पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५६३

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गोरख-ककड़ो-गोरखपुर ५६१ पोजल और टार, वमन, वित्त, अतिमार और ज्वरनाशक । नदियां और जलस्रोत प्रवाहित है। स्थान स्थान पर है। यह कल्पवृक्ष नाममे भी विख्यात है। जन्लाभूमि और गहरी झोल देखी जाती है। अधिक गोरख-ककडी (हिं स्त्री०) एक तरहको ककडो। पानी रहनकं कारण ममूचा जिना उवरा तथा वृक्षादि- गोरख डिब्बो (हि. स्त्री०) गर्म जनका कुण्ड या से परिपूर्ण है। जिलेके उत्तर और मध्यांश विस्तीण स्रोत । | शाल्लवन है गोरखधंधा (हिं० प० ) १ कई तारी कड़ियों या लकड़ पर्व त थ गोके निम्रभागमें तगई है। घने जंगल के टुकड़ोंका समूह। २ झगड़ा या उलझनका काय। हो कर अनक जन्नस्रोत प्रवाहित हैं। यहांक पहाड़ी ३ झगड़ा, उलझन पच । अधिवामा देवन में ठीक गोर्खा या नपानी के जैसे होते गोरखनाथ-गोरखनाथ देख।। . हैं। उनमेंसे थारु जातिको ही संख्या अधिक है। मिफ गोरखपथो ( हि वि० ) गोरक्षनाथ का अनुगामी, गोरख थारु जातिक मनुष्य वर्षा ऋतुम तराई भूमिमं रह सकते नाथकै उपदेशका माननवाला । दूसरो कोई जाति रह नहीं मकती है, क्योंकि दम ममय गोरखपुर-१ युक्त प्रदेश उत्तर पूर्वका एक विभाग। भयानक महामारी फैला करती है। जिनेक दक्षिण- यह अक्षा० २५३८ मे २७३० उ० ओर देशा० ८२ की ओर जितना हो अग्रमर होते जांय उतनाहो सशो १३ मे ८४२६ पृ में अवस्थित है। यह विभाग नेपाल भित क्षेत्रकी कतार दृष्टिगत होतो है। की तराईमे लेकर घधरा उत्तर तक फैला है। इम- अधिक वर्षा होनेमे अमि उपत्यकाका जल पूर्व ओर. का उत्तरोय भाग बहुत आद्र है तथा चागं और जङ्गल- को झीलम मिन्न कर एक ममुद्रका आकार धारण करता मे घिरा है। भूपरिमाण ८.५३४ वगमोल और जन | है। इस जिलेको प्रधान नदियोंके नाम ये हैं-रात्री. मंख्या लगभग ६३३३०१२ है। इसमें गोरखपुर, बस्ति | घघरा, बड़ो गगडक, कुत्राना, रोहिणी, अमि और और आजमगढ़ नामक तोन जिला लगते हैं। गोरखपर गुड़ घी । इसके अलावा रामगड़, नन्दीर, नवर, भौडि, और बस्ति घर्घरा नदी पर तथा आजमगढ़ उसमे कुछ चिन रा, और अमियरताल प्रांत कई एक झील हैं। दक्षिणमें अवस्थित है। इम विभागमें कुल १८१३५ ____धधरा नदीकै उत्तर तथा अयोध्या और बिहारक ग्राम पड़ते हैं। यहांके प्रधान वाणिज्य स्थान गोरखपुर, मध्य जो मब स्थान वर्तमान ममयमें गोरखपर और वम्ति आजमगढ़, बरहज बरहन्लगञ्ज, उसका, पदरीना और जिल में बटे हैं, वे प्राचीन कोशल राज्यकै अन्तगत थे गोला है। और अयोध्या नगरी उक्त राज्यको राजधानी थी। गौतम ___ २ युक्त प्रदेशका एक पूर्वीय जिला । यह अना० बुद्ध इस जिलेके निकट कपिलवस्तु नगरमें पंदा हये थे । २६. ५ तथा २७ २८ उ० और देशा० ८३४ एवं वर्तमान तराईके 'भूइला' नामक स्थानमै उनको मृत्य ८४२६ पू में अवस्थित है। यह जिला वाराणसी हुई थी। आजतक भी उनके ममाधिस्थानके ऊपर एक विभागके अन्तर्गत है। इसके उत्तर में नेपालराज्य, पूर्व में खोदी हुई बड़ी मूर्ति विद्यमान है। सारण और चम्पारण जिला, दक्षिणमें घघरा नदो तथा __ एमा प्रवाद है कि अयोधमाकं मूर्य वंशीय किमी पश्चिममें वस्ति और फैजाबाद जिला है । भूपरिमाणा राजाने हम जिलमें काशीधाम मदृश गौग्वविशिष्ट एक प्रायः ४५३५ वग मोल होगा। लोकसंख्या प्रायः २८५ बडी नगरी स्थापन करने की चेष्टा को थी। जब वे उक्त ७०७४ है। नगरको सम्प ण रूपसे निर्माण कर चुके, तब उम ममय हिमालय पर्वतन बहुतमे वेगवान् जलस्रोत पहाड़क थारु और भरजातिन पा उन्हें परास्त किया तथा नगरको वालुकणाको साथ लिये निकने हैं। वह वाल क्रमशः बरबाद कर डाला। बहुत ममयसे या जाति अयोधात अमकर जिलेके वालुकामय क्षेत्रमें परिणत हो गया है। ओर गङ्गाके उत्तर पूर्व स्थान पर राज्य करती रही बौद्ध इस जिले में एक भी बड़ा पर्वत नहीं है। यहां बहुतसी धर्मके उत्थान के साथ साथ फिर मोरमको अनेक घटनाएं