पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५६६

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गोनन्द-गान्धलगार (गान्धालौ) १६४ बनी हुई छोटो थे लो। इसमें अनाज भरकर बलीकी | गोनाड़ीक (सं० १०) चच्च शाक, चच्चु नामक एक प्रकार- पीठ पर रख एक स्थानसे दूसरे स्थान पर ले जाते हैं। की लता। २ साधारण बोरा। ३ टाटका कोई थेला । ४ नाच | गोनाथ (म० पु०) गोर्नाथः, ६-तत् । १ वृष, बैल, सांड़। खींचनेकी रस्मी। (देशज) एक प्रकारको घास जिमका | २ भूमिपति, राजा । ३ गोस्वामी। माग भी बनता है। गोनाय ( स० पु. ) गां नयति नो-अग । १ गोप, ग्वाला। गोनन्द ( म० पु.) १ कार्तिकेयके एक गणका नाम । गोनाम ( स० पु०) गोर्नामा इव नःसा यस्य, बहुव्री० । २ काश्मीरके एक राजा, ये गोनद नामले परिचित थे । । गोनससप । ( हेम० ४।३।२१ ) (क्ली०) गो सा इव प्रातति- पाश्मर देखा : ३ मत्स्यप्रदेश । यस्य, बहुव्री०।२ वैक्रान्त मणि । गोनन्दन-सूक्तिकर्णामृत त एक कवि । गोनिकोप्पल-कोड़गप्रदेशके अन्त:पाती एक नगर । गोनदी ( मं० स्त्री.) गवि जले नन्दति नन्द-अच् गोरादिः गोनिवाला-बम्बई प्रदेशवामी मुमलमान शस्यविक्र ता, त्वात् डीप । सारमी पक्षो। इनका आचार व्यवहार शेखोंके जैसा है। शव देखः । गोनरखा ( हि पु० ) नावका मस्त ल । गोनिया ( हिं० स्त्रो० ) १ दीवारको मिधाई मालूम करने गोनरा ( हि पु० ) एक प्रकारको लम्वी घाम जो उत्तर का बढ़ई तथा राजका औजार । यह औजार समकोणकी भारतवर्ष में होती है। गोन ( सं० पु. ) गवि जले नदेति नदं अच् । १ मारमो प्राकृतिका होता और लोह तथा लकड़ीका बना पक्षी । (Crane) २ देशविशेष । वृहत्म हिताकै रहता है। कूर्म विभागमें इम देशका उम्ल व है। यहां महर्षि (पु० ) २ बोरा ढोनेबाला। ३ रम्मो बाँध कर नाव खींचनेवाला। पतञ्जलिका जन्म हुआ था। (क्लो०) ३ कैवर्त मुस्तक, एक प्रकारको घास. नागरमोथा। ४ काश्मीरके एक गोनिष्क मण-एक पुण्यतीर्थ वराहपुगणके १४१ अध्याय में इमका माहात्मा वणित है। राजा। (करिव १ . ) ( पु० ) गवि वृषे नद ते नर्द- गोनिष्यन्द ( सं० पु. ) गोनिष्यन्दत निष्यन्द अच ५ तत् । अब । ५ महादेव, शिवजो । ( भारत १२।२९५ १०) ६ एक गोमूत्र, गायका मूत। प्राचीन ग्रन्थकार । मल्लिनाथने इनके बनाये काम- गोनी (हिं. स्त्री० ) १ टाटका थैला, बोरी। २ पहुआ, शास्त्रको उद्धत किया है। गोनर्दीय (म० पु० ) गोनटं देश भव' गोनर्दछ । १ पतञ्जलि मुनि। गोनुपल्ली-मन्द्राज प्रदेशस्थ नेल्लुर जितेके रायपुर तालुकके गोनम (म पु० स्त्री० ) गोरिव नामिका यस्य, बहुव्री० । अन्तगत एक ग्राम । यह रायपुरसे ५ मोल उत्तर-पश्चिम- पच नामिकाया नमादेशश्च ।१ मपविशेष, एक प्रकारका में अवस्थित है। यहां एक पुराना विरा मन्दिर है, इसके साँप । इसका पर्याय-तिलिस, गोनाम, घोनस, मण्डली निकटवर्ती पर्वतके ऊपर पिङ्कलकोण मन्दिर पर प्रति और वोड़ है। कोका देख।। ( पु.) २ वक्रान्तमणि । | वर्ष एक बड़ा मेला लगा करता है। गोनमी ( म० स्त्री०) गोनमस्तदाकारोऽस्त्यस्याः गोनस- गान्दालि-सतारा जिलम सो .. गोन्दोलि-सतारा जिलेमें मान नदीस नि:मृत एक विस्टत अच गौगदित्वात् डोष । ओषध वृक्षविशेष · गोनम नहर । १८६७ से १८७२ ई० पर्यन्त इस नहरको बनाने में सप के शरीरके जैसा मण्डलाकार कृष्णवर्ण चिन्ह युक्त लगा था। गोन्दोलि ग्रोमसे दूमका नामकरण हया है। रताभ पनविशिष्ट मूलप्रधान वृक्षको गोनसो कहते हैं। गोन्धलगार ( गोधाली) बम्बई प्रदेशवासो मराठाको एक मुश्रुतमें लिखा है कि यह वृक्ष कृष्णवर्ण मण्डलयुक्त, | जाति। ये नृत्य कर जोविका निर्वाह करते, इसीलिए भूगजात होता है और इसमें सिर्फ दो पत्र रहते हैं। इनका नाम गोन्धलगार या गोन्धालो हुवा है। इनकी इसका रंग लाल होता है और ऊंचाई लगभग डेढ़ उपाधि गरोड़, गुरू, पनि और बुगड़े हैं। इनका गठन हाथको रहती है। ( मुश्त चिकित्स...) लम्बा और दृढ़काय है । ये अपरिष्कार और बहुत छोटे मन।