पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/७६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

खलात-खेवट अवस्थामें भी बड़ी विभिवता दृष्ट होती है। भीतरी, मोटा रेशमी कपड़ा बुना जाता और मकरानमें कच्ची भागमें गर्मो बहुत पड़ती सर्दी कम रहती है। दृष्टि रेशमकी चीजे बनती हैं। सभी बराहुई स्त्रियां सूईके सभी जगह अनियमित रूपसे होती और अल्प तथा काममें होशियार हैं और यहांकी कारचोबी उम्दा और स्थानीय रहती है। यथाक्रम अरबी, गजनवियों, देखने लायक होती है। स्त्रियां काले ऊनके टिकाऊ गोरिदों, मङ्गोलों और फिर मिन्धुवासियों के अधिकारमें लबादे तैयार करती हैं। खजूरको चटाइयां, थैलियां, पा यह दिलीके मुगल-मम्राट्का अधिक्षत हुअा। अह- रस्मियां और दूसरी चीजें भी बनायी जाती है। मदजाई शक्ति ई० १५वीं शताब्दको उस्थित हुई और व्यवसाय महसूलकी अधिकता और ऊटीके किरायेसे १८वीं शताब्दीको अपनी चरम मीमा पर पहुंच , परन्तु रुका है। राज्यकै पूर्व और उत्तरपूर्व नार्थवेष्टर्न रेलवे यह सदा दिल्ली या कन्दाहारके अधीन रही। प्रथम चलती है। क्के टासे खे लात नगर तक बैलगाड़ी आने अफगान युद्ध के बाद यह अंगरेजोंके अधीन हो गया। जानेको राह और तारभी लगा है। अंगरेज गवनमेण्ट इसका आधिपत्य १८५४ और १८७६ ई०को सन्धियोंसे खलातके खांको प्रजा और दूसरे स्वाधीन लोगोंक विवेचित और विस्तारित हा है। मकरानमें करिज झगडमि हो हस्तक्षेप करती है। राज्यका परा प्राय का ध्वंसावशेष और 'गनबन्द' (आतशपरश्तोंके पुश्त ) प्रायः साढ़े सात और ८ ॥ लाख रुपयेके बीच और खर्च भूतत्त्ववेत्ताओंके देखने योग्य हैं। कोई साढ़े तीन या ४ लाख रुपया वार्षिक है। अंगरेज खेलातके अधिवासी चटाइयोंके झोपड़ो या कम्बलों- मरकार खॉ आदिको कितना ही रुपया प्रति वर्ष शान्ति के डेरे में रहते हैं। लोकसंख्या प्रायः ४७०३३६ है। बनाये रखनको देती है। किमानोंको खाँके किलेकी प्रधानत: बराहुई, बलची, दिवारो और मिन्धी मरम्मत और घोड़े की हिफाजत करनी पड़ती है। मेना- भाषाएं प्रचलित है। . की व्यवस्था ठीक नहीं। भूमि अधिकांश वालुकामय है। गह और ज्वार अभी तक शिक्षाको अवई ला हो रही है । ममजिद- प्रधान खाद्य है। मकरानमें खजरका बड़ा खच है। के मदरसों में कुछ लड़के पढ़ते और हिन्दू अपने घर पर बागोंमें अनार बहुत देख पड़ता है। नारी और काछी- हो मातापिता कतक शिक्षित हुवा करते हैं। मे बहुत अच्छ मवेशी आते हैं। सरवान और काछीमें खेलाना (हिं० क्रि० ) १ क्रीड़ामें किमी अन्य व्यक्तिको बलूचस्तानके सबसे अच्छे घोड़े पैदा होते हैं। खिलात प्रवृत्त करना। २ क्रीड़ामें सम्मिलित करना खेलमें नगरके पास बड़े बड़े गर्ध उपजते और मकरानकै गधे मिलाना। ३ बहलाना, चुप करना, बहटाना। अपनी द्रुतगतिके लिये प्रसिद्ध रहते हैं। भेष्ट और बकरे ख स्नि (सं० स्त्री.) खे आकाशे अलति पर्याप्रोति, खे- बहुत हैं। काछी, पाब पहाड़ और खारांमें अट बहुत अल्-इन् । १ गान, गामा। २ वाण, तौर । ३ सूर्य । होते और सब जगह माल असबाब ढोनके लिये जानवर ४ पक्षी। ५ जन्तु। . मिलते हैं। सब लोग अपने अपने घरमें मुर्गियां रखते ख लुभा (हिं. पु.) यत्रविशेष, एक औजार । यह है। अमीरों के पास अच्छे पच्छ ताजी कुत्ते रहते हैं। देखने में थाली-जैसा होता है। इससे चमको मुलायर यहां रुपये पैसेका चलन बहुत कम है। मालगुजारी बनाते, खारी नमक रगड रगड़ करके खिलाते हैं। और मजदूरी कृषिजात द्रव्योंमें दी जाती और खरीद खेव (हिं. पु.) तृणविशेष, एक घास। इसका अपर फरोख्त विनियमसे चलती है। जनता अति दरिद्र नाम ‘पलखी' है। प्रथम वृष्टिमें ही यह खूब ऊग है। परन्तु अब गये कई सालोंसे लोग अच्छे कपड़े भाता और घोड़े को खानमें बहुत सुहाता है। पहनने लगे हैं। मकरानियों में भिक्षावृत्ति अधिक प्रच- खेघट ( हिं० पु० ) १ पट्टीदारोंको जमीनके हिसाबका लित है। सोर पहाड़में कोयलेकी सान है। दल- एक कागज । इसमें पटवारी उनकी जमीन और दलोको महीसे अच्छा नमक निकलता है। काली ! मालगुजारीकी कैफियत लिखता है। २ मलाह, मांझी।