पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/७४

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०२ खेरादिसूरमल-खेरी उत्पत्ति विप्रवरी और पञ्चप्रवरी ब्राह्मणोंसे बतलाते और | ७२३८ पू०में अवस्थित है। लोकसंख्या प्रायः ७६१७ कहते हैं कि चन्द्रवंशीय राजपूत राजा मोरध्वजके शामन है। यह स्थान वल्लभाचार्य प्रतिष्ठित गोमाईजीके कालको वह शङ्कर जोशी और शोद देवके नेटत्वमें | मन्दिरके कारण प्रमिड है। यहां दीवानी अदा- महिमरस्थ श्रीरङ्गपट्टनसे जा करके बसे थे। श्रीरङ्ग- लत, थाना, औषधालय, धर्मशाला और गुजगती पाठ- पट्टनमें आज भी इनका मम्बन्ध लगा है। यह अन्तरङ्ग शाना है। (वित्र ) और वहिरङ्ग ( बाज ) दो श्रेणियों में विभक्त | खेरी (हि स्त्री०) १ किमी प्रकारका गेह । यह बङ्गालमें हैं। कहते हैं, किसी भमयको खडाके राजा पुत्रकामनामे बहुत उपजती और कठिन तथा रक्तवर्ण रहती है। २ तृणविशेष, कोई घास । ३ पक्षिविशेष, कोई चिडिया। ब्राह्मणोंको बहुतमा दान दिया, परन्तु अधिकांश ब्राह्मणों। ने उसको अग्राह्य ममझ नगरसे बाहर जा करके निवास | यह दलदलोंमें रहती और ऋतु परिर्वतनके समय अपना किया था। इमोसे दान लेनेवाले भीतरी ओर न लेने- मोमेडन नेताले भीतरी ओर न लेने वामस्थान बदलती है। खेरी उड़नसे दौडनमें तेज है। खेरी-युक्त प्रदेशके लखनऊ विभागका एक उत्तरीय वास्ने बाहरी कहलाये हैं। यह दृढ़काय, परिश्रमी, मितव्ययी और उनतिशील हैं। इनकी स्त्रियां विवाहो- जिला । अक्षा २७ ४१ एव २८ ४२° उ. और त्सवों वा जातिभोजाम मम्मिलित नहीं होतीं। विध- देशा० ८०.२ तथा ८१. १८ पू० के मध्य अवस्थित है। वाए सफेद कपड़े पहनती हैं। वित्र या भीतरी इम जिलाके उत्तरमें मोहन नदी, पूर्व में कौडियाला नदी, बहुत कम देवि पड़ते और दरिद्रावस्थामें लाड वनियों- दक्षिणमें सीतापूर तथा हरदोई जिन्ना और पश्चिममें का कुलपौरोहित्य करते हैं। परन्तु बाज लोग दान पोलीभीत तथा शाहजहानपुर जिल्ला हैं। यह जिला ग्रहण न करनेका गर्व रखते और धनी होते हुए जमान्- | मीतापुरसे २८ मील उत्तर और लखनऊमे ८४ मोल उत्तर अवस्थित है। इसका क्षेत्रफल २८६३ वर्गमीन है दारी. महाजनी और मौदागरी में लगे रहते हैं। माही-। और लोकसंख्या प्रायः ८०५१३८ है। यह जिन्ना अधित्य- कांठामें भी खेड़वानीकी दोनों योगियां मिलती हैं। कामें विभक्त है, जिममें होकर कौडियाम्ना, मूहली. दहा- खेरादि सूरमल-भील जातिमें एक प्रधान धर्म प्रचारक वर, चौका, जल, जमवारि, कठना, गोमती और मुखेता इनका प्रधान उहग्य यह था, कि श्रीगमचन्द्रजी ईखरा- नदियां वहती हैं। ऊल नटोक उत्तरको तगई वहुत वतार हैं। भीलोंके "भक्त" नामक गुरु अपनको खेरादि अस्वास्थाकर है। कौड़ियाला और चौका नदीक मध्यकी सूरमलका शिष्य बतलाते हैं । भाल दे। जमीन शस्यशालिनी और उर्वरा है। जिल्लाका प्राय: खेरानो-काठियावाड़के झालावाड़ विभागमें एक क्षुद्र ६५० वर्ग मील स्थान जङ्गलमे भग है। इम वनमें सुन्दर राज्य । ख राली और वादला नामक ग्राम इम राज्यके शान, और शीशको लकड़ी पायी जाती है, इमनिये अन्तर्गत हैइसका क्षेत्रफन्न ११ वर्गमीम्न है । लोकसंख्या लगभग ३०३ वर्गमील जमीन मरकारको खाम अपनी प्रायः १६३८ है । इम राज्यको आमदनी २५८८०, २० हैं। इम जिलाके उत्तरमें मलेरिया ज्वर प्रबल है। और माग्नगुजारी ६७८, क० दृटिश गवर्ममेण्टको देना दक्षिणांश स्वास्थाकर है। यहां अधिक मूल्यवान खनिज पड़ता है। पदार्थ नहीं हैं, सिर्फ खैरीगढ़ परगनामें मिट्टीका तेल खेरालु --१ बड़ोदा गज्यके काड़ी प्रान्तका एक तालुका ।। निकलता है। गोला नामक स्थानमें अच्छा कहर इसका नत्रफल २४६ वर्गमील और लोकसंख्या प्रायः | और घोराडामें उत्कष्ट शोरा मिलता है। यता जङ्गलमें ७६४६३ है। यह हम छोरसे उम छोर तक समतल वाघ, हरिण, चित्रमृग, शूकर और नीलगाय देखे जाते और जङ्गलसे भरा हुआ है। खारी इसके भीतर पूर्वसे | और विषैले सप तथा कुम्भीर भी यथेष्ट पाते हैं। यहां पश्चिमको बहती है। को उपज कोदो, काकुन, वाजरा, उड.द, मूग, गेह, २ गुजरातम बड़ोदा राज्यक काग विभागक | यव, सरमी, जख, कपास, तम्बाकू, अफीम, नौल, और अन्तर्गत एक मगर । यह अक्षा०२३५४ उ. और देशा० नाना प्रकार शाक सी हैं।