पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/६४

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२ खुसरो पिनाकि उनके छोटे भाई शाहजहानने रजा नाम. पपने देवका शपथ खाकर प्रतिज्ञा करो कि कभी वा कोईरकारा भेजा था, जिसने गला दबाकर उन्हें इस तरहका पन्याय व्यवहार नीयों के प्रति न करेंगे। मार डाला। मौनी तुम्हारा निस्तार नहीं है।" पकवाने प्राण- गरोग-इसका दूसरा नाम नौरोज अर्थात् नव वर्ष का नाशके भयमे वैसा की स्वीकार किया और अपने मुख. प्रथम दिन । जिस दिन सूर्य मेषराशिमें जाते हैं उस- को नीचे कर उस राजपूत-स्त्रीको बाहर जानका पथ दिन फारमके मुसनमान गजगण पानन्द उत्सव मनाते दिखसा दिया। सो दिनसे अकबर बादशाने ख.स- है। दिक्ष के मनुष्यों का ऐसा विचार है कि भारतवर्ष में गेजके उपलक्ष में पामोद प्रमाद करना एकदम बन्द कर पृथ्वीराजहोंने पहले पहल खगेज उत्सवका प्रचार दिया । पाजनक मा राजपूत भाटगण इस पतिव्रता किया था। किन्तु अबुल फजसने लिखा है कि प्रकवर राजपूत स्त्री को मुख्याति गाते हैं। बादशाहने रस सत्सवको निकाला। वे मसलमानके खुशवना गय-एक चतुर रानमेसिक। १८००को नवमी दिनमें राजकीय समस्त कर्मचारीको बुला कर महाराज रणजितसिंहके साथ हटिय गवर्नमेण्टको पानन्द-उसव करते थे । उस दिन सम्राट के अन्तःपुरकी सन्धिके ममय ये हटिश एजेण्ट और सम्वाददाता हो सियां भी शौकसे बाजार खोलती था। जहां राजपूत कर पमतशहरमें रहते थे। मस्सिाय भी पानन्दसे उपस्थित होती थीं। पन्तः- खुशहाल ( फा• वि०) सम्पब, मजे में, जिसको कोई पुरको स्त्रियां ममे मनमानी चीज खरीदती थी। तकलीफ न हो। उस समय पकबर बादशाह एकान्तमें राज्य की सम्भान्त सुगालो (फास्त्री.) पाराम, सुख, पमनचैन, मरिमाके मुखसे गल्यको तथा बाधिज्यकी गवस्था पच्छी गुजर। सुमते थे । कोई काई ऐसा करते है कि पकबर बुरे खुशाब ( फा० पु०) धाम निगाने का एक ढल, धानको अभिप्रायमीरच्छासे या पशगेज मनाते थे। वे उस कोई मिगैनी । यह कश्मीर में चसता है। समय राज्यको सुन्दर महिलाको रुपमाधुरौ पान खुशाव-१ पनाबके शाहपुर जिलाकी एक मशीन । बरते थे । ऐसा सुना जाता है कि पकबर बादशा मेलम् भदौके किनार पक्षा० ११ १२एवं . राजपूत राजाओं को अपने अधीन कर लेने पर भी ४१७. पोर देगा० ७११० तथा ७२१८ पू०के शान्त न रहे किन्तु सरोज उपलक्ष में समागत कुल. मध्य प्रवस्थित है। क्षेत्रफल :२५३६ वर्गमोस । वधूतमी मीत्व भी नष्ट कर डासते थे । वस व्यव- लोकसख्या प्रायः १५१८८५ है। हार पृषीराजको स्त्रोके हाथ पकड़े गये। पकबर पसावक सवण पाड़के हारा यह सामोस विभत्र उस पहितीय स्त्रीके मान्दर्य पर विमुग्ध होकर चतरता- है। यहां पर नदीको धार कछार बिमारा शेख कर से एक गुमकक्ष में बन्द कर बैठे। वह स्त्री उम कपमें दूसरी जगह वैसा अस्प नहीं उपमता है। इसमें २॥ प्रवेश कर गोमधे में पड़ गई । बाहर होनेका रास्ता पाम है। यहां एक फौजदारी एक दीवानी पदालत देखनपडामामले में सिर्फ अकबर बादशाहीदेख और थाना है। इसका राजस्व २ शाखसे अधिक। पड़े। सम्राट पकवरमे प्रेमभिचाकीरपहासे उन्हें कई २ सयौनका प्रधान नगर। झेलम नदीके वा प्रलोभन दिया । किन्तु वह पतिव्रता गजपूत स्त्री दक्षिणमैं और शारपूर मगरमे ४ कोस दूरमें थोडेकी ममप में अपनी अवस्था नाम गई और अपने पक्षा. ३२१८ उ० पोर देशा• ७२२२ पू० पर कटिगमे तेजकरी निकाल कर पकवर पर पायात पवस्थित है। कोकसंख्या प्रायः ११४०. है, जिनमेसे करने के लिये पागे बदी। या देखकर बादशाहका मुख पधिकांश मुसलमान है। यहां पर म्य निसपालीटी सूख मया और करवा होसमा लिये प्रार्थना करने भी है। प्रत्वक मनुष्य को एक एक • रेक्स देना सगे । इस पर वा सारसी सी धोसी "दिनोणार! तुम पड़ता है। यहां मूलताम, पफगानिस्तान प्रतिके