पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/६८

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खेकरा-खेट जीता। इसको तरकारी बनायी जाती है। हिदलादि सहित पा अन, खिसी । ( पाकराजवार) बासी पाड़ियों पर इसकी ससा पपने पाप फैश खेचरी म. स्त्री०) खेचर डी। १ योगा मुद्रा- पड़तो, जो कुदरसे मिलती है। खेकसे का फम विष। काशीखण्ड के मतानुसार नीमको समट कर पोमाता पौर हरा फल, पकने पर नाम पड़ जाता पालके कुदर पोर दृष्टिको जपर उठा भौहोंके बीच में .। इसके ऊपर रुयं या काटे होते है। खेकमा लगाने का नाम खेचरी मुद्रा है। खेचरी मुद्रा कर शान में करेना-जैसा लगता है। इर्म 'ककोड़ा' और सकने पर कोई रोग नहीं होता और कर्म का फल भी 'बन करना' भी कहते है। मिट जाता है। वित्त और जिता दोनों के पाकाशमें से करा-युकप्रदेशके मेरठ जिलाकी बागवत प्रस्थान करनसे हो इसको खेचरीमद्रा करते हैं। तहमोलका एक नगर । या पक्षा० २८ ५२ उ. समी मनियोंने इस मद्रार्क बन मिहिपायो । विन्दु के से में स्थिरभाव से रहने पर मृत्य का भय सिरोहित मेरठ नगरसे ११कोम पविम पड़ता है। होता है। इस मुद्राको लगानेसे विन्दु ठहर जान। यह नगर पति प्राचीन । ऐसा प्रवादक है।(बायोखख ४.) प्रायः पौने दो हजार वर्ष पहले यर नगर भोगने १ पूजाको कोई तन्वोक्त मद्रा। बायें हायको पत्तम किया । फिर वे मिकन्दरपुर की जाट जातिसे दानी पोर और दाहने हाथको पायौं पार रखके भगाये गये। सिपाही विद्रोहक समय याकि जमो. दोनों हाथ परिवर्तन करना चाहिये। फिर पना. दार भी विद्रोही हुए। उनको जायदाद जवलकरके मिशाको मिला करके समाम लगाते र बीचको किसा टिग राजमल जमीन्दारको दो गयो । गभी चढ़ा या सटा करके अंगूठे पर जमाते है। यज एक सुन्दर जैनमन्दिर और पुलीसटशनसोका नाम खेचरी मद्रा। (तन्यसार ) । प्रमि वर्ष खेकग मेला लगता है। लोकसंख्या खेचरी गुटिका (सं• स्त्री.) गुटिकाविशेष, एक गोगी। प्रायः ८८१८ है। इस नगरको पामदनी २००. यह मन्त्रसित होती है। इसको मुहमें डाल लेनमे मनुष्य पक्षोकी भांति पाकाशमें उड़ सकता है। खेखोरक (म. पु०) खे पाकाश खोलक इव, लस्य खेजडी (हिं. स्त्री. ) माप, एक पेड़। रत्वम्। शब्दयुक्त यष्टि, पावाजदार छड़ी। खेजिरि-वास-प्रालके मेदिनीपुर जिलाका ए" खेषोलक (सं. पु.) पावाजदार छड़ो, बजनेवाला मगर । यह भागीरथोके मुहानापर पक्षा० २९५२ उहा। ७. पोर देशा० ८७ ५८ पू.में अवस्थित है। पहले खेगमन (सं. पु. ) से पाकाश गमनं यस्य, बहुव्री.। यहां टेलीग्राफ प्राफिस था । अङ्गारेजोंके नहाण यहां पा कासकण्ठपक्षी, एक चिड़िया। करके ठहरते थे। भानस कई एक प्रकारेजोंके खेचर (म.पु.ली.) खे पाकाचे घरति, घर ट मकरबे देख पड़ते हैं। पोकसख्या १४५७ है। अलु कममा। १ शिव। २ विद्याधर। १ पारद, खेजेल-यूफ्रटिस नदी के तोरमें रहनेवाली यो जाति । पारा । ४ सू। पादि ग्रह। ५ मेष प्रादि हादग इमको रमणियां परमासुन्दरी होती हैं। गणि। ६ कोष, कमोस। ७ पक्षी, चिड़िया। खेट ( स•० को०) खे पटम, पट् अस् खिट-अच् पण, पास । घोटभ, धोड़ा। (वि.) १० प्राकाम! वा। १ सूर्य भादि ग्रह। २ कर्षक ग्राम, खेडा। गामी, पासमान में चलनवाला । २ पस्त्र विशेष, प्रकइथियार। ४ चम, चमड़ा । खेचरा ( म. स्त्री.) भामाशवली, पमरवले । ५ मृगया, धिकार। ण, घास। . कुपपास्त्र का खेचरामन (स को.) कासीष, कसोस । चलखित फसकाकार कोई काठ, ढालके नीचे की एक धाव ( लो०) खेचर' हिदचादिमिश्वितं पनम् मकड़ो। हेमाद्रिके परिशिष्टखण्ड में लिखा है कि