पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५७८

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१०६ गोपालनायक-गोपालपुर योपालनायक-भारतवर्षके एक प्रसिद्ध गायक । दाक्षिणा- विधवाविवाहका आनुकुल्य मत दे न सका। इस तरह त्यमें इनका जम्मस्थान था। सुल्तान अलाउद्दीन सिक। राजवल्लभको विधवाविवाह प्रचलनार्थ मस्त चेष्टाय न्दर सानीके राजत्वकालमें इन्होंने ख्याति प्राप्त की थी। निष्पन्न हुई। इन्होंने आचारनिर्णय, उहाहनिणय, काल- ये गायक अमीर खुशरुकै मममामयिक थे । एसा प्रवाद निर्णय तिथिनिर्णय, दायनिर्णय. प्रायश्चित्त निण य, है कि जब गोपाल दिल्लीको राजमभामं जा गान करते विचारनिर्णय, शुद्धिनिर्णय, थाडाधिकारनिर्णय संक्रान्ति. थे तो उस समय दिल्ली में उनके ममान थेष्ठ गायक दुमरा निर्णय और मम्बन्ध निण य ग्रन्थ रचे हैं। कोई नहीं था। मम्राट अपन गायक अमोर खुशरूको गोपान्नपगडत -गृह्यभाष्य और प्रायथित्तकदम्ब नामक मिहामन नीचे ‘िपा कर गोपालको गानको आज्ञा । मंस्कृत ग्रन्थकार। देते थे । अमीर खुशरून गुम म्यानम गोपालकै गोत पार गोपालपट्टनम्-मन्द्राजमं विशाखपत्तन जिन्न के अन्तगत मुर तानका अभ्याम कर लिया था, एवं एक दिन गोपाल. एक गण्डग्राम जो मर्व मिडिमे ८ शेम दक्षिण-पश्चिममें के अनुकरणमे इन्हनि 'कोबार" और 'तगण' गा कर अवस्थित है। ग्रामक पूर्व एक छोटे पहाड़ ऊपर पागड, सभा मकल मनीको चमत्क त कर दिया। गोपाल कुन्नमिट्ट' नाम का एक पुरातन मन्दिर है। रामा प्रवाद है भो इम घटनाको देख कर पाथर्यान्वित हुए थे। कि पागड़वान इम मन्दिरको स्थापन 'कया था। इमो इनको कव कवितायें नीचे दी जाती हैं। पहाड़क निकट प्रस्तरको पञ्चमत्ति एवं प्रवेशपथ पर "कसा व गौना - नादार था गाये। असष्ट शन्ना नपि भा है।... मारसदार ...- .... - . मतम यह २० गोपालपुर-१ मन्द्राजक गजाम जिले का बड़ा बन्दर । सिगरमाध चा मी पशम मच दर पान। यह अक्षा० १६ १६ उ० और देशा० ८४ ५३ पृ॰में उति यत्र मकि म मा ध्यान नगाव । भरतपुरमे ८ मील दक्षिणपूर्व पड़ता है। लोकमख्या सघ गोपालनायक भट सिह मनिह जान जग। म पाये। प्रायः २ ५० है यहां टिग-इगिडया-ष्टोम नैविगेशन लग गक ममझा है गन्थन गरुन प्रमा । कम्पनीके और बहुतमे दूमर जहाज आ करके लगते हैं। निगत गरु नग गुरु बिचकर लम्ब अनाज, दाल चमड़ा, खान, माल लकड़ो, मन, रस्मोको मौई उनट घर जा है गन्थन गरुण प्रमा॥ चोजा और तेलहनको खाम रफ तनो है। मालमें १४१५ मगन मगन जगन गमन मगनयमन नजान । कन्द वन प्रनय मन मन गोकान नाय करत विमान ॥" लाखका माल जाता है। बन्दरको राशनो १० मोल तक गोपाल न्यायपञ्चानन भट्टाचार्य-बङ्गदे गोय एक विख्यात देख पड़ती है। एक लोहित आलोक भी है, उसका स्मात पगिड़त । ये वादक ब्राह्मण वंशके थे। इनके प्रकाश ३ मील तक पहुंचता है। जहाज कोई १॥ मोल पाण्डित्यसे मुग्ध हो कर महाराज कृष्णचन्द्रने इन्हें दूर लङ्गर डालते हैं। परन्तु रेलवे खुल जानेसे काम अपना मभामद नियुक्त किया था। ये अरेज गवर्म गट- कम पड़ गया है। के भी एक व्यवस्थापक थे, जिसके लिये इन्हें मासिक २ गोदावरी जिलेके अन्तगत एक ग्राम यहां पुरा. वेतन भी मिला करता था। एक ममय ढाकाके राजा । तन विष्णु मदिर पर अस्पष्ट शिलालिपि उत्कीर्ण है। राजवल्लभने विधवा विवाह के प्रचारके लिय नाना स्थानक ३ गोरखपुर जिलेक धुरियापार परगनाके अन्तर्गत पण्डितोंसे मत ले कर एक मनुषाको राजा कृष्णचन्द्रके) एक ग्राम, जो गोर वपुरमे ३३ मोल दक्षिण है। ग्रामके भी निकट भेजा । कृष्णचन्द्र के आदेशसे पहले दूमरे | पश्चिमशिमें बहुतसे स्मृति चिन्ह पड़े हैं जो प्राचीन नगर- दूसरे पण्डितोंने विधवाविवाहको शास्त्रीयता प्रतिपादन के अवस्थानका परिचय देते हैं। की, किन्तु राजसभाके विख्यात पण्डित गोपाल न्यायपञ्चा बिहुत जिले के अन्तर्गत एक परगना। यहांको ननने विधवा-विवाहको अशास्त्रीयता पर देशाचार- जमोन नोची रहने के कारण वर्षाकालमें इसका अधिकांश विरुद्धता बतलाया। इस पर नवदीपक कोई भी विहान भाग जलमग्न हो जाता है।