पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/७

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खातिक परन्तु कोई कोई कर्णाटी या हिन्दी भी बोल सकता बरोसी में पाग रखात भोर गुड़, गिरी, मोठ, पीपल, । खातिक बागे, मेंड, भैम भादि जन्तु पालते है। गोंद तथा छोहारा बुकनी करके मक्खनके साथ पस्थर और महीसे घर बनाये जाते हैं। सबको साफ खिलात हैं । घरकी राखो 48 दिन षष्ठोमाताको सुधग रहमा पच्छा लगता है। मैला कपडा कोरे पुन लेतों और समी. गेज धालीको विदा कर देती नहीं पहनता। है। बहुतोंके घर में छठीको भाईबन्द चौर नातेदार ___ स्खेत जोतने के लिये विमान खासिक बैस और रिशदारी का भोज होता है। १२ दिनका पुवका घोड़े रखते हैं। गेटी, दास, भात और सरकारी इनका नामकरण किया जाता है और परवाती स्त्रियां प्रधाम पाहार है। सब लोग थोड़ा बहुत मांस मछली मुंभमें पञ्चधान्य रखके लड़के को गोद मिसान पहचतो खा लेते हैं। इन्हें भेड़, रिन, खरगोश, उस , मुर्गी हैं। ३ मास या । मासका उममे बच्च का चूडावरण वगैरहका मांस खानम भी कोई पापत्ति नहीं । होता है। विवाहका कोई समय बंधा नहीं है। प्राखिन मासको 'कालो नवमो' ( महानवमी ) तिथि मासकी वालिकासे लेकर १९ वर्षकी युवती तक इस जातिके महापर्वका दिन है। उस अवसर पर व्याही जाती है। मब सोग वाल्यविशडको पच्छे कितने ही मोग भवानीदेशको पूजाके लिये भेड़ समझते। कन्याको प्रथम ऋतुमती होने पर या बलि चढ़ाते पौर बड़े समादरमे प्रसादी मांस खाते अशुचि नहीं मानते । पाले ५ दिनों पङ्गको धो पर हैं। पाखिन मास के नवरात्रको पर्थात् महामयामे कन्याक पच्छी तरह सदी लगाते पोर ठे दिन महानवमी पर्यन्त बड़ी धमधाम रहती है। शिवरात्र मनाते हैं। फिर शभदिन देख कर उसे स्वामाका पौर प्रति एकादशीको यह अपनी दुकाने बन्द रखते सहवास करनेको पाज्ञा दी जाती है। मका विवाही हैं। भाद्र मासको गणेश चतुर्थीको गणेशदेवकी प्रति- बातचीत ठहरानमें पहले कच्चाकर्ताका मतामत सेना मृति बना कर पूजी जाती है। दुर्गा, ध्यामा, मारतो. पड़ता है। उनके कन्याका विवाह करने पर बीत सिधराय प्रादि इनकी कुलदेवता है। हिन्दूशास्त्रोम होनेमे वरकर्ता कन्याकर्ताकी कुसदेवताके मामले पाँके दिन यह भी उपवास आदि नियम पालन करते २ नारियल, तीन पात्र गिरी पोर ५ सैर चौनी मेंट है। किसी. देवताको पूजा करनेमे पाले खातिक करके उपस्थित स्वजातीयों को सम्बोधन करके इस नान करके शुरु हो जाते पौर जल, चन्दन, पुष्प, नारि प्रकार वाक्य दान करते हैं-मेरे पुत्र के साथ रमको कल, पूगफश, सरा, गुड, छोहारा, कपूर और कन्या का विवागा । फिर सपखित प्राप्ति कुटन धूपदीप लेकर पूजा चढ़ाते हैं। उपर कोरए देव- पादिको शका पौर पाम देकर विदा करना पड़ता देवियों को छोड़ यह सूर्यनारायण की भी उपासना करते है। सुभदिनको सम्न ठहराते हैं। बीचबरकमा हैं। इनमें प्राय: सभी मादकसेवो (मगावाज ) हैं। दोनों एक दूसरे के घर पाते जाते रहते हैं। वरवा- पूजा पावण पादिकं समय सौखेमके लिये शराब, को ४ सेर घार, ४ सेर मिगे. ३ पाव पोशदाना, मांग, गांजा और पफोमन मिसनेसे मजा किरकिरा पात्र सुपारी,२०० पान, कम्बाके लिये ४ पहिया पड़ जाता है। पुरुष मस्तक पर चोटी रखते है। दीको बाबिया पोर मिस पोर पानेके कपड़े देने खियोको सास या वासा कपड़ा और गामा पहनना पड़ते हैं। कहीं कहीं कन्या कर्ता अपनी सड़कीगे अच्छा लगता है। सधवा नियां विवाश्के पो बराबर मादेवताके सामने बिठना उसकी गोदमे ५ सुपारी, 'मानसूख' परने रहती है। . ५ शेषर, गिरीके ५ कड़े. ५ केले पोर ५ सेर चावल ... रनको सियां प्रसबके मेले १ पक्षसे १॥ मास तक डामते और दामादको १ छुपा चौर एक पनड़ो देते सोवरसे नौं निवासतीं। रस पवखाम प्रसूतिको पोर पाये हुए लोगों का पान पोर यबर बांटते है। गर्म रखनेके लिये चारपाईके नीचे पाले १५ दिम ज्योतिषी विवाहका शमदिन ठहराता पौर बागके Vol. VI.