पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५९१

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गोऽम्भस-गोरक्षतण्ड ला ५८ है। आहवनोय अग्निको दक्षिणा और एक स्थगिडल की टोका अत्यन्त मरल भाषाम लिखो है। इन्होंने अपनी प्रस्तुत करें, यजमान उम स्थगिडलमें उपविशन कर धागेषण टोका प्रमाणित करने के लिए कई जगह कलापटोका दगध हारा अभिषिक्त हो । जो गोमवयनका अनुष्ठान उद्धत कर उमकी मीमामा की है । करते, उ है मब कोई स्थपति कह कर पुकारते हैं। गोयुक्त (म त्रि.) गवा युक्तः, ३ तत्। गोविशिष्ट, जो वश्यस्तोम दक्षिणाका जो मब लिङ्ग वा चिन्ह विहित गाय या बैलसे खींचा जाता हो। है इसमें भी उसी तरहको गति प्रचलित है । महोदरगण गोयुग ( म० की.) गवाँ युगं, ६-तत्। गोयुगल, एक या मित्रगण परम्पर मिल वार इम यज्ञका अनुष्ठान कर जोड़ा गौ। मकते हैं । इमका और एक नाम गणयज है। गोयुत ( मं० त्रि.) गवा युतः, ३-तत्। गोयुक्त । ___(नात्यायनश्रोतमन २९॥ ११ ६१२) गोयुति ( मं० स्त्रो० ) गोर्यति गमनं, ६ तत् ।गौका गमन, गोऽम्भस ( म. ली. ) गवामम्भः, ६ तत् । गोमूत्र, गायका गायका जाना। मूत। गोर ( फा० स्त्री० ) मृत शरीर गाड़नका गट्टा। कब्र । गोय ( फा० पु० ) गेंद । गोर ( अ० पु. ) फारमदेशक एक प्रान्तका नाम । गायन (म. प.) गवाकतो यन्तः, मध्यपटनो०।१ गोमब- गोर (हिं० वि० ) १ गोग। २ ख तवर्गका, जिमका रंग यज्ञ, गौक हारा जो यज्ञ किया जाता है। सफेद हो। गो भन्नगृह्यमूत्रक मतमे पुष्टिकामनाके लिये गोयज गोरक (मं० पु०) विषधरमप, एक तरहका जहरीला माप । किया जाता है इम यजम अग्नि, पू इन्द्र और ईश्वर गोरका (देश) दक्षिणी भारतमें पाये जानेवाला अरपल ये वारो देवता अर्चनीय हैं। वृषभकी पूजा ही गोयन- नाभका वृक्ष । का प्रधान अङ्ग है । यज्ञ देखा । ( गाभिन्न हा २६.१०.१२) गोरक्ष ( मं० त्रि० ) गां रक्षति गो-रक्ष किप । गोरक्षक, ___ २ वृन्दावनवासी गोपगगके लिए कृष्ण कट क अनु- गोकी रक्षा करनेवाला । ष्ठित महोत्सव । हरिवंशम लिग्वा है कि वर्षाकालके गोरत (म० पु.) गां रक्षति गोरक्ष अण उपम०।१ लता. अवमान पर वृन्दावन ममस्त गोपगण शक्रोमव किया विशेष । २ नागरङ्ग, नारङ्गी । ३ ऋषभ नामक औषध । करते थे। एक ममय जब वर्षाकाल समाप्त हो गया तब (त्रि.) ४ गोपालक, गौकी रक्षा करनेवाला। रक्ष भावे मकल ग्वाले हर्ष और उत्माहसे शक्रोत्सव आयोजन कर घत्र । ५ गोरक्षण, गोप्रतिपालन ।६ गोमाञ्चलमें स्थापित रहे थे, उमी ममय गोपीजनवल्लभ श्रीकरण चन्द्र ने उन्हें एक प्राचीन तीर्थ ।( सहयाद्रि० २।१।२९) रोक कर कहा कि “हम लोग ग्वाले हैं, जिमसे गोको गोरक्षक ( म० त्रि. ) गां रक्षति रक्ष-रावल, ६-तत् । गो- उबति हो वही हम मबीका एकान्त कत्तव्य है। दून पालक, ग्वाला। लिए में समझता हूं कि गिरिपूजा कर गोयज्ञ करना गोरक्षकर्कटो (म स्त्री० ) गोरक्षा चासो ककटी चेति चाहिये, क्योंकि पर्वत ही वृन्दावनके ममम्त गोपीको कम धा। चिभंटा, भुकुर । इन्द्रवारुणी। पालन करता और अगर उन्हें पर्वत परको घाम नहीं गोरक्ष चालुक्य, गोरचतगाला देवा। मिलती तो वृन्दावनमें आज तक एक भी गा बचो न गोरक्षजम्ब (म स्त्रो०) गोरना चामी जम्न चेति कम- रहती।" श्रीक्ष्णचन्द्र के ऐसे बचनको सुन कर समस्त धा०। १ गोधूम, गह। २ गोरक्षतगड ला, कोई वृक्ष। ग्वान्ने गिरिपूजा ही करनको वाध्य हुए, एवं महाधूम ३ घोण्टाक्ष, एक तरहका पेड़। ४ बला. बाला। : धाममे गिरिया और गोयनका अनुष्ठान किया। गोरक्षतण्ड ला ( म० स्त्री० ) गोरक्षतगड़ ग्लो बीजं यस्याः, (हरिया ०४ प.) बहुवो टाप । वृक्षविशेष । ( lledy sarum lagap. गोया ( फा० क्रि० वि०) मानो, जैसे । गोमा देखो। odioides )। इसका संस्कृत पर्याय-गाङ्गककी, नाग गोयीचन्द्र (सं० पु०) संक्षिप्तमारके एक टीकाकार । इन बन्ना, स्वगवेधुका, खरवलिका और विश्वदेवा है। इसके Vol. VI. 148