पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/६३

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खुशरूमलिक-खुशरुसुलतान है.को वापके सवत पर बैठ गये। बादशाही मिलने खुगरूको नेपाल जोतने भेजा था। यह बड़ी मुशकिससे पीछे इनोंने सबके सामने मरीसको धर्मपिता-जैसा पहाड़ोको पारकर १२३०६०को चीनको सरहद पर कबून किया। ६.३०को मरीस कत्न किये गये । जा पहुंचे। इसी जगह एक तफंसे चौना फोन पौर यह उसो वा अपने धर्मपिताका बदला चुकानेको दूसरी तर्फसे नेपाल को पहाड़ी फौजने पाकर इन पर गेमक राज्य पर चढ़े थे। दारा, एदेशा वगैरह कई हमला किया और रसद का सारा सामान लट लिया। मुकाम जल्दाथ पा गये। मिरीया पौर पालेशइन सात दिन तक ऐसी ही तमलोफसे लड़ने भिड़ने पर सूट कर तहस नहस कर डाली। जेरूसलम जीतने पर इनके सिपाडो घबरा उठे। एसो मोके मर शिहतको सोने का पसली सलीम ( Cross ) महीसे निकाल बारिश पडी थो। पहाडकी उसो खाली जगहमें चार्ग फतहमन्दीकी नगानीक तौर पर अपने राज्य में ले तफी का पानी जाकर जमा हो गया। यह माय अपने पाये। कुछ दिन पछि गेमके बादशाह हिरालियासने सिपाहियों के मर मिटे और महम्मदको जो उम्मीद पाकर ईगन पर हमला किया था। उन्होंने कासीय मारो पड़ी। दसे स्फहान शहर के बीच मभी मुकाम तोड़ ३ गजनयो गाही खानदानके पाखिगे बाद गार। फोड़ डाले। सरकारी खजाना लटा पोर अच्छे अच्छे इनके बापका नाम खशरू शार था। पिताके मरने पर महलीका सहमहस किया गया। मुल्कका ऐसा मटि- १११० ई०को यामाहोर के तख्त पर रोनक अफरोज यामेट देख रैयत परवीज पर बिगडी पौर राजद्रोही हुए। ११८४ ई० को सुलतान मुहम्मद गारोने जब बन गयी। इनक ज्येष्ठ पुत्रन इन्हें बांध लिया था। पर- लाहोर पर हमला किया, हारने पर खगरू पकड़ लिये वीजकै १८ सड़ के उनके सामने हो कत्ल किये गये। गये । मुहम्मद गोरोने इन्हें बालबच्चों के साथ अपने भाई इसके बाद वे कैद में रखे गये। ६२८ ई०को इनका गया उद-दीन के पास फोरोजको नगर भेजा था। वहीं मृत्यु हुना। परसोनके साथी नौशेरवान्का घराना खरू सपरिवार मार डाले गये। भी गुम हो गया। ४ दिल्ली-सम्राट मुहम्मद-वीन तुगलक के बहनोई खशकमलिक-काई कोतदास या गुलाम। यह खुशरू पोर ख दावन्द जादा खाविन्द । इन्होंने एक व शाह बरसाते थे। बादशाह मुबारकको मिहरबानीसे मुहम्मद के उत्तराधिकारी सुलताम फोराज शाहको मार खुधरू भनके बड़े प्यारे और वीर बन गये। उन्होंने डालने के लिये छिप छिप कर साजिश की थो।न्ति जैसे ही अपने पाप मराठा देश जीतके लौटे, इन्हें इनके बेटे दाघर मालिकन सुसतानको जल्द पानवासी इसका मबेदार (शासनकर्ता) बनाके दिल्लीसे दक्षिा- मुमोक्तको वात बतला दी। सुलतानने भाग कर अपना को भेज दया । मासिकने लूट मार करके एक ही प्राण बचाया था। साल के बीच कितना ही दौलत इकट्ठो कर डाली। ख.शरू शाह-गजनवा बादशाह बहराम शाहके लड़के। फिर रमका होसना बसमा बह गया कि अपने प्रव-इनका असली नाम मिजाम-उद दान् था। ११५२५०को दाता मुबारक को भी चुपकसे मार डासनमें जीन अपन वालिद के मरने पर इन्होंने लाहोर का तख्त हिचका। १२२१ ९० को यह नसोर-उद-दीन नामसे हासिल किया और सात वर्ष तक सनसनत करके दिल्ली के नाम पर बैठे थे। इसी वर्ष गज्य के बड़े पाद- ११५० ई. को शरीर छोड़ दिया। मियों न सिपहसालार गाजीबेग सुगसकसे मिलक इनके खुसरू सुलतान-मुगल बादशाह जहांगी(के लड़के। यह मकाव में सड़ाई खड़ी कर दी। पखोरको या दश्मराजा मानसिंहको बहमके गर्भ से १५८७९०कोबार भोके हाथ में पड़ मारे गये । में उत्पन गए थे। फिर ११२२९० को दक्षिण एनका वादगाह मुहम्मद तगलको भानजे । सम्राटने मत्य सपा । दाक्षिणात्यसेनाथ साकर साहाबादके. अपनी राज्याभिच्छा बढ़ने पर एक साखफाजके साथ खयरुयागमें गाली गयी थी। फारसोको एश बिताबमें VoI. VI. 16