पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५७५

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गोपालकृष्ण चम्प, वीरराघवम्तव, खेताट्रिगघवाष्टक, सौभाग्यः । यतें थीं और गोर मिपाहियोंके अत्याचार्गका वर्णन लहरो प्रभृति प्रणयन कय हैं। था। पत्र पढ़कर देगवामियोंके दःखमे एनका हृदय २ रमन्द्रमारमग्रह नामक वैद्यक ग्रन्थकार । पिघल गया और तत हो उन पत्रीका आशय दंगले'बके गोपालकृष्णगोखल-ये दक्षिण प्रान्तस्थ महाराष्ट्र ब्राह्मण। ममाचारपत्रों में छपा दिया। इस पर इंगलैडम बडो जाति कोकनस्थ ब्राह्मणके अन्तर्गत थे। इनका जन्म हलचल मची। १८ ईमें कोल्हापरमें हुअाया मातापिताको अवस्था १८००१ ई में इन्होंने प्रान्तीय व्यवस्थापक कौंसिल. शोचनीय होने पर भी इन्हें काले को शिक्षा मिन्नो थो के निर्वाचित सदस्यको हमियतम चरत कक उपयोगी इन्होंने दकिवन कालेज Dre in Colley' श्रोर एलफिन काम किया । १८.०२ ई में ये वाडमगयको व्यवस्था- मन काले जा (Enhinston Clg ) पढ़ा था और पक कमिलक मदस्य चुने गये। बजट के सम्बन्धमें इन- वहींमे १८८४ ई में वीए पाम किया था। मं कम पगिडती । को प्रथम वक्त तान लोगों पर बड़ा भार प्रभाव डाला । के ममाज में भी ये एक प्रमिद्ध पगिरत गिने जाते थे । इम इनको य ग्यताको देख कर इनके विपन्न मुककण्ठमे के बाद दक्षिण एजुमलन मोमाइटीम गेम वषर्क निवे इनको प्रशमा करते थे। यहां तक कि लार्ड कर्जन १५ रुपय मामिक पर पढ़ाने के लिए प्रतिजा बद हुए जम निरंकुश आम नि भी इनको खब तारीफ की थो देशहित, देगमेना अर परोपकारी काय करने का इनको बार इसका उपतच्चम डाह मो, आई, ई, को उपाधि भो इतना अधिक म था कि काल ज को छुट्टोक दिनों में मिली शो। देशमेवाका चंदा एकत्र करने के लिय इन्ह पाव पात १८०५ ई में गो बलेन भारतम अपन दंगकी निराली घर घर घूमने पार अनेक तरह के कष्ट महने पड़ते थे । बार अत्यन्त उपयोगो मम्था-भारत सेवक ममिति संगठित- खग वाम गनार्ड अपने पोछे अपने शिय मिष्टर गोख को क्योंकि इनका विश्वास था कि भारतको इम ममय लको हो देगमेवा लिय अपना उत्तराधिकारी कर गये राम सेवकों की आवश्यकता है जो माटभूमिका मेवाम थे। कुछ दिन तक य पूना मात्र जनिक मभार्क पत्र अपना जीवन अपित कर दें। हम वष इन्हें पुनः देश- (Quarterls Journal ) काटली जनलक मम्पादक का। भलाई के लिये विलायत जाना पड़ा। हम ममय हुए। बाद इन्होंने चार वर्ष तक पङ्गली मरहाठी भाषाक वहां लाला लाजपतराय भी उपस्थित थे। दाननि मल सुधारक नामक पत्रका सम्पादन किया पार य चार वष कर अमाधारण परिथम किया तथा भारतवामियों के तक (Bombay Provinicial Council) बम्बई प्रावि. स्वत्वाक लिये और लार्ड कर्जनके कुशामनके विरुद्ध खब न्मियल कौंसिल के मन्त्रोके पद पर भी काय करते रहे। आन्दोलन मचाया। जब ये बम्बई और प्रनको लौटे तो १८८५ ई०को जब पूनाम (Indian National Cong- वहां इनका यथष्ट स्वागत हुा । स्वागतकर्ताओं में ress) जातीय महामभाका अधिवेशन हुआ तब उसके मन्त्री श्रीयुत लाकमान्ध पण्डित बालगङ्गाधर तिलक भी सम्मि- पद पर ये हो निर्वाचित हुए थे । १८८७६०में अन्य प्रमिड लित थ। १८१४ ई० में थायत गोखले के ऊपर सच- माव जनिक पुरुषों के साथ ये भी भारतीय व्ययसम्बन्धी मुच बड़ा काय भार पड़ा। इनक अस्वाकार करन तथा ( Welby Commission ) वेल्वो कमोशनके सम्म ख स्वास्थ्य खराब हान पर भा इन्ह काशामें कांग्रमका सभा- अपनी सम्मति देने के लिये इङ्गलैंड भेजे गये। वहां इनके पति होना ही पड़ा। इम ममय प्रतिकूल अवस्था होने कौशलसे सबके सब दंग रह गये । सदस्योंन इन्हें नोचा पर भो इन्होंने म क ठन कार्यको बड़ो योग्यतासे निबाहा दिखानेका बहुत कुछ प्रयत्न किया, परन्तु इनको विष्व अपनी वक्त तार्क प्रारम्भ होमें इन्होंने लार्ड कर्जनको . हत्ता और अभिन्नताके सामने उनको एक न चली औरंगजबसे तुलना को और फिर बंगालियोंके द्वारा विलायतमें रहते समय उनके पास पूनिसे थोड़े पत्र गये थे विदेशी वस्तुओंके बहिष्कार किये जानेका समर्थन जिनमें गवर्नमेंटको प्रेमसम्बन्धी नीतिके वि शिका किया। Vol. VL 144