पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/७९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

खैरपुर एक कोटो छावनी यह अक्षा० ३३ ५५ उ० और देशा | आया, उस समय ग्वैरपुरमें अगरेजोंके अधीन वह एक ७३.२० पू० में अबोटाबाद और मरीकी सड़क पर स्वतन्त्र राजा रहे। १८६६ ई०को अङ्गारेज गवर्नमेण्टने पड़ती है। जार्ड में रावलपिण्डोमें रहनेवाले अंग राजाको एक सनद दी जिसमें कहा गया कि मुसल- रजी पहाडी तोपखानोंमेंसे एक ग्रीष्मऋतमें यह। मानी आईन अनुसार तलपुर मीर राजत्व कर सकते हैं रखा जाता है। गवर्नमे गट इस पर कोई आपत्ति न डालेगी। मौर खंगपुर --उत्तरसिन्धप्रदेश अन्तर्गत एक देशी राज्य । यह अलीमुराद १८८.४ में मर गये और उनके लड़के अक्षा० २६१० से २७°४६ उ० और देशा० ६८ २०. मीर फैज महम्मद खॉको राजगद्दी मिली। १५ तोपोंकी मे ७०.१४ पू०के बीच अवस्थित है। इमके उत्तरमें मलामी है। Lt. Col. हिज हाईनम मीर मर इमाम शिकारपुर जिन्ना, दक्षिणमें हैदराबाद जिला, पूर्वमें वकम खान् तलपुर जी० पी० आई० वर्तमान अधीश्वर है जगलमोर पार पश्चिममे मिन्धनद है। इस गज्यको इम राज्यमें एक शहर ओर १५३ ग्राम हैं जिनमें लम्बाई ६० कोस और चौड़ाई ३: कोम और क्षेत्रफल लगभग ३६००० हिन्दू आर १६३००० मुमनमान बसे ६.३० वगमोल है यहाँको जनसंख्या १८८३१३ है। हैं। यहां सैकड़ पौछे ६८ मनुष्य कृषि और शेष नौकरी ___ खेरपुरका इतिहाम मिन्ध राज्यके इतिहामक साथ तथा वाणिज्य व्यवसाय करते हैं । खरपुरको जमीन लगा हुआ है। मिव देतो। १७८३ ई०को वलूच बहुत उपजाऊ है। यहाँ जोवार, बाजरा, गह, चना वंशीय मौर फतेह अली खाँ तलपुर सिन्धुदेशके राजा तथा अनक प्रकारको दाल और कपासको उपज प्रधान हए। उनक थोड दिन राज्य करनेके बाद उनके भानजे हैं। यहां फलवृक्ष भी यथष्ठ हैं। यथा-प्राम, सेव, अनार, शोगब खो तनपुग्ने, अपने दो लड़की मोर रुम्तम और खजूर तथा शहतूत। यहां के पाल पशु, ऊंट, घोडा, अलीमुराद के माथ खैरपुरमें राज्य स्थापन किया । उमसे | भैम, बैल, भेंड, गदभ और खच्चर हैं । इम राज्यमें ३३१ मोरशोरावके अंशम खरपूर पड़ा। उस ममय राजकर वगमोल जमीन जङ्गलोंमे भरी है उन्हांको देख भाल अफगानिस्तानक अमीरको दिया जाता था । १८११ / करनेके लिये राज्यकी ओरसे थोई कर्मचारी नियत ईको शोगब खॉन राज्यभार अपने बड़े पुत्र कम्तमको किये गये है जङ्गलामे प्रायः २६०००, ककी आम- अर्पण किया १८१३ ई०को काबुलमें वरकमाई दनी है। यहांमे कपाम, रेशम, अनाज, नौल, हाथका वंश राज्य लाभ करते ममय नाना प्रकारका गड़बड़ बुना कपडा, चमडा तथा तम्बाकूको रफ्तनी होती है। हुआ था। उभी समय मोर रुस्तमने काबुलको अधी- विचार लिये यहां दो अदालत है ; एक खरपुरमें नता कोडी थी थोई दिनके बाद मीर रुस्तम और टूमरी मौरक माथ : जब मीर कहीं जाते तो पहासत अन्नोमुराद दानां भाइयोम विवाद होने पर अंगरेजीको भी उनके साथ ही रहता है खरपूरको स्वावी - मध्यस्थ बनाना पड़ा १८३२ ई०में अङ्गजोंके साथ लसमें एक हिन्ट और मोरके साथ दो मौशबी न्यायकर्ता एक संधि हो गई जिसमें यह निश्चित हवा कि सिन्धनदी रहते हैं इम राज्यको यद्यपि मृत्व दण्ड-विधानका और सिन्धुप्रद शक राम्त से अङ्गरज लोग ना विरोक मम्प रम अधिकार भी है तथापि मीर किसीको मृत्यु टोकर्क जा सकते हैं और अगरेजी सेना जब काबुल की आज्ञा नहीं देते दीवानो अदालत में माझवी जायेगा तो उस समय वहांक मोरोंको सहायता दे नो अदालतके व्ययको भाँति प्रार्थित अर्थका चर्ता शव सब पर्ड गी। इस पर बहतसे राजा सहमत न हुवे . उमः कोषमे देना होता है। इस लिये बदमाको मन समय अली मुरादन खरपुरमें अपना प्रभुत्व स्थापन कर · अल्प' ही रहा करती है। वे पचायत होके हारा यी लिया था। उन्होंने अङ्ग्रेजको ययारोलि सहायता दी अपने विबादकी मोमामा कर लेते है। यहयो- 'यो। इसका फल यह हुवा कि मियानो और दबोरको | संख्या प्रायः पांच सौ है जिनमें से थोई. NE लड़ाई के बाद जब समस्त्र सिन्धुप्रदेश अनोजोंके हाथ और थोडे पैदल है जिनके पास तलवार और क्य Vol. VI. 20