पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५९९

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गोर्खा-गोल दूपरे वर्ष मर डेविड अतरलोनोने वृटिश गौरवका बचा हैं। मग्या ८६३ मे अधिक नहीं। कहत है, पहने वह नके लिये प्रवल प्रतापसे गोखों पर आक्रमण किया, कलना क्षत्रिय थ, गोरखपुरमे खरीमें जा करके रहने पर किन्तु वे भी कुछ विशेष हानि पहुचा न मर्क। गोरग्विया कहलाये। फिर गोरखिया शब्द बिगड़ करके १८१६ ई में वृटिश गवर्मण्ट और नेपाल गजाम मन्धि गोविन गया । यह अपनको चित्तोरम आया हो गई, जिमसे वृटिश गवर्म गटन को गन्नक्रममे गोर्वाके हुआ बतलात हैं। पहले वह माई थ । जब किमी कई एक स्थान ले लिये। शत्र ने उन पर आक्रमण किया, मिफ दो भाई जा करके __ मन्धिकै अनुमार नेपालको राजधानी काठमाग में एक लर्ड-चार भयभीत हो किप करके बैठ रहे । विजयी वृटिश मिडगट रहने लगा। १८४०-४१ ई. में मिव युद्धक होन पर दोनों वीर भाइयांन अपन चार भारु भ्राताओं- समय नेपालके गोर्खा भी अंगर के विरुद्ध अम्वधार को निकाल बाहर किया और उनमें अपना मब मम्बन्ध करने के लिये प्रस्तुत थे, किन्त वृटिश सिंडगट, मविन तोड लिया। इनको वंशावली भी थो परन्तु जहन ब्रायण हजमन माहबके कोशलसे कोई घटना न होने गोर्खाको भरक्षताम अागमे जन्न करकं भम्माभूत हुई। पायो थो । १८३३ ई में हजमन माहबने गोवा मन्य के इनमें गोत्र की बहुत कम वतना मकत हैं विधवायें युद्धनिपुणता का परिचय देते हुए वृटिश गवन में गटको प्रायः अपने पति किमी मम्बन्धोको ने करक रहती एक पत्र लिवा तथा नेपालसे गोवा-मन्य मग्रह कर हैं। यह आस्तिक हिन्द्र है। किमी अपने लोगों के दमरोंके वृटिश मैन्यमें नियुक्त करने का अनुरोध किया था । टिश हायको कच्ची या पक्को रमोई नहीं खाते। कहते हैं, कभी वह जमीन्दार थे। आजकल गोळ किमानी और किया। गोर्खा भारतवामियों को "मधेशिया" ममझ कर मजदूरी करते हैं। घृणा करते हैं। पहले व वृटिश अधोन नोकरी करना गोद (क्लो० ) गुर ददन् निपातने माध, । दायय । नहीं चाहते थ. परन्तु जी गोवा मैन्य नवान्नगज-मर-४६८।१मस्तिष्क, मगज़, मस्तिकस्थ वृत, मगजका कारमें नियुक्त नहीं थे, वे हो हजमन मारवर्क बहका- घी। नसे टिश राज्य पान में स्वीकृत हुए थे। धोर धौर गोलबर (हिं० पु.) १ गुबद, गुबज । २ गोलाई। इमो तरह प्रायः तीस हजार मैन्य वृटिश सेनामै भत्ती ३ उद्यानम बना हुआ गोल चबूतग। ४ कालिब । हए। उम ममय चतुर नेपाल राजाने छेड़ छाड़ को थो गोल ( म० पु. ) गुड़ अच डस्य लः । १ वत्त लाकार कि टिश गवम गट नेपालमे किमो को भी ले जा नहीं : पदार्थ, जिसका घेरा वृत्ताकार हो, चक्रके आकारका सकती क्योंकि ऐसा होने पर नेपालराजका बल हाम हो। २ मदनवृत्त, मैन फलका पेड़ । ३ विधवाका जारज होनको मम्भावना है। तभोसे वृटिश मरकार नपानमे । पत्र । ४ मुर नामको औषध । ५ भास्कराचाय का बना यथार्थ गोर्वा सेना संग्रह नहीं कर सकी, वृटिश अधि- हुमा गोलाधाय नामक ग्रन्थ । ६ वृत्त, क्षेत्रविशेष । कारभक्त नेपालको तराईमें जो गोवो वाम करते हैं, (लो०)७ मगडल, गोलाकार पिंड, बटक । ८ ग्रहयोग उन्हींमसे उपयुक्त मनुष्य ले कर वटिश गवन मं गटके - विशेष। प्रश्न कोमुदोके मतमे एक राशिम छह ग्रहक गोर्खामेन्य-दल संगठित हुआ है। गार्खा मैन्य अत्यन्त : रहनसे गोलयोग हुआ करता है। ऐसे योगमें देवराज प्रभुभक्त, सत्यवादी और माहमी हैं। वृटिश मरकार | इन्द्र भी नाश हो मकते। मनुष्यगण राक्षम प्रकृतिके हो गोर्खा सेनासे जितना उपकार पातो वह अकथनीय है। जाते. माता पुत्रके प्रति दया माया परित्याग करतो, अङ्गा बहादुरने गोर्खा सैन्यकी सहायतासे मिपाही विद्रोह- समस्त राजाओं का विनाश होता, वसुधामगडल भीषण के समय वृटिश राजत्वको रक्षा को थो । नेपाल राजाके अननमें ज्वलित हो जाता और नद नदी तड़ाग जन्नाशय अधीन भी प्रायः लाखसे अधिक गोर्खा सैन्य है। मबके मब शुष्क पड़ जाते हैं । मयूरचित्रकके मतसे सात गोळ-जातिविशेष। यह युक्त्रप्रदेशके खेरी जिले में रहते ग्रहों के एक राशिमें आ जानेसे गोलयोग होता है। ऐसी Vol. VI. 150