पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५६०

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गोदावरी गोदावरी जिलं की लोकमख्या प्रायः २३०१०५ मुमलमानांके ममय मंनिक स्थानों को छोड़ करके है। इममें २६७८ शहर और गांव आबाद हैं। यह जिन्ना यह जिला जमीन्दारियोंमें बंटा था। वह उपजका पञ्च २६ तालुकों और तहमोलीमें बटा हुआ है। पहाड़ी में मांश पात थे। १८०२-३ ई०को बङ्गाल जेमा दायमी कोई और मदानों में तेलगु लोग रहते हैं। हिन्दुओंमें बन्दोबस्त हुआ। किन्तु जमीन्दारी के बिगड़ जनिमे बहुत- प्रति शत ५ ब्राह्मण हैं। मौ जमीन गवन म गटके हाथ लगी। १८४६ ई०को मवेशियों में बीमारी बहुत होतो है : कमम्बा भेड़ मालगुजारी कायम की गयी और उमको दे देने पर अपने रूए के लिये मशहर है। गोदावरोका जङ्गल अधिक किमान मब तरह आबाद हए । गोदावरोको आबपाशो मूल्यवान है। इमसे वार्षिक कोई १॥ लाख रुपया खन जानमे १८६२ ई०को मब जिल में रयतवारी बन्दो. पाता है । ५॥ मोल कोयलेकी खान है। किन्त कोई बम्त कायम किया गया । १८८६ ई० को पैमायश प्ररो अच्छी तरह नहीं मिन्नी । ग्रेफाइट कई जगह निकाला हुई। १८८८ ई० को मायश को गयो थो। फिर जाता है । एजन्मोम लोह के कामक चिह्न पाये जाते हैं। है। मान्नगुजारो बढ़ करके एक तराई पहचो । इम जिन्न को मिघाई में गन्धक को दो छोटी छोटो खान हैं। ऊनी। कुल मानगुजारो ४२३२००००, रुपया है।। कालीन और मोटे कम्बल बनाये जाते हैं। पहले यह यहां ३ मुनिमपालिटियां हैं। इनके बाहर जिन्ना- जिला अपन नफोम मतो कपड़े के लिये प्रमिड था। बोर्ड और तालुक बोर्ड इन्तजाम करते हैं। २५ कोटे परन्तु अब वह बहुत थोड़े गांवाम होता है। मोटा मतो शहरीका इन्तजाम १८८४ ई. को ५ मन्द्राज धागक वस्त्र कितनी हो जगह बुना करते हैं । शकर ओर शगब- अनुमार होता है। शिक्षाका प्रभाव पहले बहुत अच्छा का भो कारखाना है। ताड़का गुड बतयार होता है। था. किन्तु अब बिगड़ गया । इममें प्रति वर्ष कोई इसके लिये जिले में कोई ४०००००पडाका रम खोंचा ३८०००० क० खच होता है। यहां दमर जिलेकी बनि- जाता है । धानको कुटाई मो कम नहीं चलतो । रेड़ी के स्वत मुसलमान ज्यादा पढ़े लिखे हैं। मन्द्राजक जिन्नाम तेल और चमड़े के कुक कारखाने हैं । एक जगह लोहा तालोमको निगाहसे गोदावरीकी गणना कठो है। एजन्मी गलाया जाता है। नीलकी कई कोठियां हैं। दो मरकारी प्रान्त शिक्षा मबमे पिकना है । वालिकाओं को भी शिक्षा और एक माधारण कुल तीन स्थानों पर नमक बनता दी जाती है। मामें चारमे अधिक आदमो शिक्षित नहीं। है। चावल, दूमी अनाज, तम्बाकू, तेलहन, घो, नारि. १९०४ ई० को गोदावरी जिले में मब मिलान १०४० यल, चमडे और फलको रफ तनो होती है। दक्षिणमे शिक्षण संस्थाए थौं। रुई भो ला कर विदेश भेजते हैं। मालमें कोई ८४ गोटो (हिं. स्त्रो०) १ बड़ो नदो या ममुद्र में परा हा लाग्वका मान्न विलायत जाता है। प्रधान व्यवमायो स्थान । इम स्थान पर जहाज मरम्मतर्क लिए वा तुफान मारवाडी हैं। वह कपड़े के माथ अफोमका विनिमय आदिक उपद्रवसे रक्षित रहने के लिए रखे जाते हैं। खब करते हैं। कोटा मोटा काम कोमतियों के हाथमें है। (पु.) २ बरार पञ्जाब और अवधमे हनवाला एक कितने ही हफ ताबार बाजार लगते हैं। सरहका बबन्न । यह नहर के किनारे के ऊंचे स्थान पर मन्द्राज रेलवेको ईष्टकोष्ट शाखा इम जिनमें चलती लगाया जाता है। है।।१८ मोन पको और २८८ मोल कच्चो मड़क है। गोदुग्ध ( म को. ) गाय का दूध। भावप्रकाश में वणके ८१४ मोल तक उम पर दोनों ओर पड़ लगे हैं । ४८३ मोल नहरमें नावें चलती हैं। भेदमे गोदुग्धका गुण लिखा है-कालोगायकं दूधका गुण प्रवन्धक निये गोदावरी जिलामें 8 उपविभाग हैं। वायुनाशक और अत्यन्त उपकारो है। पोलो गायक दध- सानो nai मत दिविजन ममझत जिम का गुण पित्त और वायुनाशक है। मफेद गायक दृधका प्रबन्ध एक युरोपीय डिपटो कल्ले कर करते हैं। मामूली गुण कफकारक और गुरुपाक है । लाल या विचित्रवणे- चोरी बहुत होती है। की गायके दूधका गुण वायुनाशक है। वत्महोना गाय के