पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५८३

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गोपीनाथपुर-गोपुटा ५८१ किया। गोपीनायन अधिक अर्थ और महाराष्ट्र मन्यकं | गोपीनाथमौलिक -एक विख्यात नैयायिक और वावरोके मध्य उच्च पद लाभ 'कया। शिवाज' देखो। । राजा जयमिक मभापति । इन्होंने राजा जयमिंरके गोपीनाथपुर-उडीमाके कटक जिले के अन्तर्गत गगड ग्राम अनुरोधमे मिहान्ततत्त्वमार मामक पदार्थविवेकको टीका यह कटक नगरसे प्राय: ५ कोम उत्तर पूर्वमें अवस्थित और न्यायकुसुमाञ्जलिविकाश प्रणयन किये हैं। है। यहां सुवृत् गोपनाथजीके मन्दिरकका ध्वमावशेष गोपीनाथ शमन्-१ शब्दमाम्ना नामका सम्हात अभिधान पड़ा है। गोपीनाथका मूल ओर गर्भग्रहका कुछ भी कार । चिन्ह नहीं है। भग्न नाटमन्दिरकै मध्यस्थ लौ एक मतन गोपीनाथशव -माधवर्क पुत्र और सानमूत्र दीपिकाक यह निमित हुआ है जिसमें दधिवामन मूर्ति विराजित प्रणता। है । भग्नावशेष नाटमन्दिरके चारो ओर उत्कष्ट शिल्प गोपीनारायण ---एक विख्यात म्माल । उन्हनि राजा मर्य- ने पुण्ययुक्त स्तूगकार प्रस्तर पड़ा हुआ है । नाटमन्दिर मेनकै आदेश से निणयामृत नामक धर्म शास्त्र रचे है। जानकी मोटीकी वामगख को ओर प्राचोरगात्र में प्राचीन गोपोन्द्रतिप्पभूपाल-वामनके काव्यालङ्कारवत्तिका काव्या लङ्कारकामधेनु नामक टीकाकार । उकलाक्षरसे उत्कीर्ण शिलाफलकमें प्रशस्ति वणित है। गोपीरमम ...अानन्दलहंगे एक टोकाकार । नमक पढ़नेसे जाना जाता है कि उडोमेमें कपिलेन्द्र गोपोयन्त्र-एक तार वाद्ययन्त्र विशेष एक प्रकारका बाजा, नामक एक सूर्यवंशीय राजा थे। इन्होंने वाहुबलसे जिसमें केवल एक ही तार लगा रहता है। आधहाथ- दिल्लीके राजाओंको पराजय एवं गौड और मालव गज्य का गांठदार एक पतले बांसक डगर्ड का ऊपरक ग्रंथि- को जय किया था। इनके लक्ष्मण नामक एक पुरोहित युक्त भागका छह या मात उगलो छोड़ कर शेष अंशको और मन्त्री रहता रहा। लक्ष्मण के नारायण नामक एक पुत्र बराबर चार भागांम विभक करते हैं। उन चार भागों के था और उनके अनुजका नाम गोपीनाथ था। इन्होंने परस्पर विपरीत दो भागोंको फेंक कर शेष दो भागोंक अपने नाम पर गोपीनाथका उक्त देवमन्दिर निर्माण कर । मिरे पर कद्द का गोल खोवला अंश बांध देते हैं और जगनाथ, वलराम और सुभद्राको मृत्ति स्थापन की थी। उममें केवल एक तार लगा दिया जाता है। यह तार इम ग्राममं ब्राह्मणशामन है। यहां के एक घर ब्राह्मण जाम दो खगड़ांक मध्य रहना चाहिये और तारका एक अपनको गोपीनाथ महापात्रक वंशधरके जैसे परिचय देते मिरा अखगिड़त बांस के डंडमें कोलके माथ और 5मरा हैं। इन्हीं के मुखमे एमा सुना गया है कि गोपीनाथन मिरा कह के खोखले प्राबड रहता है । इमीको गोपो. सिर्फ दो घण्ट के लिए कपिलेन्द्रका मन्त्रित्व पाया था, यन्त्र कहते हैं। कुक जातिक लोग इसे बजाकर दरवाज इन दो घण्टोंके मध्य उक्त गोपीनाथका मन्दिर निर्माण दरवाजे भाव मांगते हैं। किया गया था। किन्तु दो घंटेमें दम तरहका मन्दिर गोपीलाल-हिन्दीक एक जन कवि। उन्होंने नागकुमार निर्मित होना नितान्त अमम्भव है। चरित्र, जम्बूहीपपूजा और तोमचौबीमी पूजा ये तोन गोपोनाथ बन्दीजन-बनारमकै रहनवाने एक बन्दी। पद्यग्रंथ बनाये हैं। इनके पिताका नाम गोकुलनाथ था। बनारमके गजा | गोपुच्छ ( म० पु० ) गो: पुच्छ व पुच्छो यम्य, बहवोः । उदितनारायणके आदेशमे इन्होंने तथा इनके शिष्य मनि: एक तरहका बन्दर जिमको पूछ गायकी मो होतो देवन सम्प णं महाभारतका अनुवाद हिन्दी में किया था। है। (को०) गाः पुच्छः, तत् । २ गोको पृछ, गाय- ये १८२० ई में विद्यमान थे। को टुम। ( पु० ) ३ एक तरह का गायदमा हार । गोपीनाथभट्ट - १ हिरण्यकेशिसूत्रक 'ज्योत्स्ना' नामकटोका ४ प्राचीन कालका एक बाजा। कार। २ निर्गयरत्नाकर नामक धर्म शास्त्रकार । गोपुर ( मं० पु. । खुद्रमुस्ता, छोटा मोथा। गोपीनाथमिश्र-१ क्रियाकोमुदी नामक संस्कृत ग्रंथप्रणता। गोपटा ( मं० स्त्रा० ) गोरिव पुटमस्या: बहवी। बडो २ तत्त्वचिन्तामगि सार नामक न्याय ग्रन्थकार । Vol. VI. 116 गोपर इलायची