तु उमक बाद वह प्रवचन, प्रहमन, प्रकथन, प्रत्यायन, प्रपन, प्राय, न्याय, चिन्ह मदाक लिए रह जाता है। प्रत्चक्षण, विचक्षण, अवचक्षण, स्वास्थ्य, भूमिष्ठ और गोदना मारण जिले के अन्तर्गत एक नगर । यह अक्षा. वानाम इन पाका गोत्रादि गण कहते हैं। गोत्रगण २५.४७ उ. और देशा०८४ ३८. पू.म गङ्गा आर तिङन्त के बाद होने पर अनुदात्त हो जाता है। घघरा नदो के मनाम पर अवस्थित है। लोकमख्या प्राय: गोत्रान्त ( म० ए० ) गोत्रस्यान्त: तत् । गोत्रका विनाश. ६७६५ है। मारण जिने में यहो नगर प्रधान वा गिज्य वशका नाश। स्थान है। चम्पारगा, नेपाल, बङ्गाल और उत्तर-पथम गोत्रान्तर ( म. ली. ) नित्यमः। अन्य गोत्र, दूमरा गोत्र। भारतक द्रव्यजातको रफतनो और आमदनी इमो स्थानसे गोत्रिक ( म० व. ) गोत्र भव: गोत्र इकन् । गोत्रोत्पन्न, हुआ करती है। निम्नबङ्गमे जो ममम्त नावं चावन्न और गोत्रिय लबण बोझ कर युक्तप्रदेश जाती हैं, उनका माल गोरक्ष- गोत्री ( म त्रि० ) ममान गोत्रवाले, गोत्रज, गोतिया । पुर और फैजाबादको नावों में रख कर पत्रिमाञ्चल भेजा गोत्व ( म० लो० ) गार्भावः गोत्व । १ जातिविश ष, जिम | जाता है । प्रतिवर्ष दो बार कातिक पार चत्र माममें जातिको मिफ गौ हो है, दूसरा कोई पदार्थ नहीं, | यहां मला लगता है। तमा प्रवाद है कि न्यायदा नकार उमौको गोत्व जाति वोलत हैं। २ गोका धम । गौतम ऋषि अहल्याक माथ यहां वाम करते थे। एक गोद ( म० पु०) गां नत्र' दायर्यात शोधयति दक। भग्न कुटोरम काष्ठपाट्का भी देखा जाता है । अधिवामो १ मस्तिष्क, मगज (त्रि०) गां ददाति दा-क । २ गोटाता. यात्रियों को वही स्थान गोतमका आथम बतलाया गोदान करनेवाला । ( पु० ) ३ गोदावरी के निकटस्थ करते हैं। एक देश। १८८८ ई०को ग्वन माहब गवर्म गट के शुल्क मग्रह गोद (नि. स्त्रा० ) १ उत्मग, कोरा, ओन्लो । २ वक्ष कर्ता होकर यहां आये थे। जिन्होंने एक बाजार तथा स्थल के पामका त्रिपाको माडीका एक भाग। शुल्क संग्रह के लिये एक घर निर्माण किया था। आजला