पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५६१

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गोदुग्धदा-गोधन्य दूधका गुण त्रिदोषनाशक है। बहुत दिनोंकी प्रसूता गायका दहना । २ गोदुग्ध, गायका दूध । ३ कानविशेष, गायके दूधका गुण-विदोषनाशक, तृप्तिकारक और गाय दुननमें जितना ममय लगे। अत्यन्त बलकारी है। जो गाय जङ्गलमें तथा पहाड़ पर गोदोहन ( मं० ली. ) गादीहनं, तत् । १ गोका दोहन. विचरतो है उम के दूधका गुण गुरु और स्निग्ध है। जो गायका दुहना । २ गोदी नकान्न, गाय दुहनेका ममय । घाम बहुत कम खाती है उसके दूधका गुण गुरुपाक, (भागस्त १८ ) बलकारो, अत्यन्त शुक्रवृद्धिकर तथा मुम्त मनुष्यांके लिए गोदोहनी ( मं० स्त्रो०) मावो दृह्यन्तेऽम्यां गो-दह आधारे बहुत उपकारी है। जो गाय पयाल, घाम या कपामका ल्यूट डोप । गोदोहनपान, वह पात्र जिममें गाय हो बोज खाती है उमका दूध रोगी के लिये हितकर है। जाती है। (भाप्रकार) गोहां-कोटानागपुर प्रान्त मन्तान परगनका मब डिवि. गोदुग्धदा ( मं० स्त्री. ) गोदुग्ध ददाति मम्पादयति ग क। जन। यह अक्षा० २४. ३० तथा २५. १४ उ० प्रार एक प्रकारको घाम, चणिका दृण । देशा०८ ३ एवं० २६ पृ के मध्य अवस्थित है। गोटुग्धा ( म००) १ चणिका तण, एक प्रकारको त्रफल ८६० वर्ग मान भार लोकमव्या प्रायः २८.०३२३ घाम । २ इन्द्रवारुणी लता! ३ गोडम्वा । ४ चिटिका। है। यहाँ पथिम तथा दक्षिण जङ्गल एवं पहाड और ५ ककड़ी। पृवको उपजाऊ जमान है। इमम १२७४ गांव बमते हैं। गोदुह ( म० त्रि.) गां दोग्धि दुह किप, ६-तत् । १ गाय गोहा कोटा नागपुर प्रांतक मन्तान परगर्न जिलम गोहा दूहनेवाला । ( पु० ) २ गोप, ग्वाला । उपविभागका मदर। यह गांव अत्ता. २४५० उ० प्रार गोनिका (हिं० स्त्रो०) पूर्वीय बंगाल और आमाम देशा० ८७ १० पू०में पड़ता है। पावादी कोई २२०८ आदि प्रदेशाम होनवाला बेतको जातका एक वृक्ष । दम है। को चिकनी और चमकीली टहनियां स्याही बनानक गोद्रव ( मं० पु. ) द्रवति द्रुअच् गोद्र वः. ६ तत्। गोमूत्र, काममें आती हैं। गायका मूत। गोडो-बङ्गाम्न प्रान्तमें रहनवाली एक जाति। यह शब्द गोध ( हिं० स्त्री० ) गोह नामक जंगली जानवर । गढ़का अपभ्रश है । जो गढ़ (Fort) के स्वामी थे वे गोढो गोध-ये हिन्दी के एक प्रसिद्ध कवि थे। इनका जन्म कहात कहात धार धार गोदो कहलाने लगे। किमो १६८४ ई में हुआ था। टूमर विद्वान्का मत है कि गदाको धारनवाल महाबीर गोधज ( मं० पु. ) गोधा। जाति गोटो कहलाई। अनेक प्रमाणांमे जान पड़ता है। गोधन (मं० की.) गवां धनं ममूहः, तत् । १ गाममूह, कि पूर्व बंगालमें हिन्द्र या मुमलमान राजा या बादशाहां गात्रोंका अगड़। (त्रि. ) गाग्व धनमम्य, बहुत्री० । के समय यह जाति बड़ी बोर गिनी जातो थो आर २ जिमको गोरूपो मम्पत्ति है। (क्लो० ) गौरव धनं । फौजाम भरतो को जाती थी। आजकल यह जाति ३गोरुप धन, गौ रूपो मम्पत्ति। (१०) धनं रखे भाव पन्नामोके आम पाम जुल्मो पेशा करनेवालो मानी जाती अच गोधनं रख इव धनं ग्वो यम्य, बहुव्रो० । ४ स्थ नाग्र है। वृटिश गवर्नमेगटके राज्यसे पहले यह जाति लट वाग, एक तरहका तीर जमका फल चाडा होता है। मार करने में प्रमिद्ध थी। परन्तु ऐमी दशा इस जातिको गोधन ( हिं० पु.) एशिया, युरोप तथा अफ्रिकामें पाय सर्वत्र नहीं है। आजकल बहुतसे खेती और व्यापार जानवाला एक तरह का पत्ता । इमको चांच लाल, मस्तक करते हैं और मान प्रति डा भी इन्होंने कुक बढ़ा ली है। भृग और पर हरे रंग होते हैं। एक बार यह ५ में ये बडी बडो वीरताकै चिन्न प्रकट करते हैं। ये कठिनमे अगड़ देता है। कठिन जमनासिक ( कमरत ) कर सकते हैं। गोधना ( मं० स्त्रो०) एक प्रकारका औषध । गोदोह (मं० पु०) गवां दोहः ततः। १गोदोहन, गोधन्य-चीनपरिव्राजक वर्णित एक विस्तृत माहोप'