पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/८

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खातिक-खातो दो टुकड़ों पर वरकन्याका नाम लिख कर वरके पातपतण्डुस, चमा, कोहारा, गिरी, गुड़, भात और नामका कागज परकर्ता और कन्या के मामका कागज गेटो नाकर रखते हैं। फिर साथके साथ जानवासा कन्याकर्ताको पकड़ातायी दोनों कागज विवाहः हरेक शख्स उस पर थाड़ा घोड़ा दूध छोड़ता है। यदि के समय मावीमें रखके वर और बन्याके गले में कौवा पाकर मचीजोंको नहीं खासा, रमठा कर बांध दिये जाते है। विवाश्मे ४५ दिन पहले एक गाय को खिलाया जाता है और साथ ले जानेवाले चौकोर कुगह बनाके उसके चारों कोनों पर चारठो कंधे पर घी और दरी मला करके होते हैं। बसपात्र रखके सूतमे उसकी चारों भोर सपेट देते इनमें ११ दिन पोछे मुदं की रोप्य प्रतिमूर्ति बनानकी है। बाके शरीरमें नदी लगा उस कुण्ड के पानीमे चाम है । मूति बन जाने पर कपड़ोंसे सजाक पूज्यपाद ही उसको नहलाया जाता है। इसी दिन वरकन्याके पूर्वपुरुषों की प्रतिमूर्तियोंके साथ पूजाके घरमै उठाकर वस्थापको पूजा होती है। विवाहक दिन कुण्ड खोद रख दी जाती है। वैशाख मासको पक्षयवतीयाको वार पर तथा कन्याका महलाते नये सफेद कपड़े पर नदी के तौर पर कम्बस बिछा और उस पर इन सभी माते है । वर घोड़े पर चढ़के विवाह करने जाता है। प्रतिमुर्तिया को रख कर धूम धड़ाकसे वाह, पूजा और वर मण्डपके नीचे पहुंच कन्याके सामने टोकरी पर तपेण प्रादि करते हैं । इस पिटकायमें ला जो व्यक्ति और कन्या सकी पर खड़ी होती है। लदो लगाके उपस्थित रहता, उसको निमन्त्रण करके खि साना खान करनेका कुण जिस सुत्रसे सपेटते, समीकी पड़ता है। बन्याके बायें पौर वरके दाने हाधमें बांध देते हैं। खातिर (१० स्त्रो.) १ समादर, सम्मान, इन त, मनु विवार के ममय वर और कन्याके बीच में कपड़े का हार । (भव्य )२ पथ, निमित्त, कारण, वास्ते, लिये। एक परदा गा दिया जाता है। पुरोहित पूजा पाठ खातिरखाइ ( फा० पथ्य -कि० वि.) इच्छानुरूप, शेष करके पाये हुए लोगों के साथ नवदम्पतीको धान्य मोंके मुवाफिक । छोड़के पाशीर्वाद देते है। दूसरे दिन सभाको वर खातिरजमा (प. स्त्री०) विखाम, सन्तोष, समझो बन्या दोनों बैस पर चढ़क निकलते हैं। चलते समय भरोसा । राममें ग्राम्यदेवताको प्रणाम करना पड़ता है। वरके खातिरदार (फा० वि०) खातिर करनेवाला, जो खातिर पर पहुंचने पर कन्याको माता पपनी सड़कीको करता । से कर समधिन ( वरकी माता) को सौंप जाती है। खातिरदारी (फा० स्त्रो०) मनुहार, भावभक्त, खातिर विवार के पीछे सीमर दिन कन्याके पिता जातिमोज करनेका काम।। करते पोर वरके पितामाताको कपड़े और दिखायके खातिरो, खातिर देखी। सिये एक रुपया देते हैं। ५ दिन परकर्ताको भी खातिरी (जिी०) नदी किनारको एक फसल । या ही प्रकारसे जातिभोज और मर्यादामे दूना रुपया सही जोरसे या सोंच सींच कर तैयार को नाती है। देना पड़ता है। खाती (हिं० स्त्री०) १ खत्ती, गडा, खों। २ क्षुद्र पुष्क- नमें बहुविवारको 'चास तो है, किन्तु विधवा. रियो, तसेया। भूमिको खनन करनेवाली कोई जाति। विवाह नहीं होता। मराठोंके बीच जानेवाले सभी बद। (वि०) ५ खाने में लगी रजा खासी। सातिक शवदार करते, पान्सु विजयपुरके सोग मत- साती-एक हिन्दू जाति । यह लोग लकड़ीको चो देह गाड़ देते हैं। मुकी का दे करके सववाहक बनाते हैं। युक्तप्रदेश में इन बदर और दाक्षिणात्यम दूबको हाथ से घरको सौट प्राति और मृत व्यक्षिके मुतार कहा जाता है । खातो शब्द राजपूतान में व्यव. प्रापवायु निकालने की जगह उसको छोड़ जाते है। । इनको विसोतर, मेवाड़ी, पूर्विया, दिलीवाला, मैसी दिन मतव्यक्ति के पासीय करके अपरी पत्थर पर जांगड़ी पोर बढ़ई धादि श्रेषिया प्रधान रे । फिर विसो.