पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५७९

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गोपालभट्ट-गोपाललाल ५७० गोपालमट्ट-इस नामके कई एक ग्रन्थकार हैं। कृष्णचन्द्र भारतवन्ट्रको अपेक्षा गोपाल भाँडको अधिक १ गोपाल रत्नाकर नामक मस्कृत धर्म शास्त्रकार । | चाहते ही जिम कारण ईर्षावशतः रायगुणाकरने गोपाल २ गोपालपद्धति नामका मस्कृत ज्यो तग्रन्थके रचयिता। भांडका नामोल्न ख न किया हो । जो कुछ हो, गोपाल- ३ चैतन्यभक्ता एक वषावग्रन्यकार । इनका बनाया हुआ भाँड किम तरह भारतचन्द्रको मानते और भक्ति श्रद्धा भगवद्भक्तिविलाम नामक मस्कत ग्रन्थ है। जो वङ्गीय करते थे उसका एक मामान्य उपाख्यान इम तरह वैष्णव समाजमें विशेष ममात है। 8 मिताक्षराके न्याय प्रचलित है। सुधा नामकी टीकाकार। ५ मीमामातत्वचन्द्रिका नामका गोपाल जानते थे कि भारतचन्द्र के ऊपर पगिडत मस्कृतग्रन्थ कार । मस्कृत भाषामें मानन्दगोविन्द वाणश्वर विद्यालङ्कार और जगन्नाथ तक पञ्चानन प्रभृतिके नामक नाटककार । ७ सुभगार्चनचन्ट्रिका नामका मंस्कृत | | ईर्षा बनी है। एकदिन भारतचन्द्र अबदामङ्गलका ग्रन्थ ग्रन्थकार। ८ महिम्नम्तवका स्तुतिचन्द्रिका नामक वाणश्वरको पढ़ने दिया। वाणश्वरको अथडाभावी उक्त उत्कष्ट टीकाकार । गीतगोविन्द का अर्थ रवावलो ग्रन्थ लेते ओर विपर्यस्त भावसे इधर उधर ग्रन्थको उल- नामका टीकाकार । इनके पिताका नाम दुर्गादाम और | टाते देख गोपाल उनके निकट जा करवद्ध हो उच्चस्वरसे पोतामहका नाम जान था । १६७६ ई० को इन्हनि उक्त कहने लगे, 'महाशय, यह क्या कर रहे हैं " यह शुष्क टीका प्रणयन की थी। १० एक दार्शनिक जो मनाथ न्याय शास्त्र नहीं वरन् रमपूर्ण काव्य है, मावा भट्टके पुत्र और कृष्ण भट्टके पौत्र थे । इन्होंने मीमांमाविधि पकडिये नहीं तो ममस्त रम फिर जायगा।" " भूषण नामक संस्कृत ग्रन्थको रचना की है। एसे रमपर्ण वचनमे विद्यालङ्कार गिट ११ एक विख्यात तान्त्रिक । ये आगमवागीशक पात्र ग्रन्थ देखने लगे। तः। एक प्रकार- और हरिनाथके पुत्र थे। ये तन्त्रदीपिका नामक एक वङ्गला क्षितीगवंशावलीक समझा जाता है। तान्त्रिक ग्रन्थ लिख गये हैं। जातिके नापित थे और शान्ति पायक निपातने १२ एक द्राविडीय पगिडत, हरिवंश द्राविड़ के पुत्र । था। किन्तु गुप्तिपाड़ा और शान्ति ३ रक्षण, रक्षा। आपने कई एक संस्कृत ग्रन्थ रचे हैं, जिनमे प्रमिड ऐमा सुना जाता है कि गोपाल कायस्थ ज ये हैं,-कालकौमुदी नामक स्म.तिम ग्रह, कशा कर्णा गुप्तिाड़ाम इन्होंने जम्म ग्रहण किया था। गोपोथ. मृतको कृष्ण वल्लभा, शृङ्गारतिनकको रमतरङ्गिणी एव | गोशलमिथ-गोपाल पूजापद्धतिक रचयिता। रममञ्जरीको रमिकरन्जिनो नाम्रो टीका । १३ पद्यावली- गोपालयज्वन्-गाग्य गोपाल देखो। धृत एक प्राचीन कवि । गोपालयोगी-कठवलीभाषाविवरणका प्रणेता। गोपालपुत्रिका ( म० स्त्री० ) चिभिटा, ककड़ी। | गोपालराय ---हिन्दीक एक प्रसिद्ध कवि । इन्होंने बहुतसी गोपालभट्टगुह----गणशमहस्र नाम व्याख्याके रचयिता। अच्छी अच्छी कविताय रची हैं। गोपालभाड़-नवहोपाधिपती महाराज कणचन्द्ररायके | गोपाललाल --हिन्दीक एक सुप्रमिद्ध कवि। ये लगभग एक विख्यात सभासद । रायगुणाकर भारतचन्द्रन अबदा- १७६५ ई०में विद्यमान ये । इन्होंने शान्तिरमको बहतमी मङ्गलके प्रारम्भमें कृष्णचन्द्र के समावर्णन उपलक्षम राज कवितायें रची हैं जिनमें कुछ इस तरह है- परिवार, अमात्य, पण्डित, भृत्य, प्रभृति मभीका उन्न ख "मैं तो मावरे मना खनन अबघावट कहां ली बसर में । किया है। किन्तु गोपालभाड़का नाम उममें लिखा नहीं मत कोई मुझे हट कौरो सम्बो पात्र बाकी मा में विष । और बङ्गा सब फौके लागे पियरे पटमी हियान। है, इसमें कोई कोई अनुमान करता कि गोपालभाँड़ पारि गोपाल मोरात यही मन मोहन मिव हिए नपटर। भारतचन्द्रक समकालीन नहीं है अथवा खेलम पाई रातो होरो बाल । जिस समय अवदामङ्गल र गोपाल सविन गोरी लारो भर भर मुठी गुलान । कृष्णचन्द्रको सभामें मात म्वा इसमे पाई नवन राधिका उतते पार नन्द लाल । Vol. VI. पादर गोपालके