पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५९७

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गीराज-गोरूप रतकै स्रोतमें गोराचन्द बहने लगे इन्होंने सुन्दलको गोराह ( देश. ) बाल मिश्रित मट्टो जिममें कोदो बहुत पान ला कर क्षतस्थानको बांध देने के लिए कहा, किन्तु उत्पन्न होता है। यह मट्टो गजरातमें बहत होती है। पान कहीं भी पाया न गया । तब गोराचन्द पान के अन्वे- गोरामग ( हिं० पु० ) एक प्रकारको जङ्गला मूग जो षणमें बालान्दा परगनको गये। वहा वे घाड़े में गिर दुभत के ममय दोन मनुषा खाते हैं। मृतवत हो गये । इम ममय गोगचन्दन सुन्दलको माता- गोरिका ( म स्वो) गोराटिका पृषादरादित्वात माधु । के पास जा कर यह मंवाद .ने के लिए कहा उस स्थान शारिका में कालधोषको कपिला नामकी एक. गाय थी, वह गाय गोरिला ( अं० पु. ) अफ्रिकामें पाया जानवान्ना एक तरह- गनभावसे जनम या गोराचन्दको दूध दे जाता थो। का वनमानुष । यह काले वर्ग का होता एवं उसके कान वही दर पीकर गोराचन्द जीवन धारण करते थे । ग्वाला काट और हाथ बहुत बड़ होते हैं। यह बहत बलिष्ट कालघोषन दे कि कपिन्ना गाय अब उमे दूध नहीं पशु है, इमको ऊंचाई प्राय: माढ़े पांच फुटको होती है। टेती, इसका क्या कारण है। अन्तमे धार धार उमन यह वृक्ष पर झोपड़ बना कर रहता है। इसका प्रधान कपिलाके इस रहस्य को जान लिया। कानु कपिनाको भोजन फन्न है ! इभक शरोरको बनावट मनुपामे बहुत मारन के लिए दौड़ा। यह टेख गोराचन्द कालुको शाप कुछ मिलता जुलता है। देनके लिये उद्यत हुए। तब कालने उनका पैर पकड़ गोरिविन्दूर -महिमरमें कोलार जिलेक अन्तगत एक कहा “प्रभो ! आज्ञा कीजिए मैं और मेरे भाई मिल आप तालुक । इमका भूपरिमाण १५३ वर्ग मील है। यहांको का मत्कार करें।" अन्तमें गोराचन्द कह गए थ "देखो ! जमोन उवेरा होनक कारण धान, हरिद्रा (हल्दी), नारि- इम वान्नांदामें कोई भी पानको खेती न करे, जो पान यल, सुपारो और ईख यथष्ट होती हैं। उपजायगा, वह सवंश नाश होगा." यह कहते हुए वे २ उक्त तालुकका प्रधान नगर। यह असा. १३ परलोकको मिधार कालुघोष और उमक भाईन गोरा ३७ उ० आर देशा० ७०३२५० पू०में पिनाकिनो चन्दको गाड दिया तथा उनको कब्रके ऊपर वे प्रतिदिन नदीक वाएं तौर पर अवस्थित है। यह नगर बहत प्रकाश दिया करते थे। थोडं दिनके बाद उस स्थान पर प्राचीन है। एक मस्जिद निर्मित हुई। गोरी ( हिं० स्त्रो० ) सुन्दर और गौर वर्ण को स्त्रो, रूप वालान्दाके अन्तर्गत हाढोया नामक ग्राममें प्रतिवर्ष वता स्त्री। फाला न मामको गोराचन्दके ममानार्थ एक बड़ा मन्ना गोरोमर ( म० पु० ) मानमा, उगवा । लगा करता है, इसमें हजारों मनुषा जुटते हैं। कालु- गोरुकन्न --मन्द्रा जम कर्णल जिलेका एक विध्वम्त प्राचीन घोषके वशधर आज भो गोराचन्दको कबके ऊपर फल नगर। यह नन्द्यालसे सात मोल उत्तर पश्चिममें अव. और दृध उत्सगे करते हैं। तभोमे वालान्दामें कोई मनुषा स्थित है। यहां केशव तथा वोरभट्रक व मावशिष्ट अति पानको खेती नहीं करते हैं।* प्राचोन म न्दर हैं। गोराज ( म०प०) गवां राजा, ६ तत्, समानान्त टच । गारुचो (म. स्त्री० ) गाना देखा। श्रेष्ठष, माँढ़ गोकत ( म क्लो. ) गवा रुतं, ६-तत। १ गोरव, गौका गोराटिका (मं० स्त्रो०) गां वाच' रटति रट राखुन । शारिका शब्द। गोकतं श्रुतिगोचरत्व नास्त्यस्य गोफत अर्यादि पक्षी, मैना। त्वाद च. २ दो कोम गोराटी (म. स्त्रो० ) गां वाच रटति रटपणाडोष ।। गोरू (हिं. पु०) १ मोंगवाला पशु, गाय, बैल, भंस प्रभृति शारिका पक्षी मला मवेशो। २ दो कोमका मान । . • Ralph Smytri statistical and Geographical Report | गोरूप ( स० ली. ) गवा रूप, ६-सत्। १ गौका रूप, of the 24 Pergunnama. p.83-84 गौको प्रातति । (पु.) २ शिव, महादेव । (भारत स.१९१४) --