पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/८१

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खैरवाल-खैरागढ़ खरवाल (हिं. पु. ) वृक्षविशेष, कोलियार पेड़। । ३०८ वग मोल और लोकसंख्या प्राय: १२७६८२ है। खरसार (हि. पु० ) कत्था, खैरका जमा हुआ रस। ख रागढ़ तहस लका एक छोटा ही गांव है। उतङ्गग्न खेरा (हि. वि० ) १ कत्थई, खर-जैसा लाल। खैरके नदो इसको दो भागों में बांटती हैं । यहाँके पहाड़का लाल रङ्गका कबूतर, घोड़ा और बगला भी 'खरा' ही कह- पत्थर मकान बनाने के लिये बहुत अच्छा रहता और साता है । (पु० ) २ धान्यलमि, गेगभेद, धानको एक कोमतो ठहरता है बीमारो। इसमें उसके मञ्जरी पीतवर्ण पड़ जाती २ इमो नगरको तहमोलका एक नगर। यह है। ३ एक तालाको दून । ४ मत्माविशेष, कोई मछली। आगरासे ८ कोम दक्षिण-पथिममें उतजन नदी यह बङ्गालकी नदियों में बहत होती है। किनारे अवस्थित है। यहां थाना, डाकघर और खेरा-मेदिनीपुर जिलाको एक प्राचीन जाति। इस विद्यालय हैं। जातिके अधीन एक ममय वलरामपुर, खड़गपुर, और ३ मध्यप्रदेशका एक जागीरदारी राज्य । यह कदारकुण्ड परगना थे । वलरामपुरमें खराराजके अक्षा० २१४ तथा २१३४ उ. और देशा०८० २७ वामस्थान और उनके प्रतिष्ठित देवमन्दिरादिका भग्नावशेष एवं ८११२ पू०के मध्य अवस्थित है। क्षेत्रफल ८३१ विद्यमान है। बहुतोंका मत है कि वलरामपुर ओर कर्ण वर्ग मोल और लोकसख्या प्रायः १३७५५४ है । खेरागढ़ गढ़के राजाओंके पूर्वपुरुष ग्वैगराज्यके दोवान और द्रुग जिलेका पश्चिम मीमा पर पड़ता है। इसमें ३ टकडे गढ़के मर्दार थे। उन्होंके षड्यन्धसे खराके राजा मारे हैं। पहले खैरागढ़के राजाओंका अधिकार केवल गये और उनकी सातो रानियां सती हुई। रानियोंने खन्नवा नामक छोटेसे परगने में रहा। ई० १८वीं शता- चितारोहण कालमें उन्हें यह कहकर शाप दिया कि दोके शेषकालको एक ऋणके बदले खवर्धा राज्यसे "जिन्होंने षडयन्त्र रचकर हमलोगोंका नाश किया हम खमरिया ले ली गयो और राज्यका प्रधान क्षेत्र ख गगढ मतियोंके अभिशापसे उनकी भो मात पुरुषके बोचमें ही मण्डलाके राजाओंसे मिला । फिर डोंगरगढ उस सन्तान नष्ट होगो।" मतीको वात कदापि मिथ्या नहीं जमोनदारको आधी भूमिका भाग है, जिमने मराठोंके होती और ऐमा सुना जाता है कि वलरामपुरक राज्यवंशज विरुद्ध विद्रोह किया था। खैरागढ़ और नांद गांवके में भोमसेन महापात्रमे ममम पुरुषमें राजा वोरप्रसाद राजाओंको बलवेको दबा करके उसका राज्य आपममें और कचगढ़ राजवंशके प्रथम राजा लक्ष्मणसिंहसे ___बांट लिया । खेरागढ, शहर कोई ४६५६ लोगोंकी सम्बम पुरुष अजितसिंह निवंश रहे। एक बसती है। बङ्गाल नागपुर रेलवेके डोंगरगढ. और कोई कोई कहते हैं कि मेदिनीपुर शहरसे पांच या नांदगांव दोनों ष्टेशनोंसे यह २३ मील दूर परता है। ६ कोस दूर जगनाथ जानेके राम्त को बगल में अयोध्या- राज्यके पश्चिम भागमें पहाड़ है। खैरागढ के राजा गढ़में खराके राजा रहते थे। इम गढ़के ऊपर जाड नागवश राजपूत समझ जाते हैं । १८८० ई०को २३ वाङ्गला नामको एक मन्दिर है जिसमें सैराराजको वर्ष वयसमें राजा कमलनारायण सिंह अभिषिक्त और कुलदेवी भगवती सिंहवाहिनीकी मूर्ति है। इसके अति १८८८ ई०को मौरूमी राजा उपाधि प्राप्त हुये। ल ग रिक्त खरा राजाको और भी कई कार्तियां हैं। पूर्वी हिन्दौको एक शाखा भाषा वावहार करते हैं। खेत आजकल भी मेदिनीपुर जिलामें बहुत जगह खैरि। सौंचनेके लिये २२४ तालाब हैं। रागढ. नगरम नाम जाति रहती है। पीतलका बर्तन और लकड़ीका सामान बनता है । खेरागढ़-१ युक्तप्रान्तीय आगग जिलेको दक्षिण-पश्चिम बोडियां तैयार करनेमे बहुतमे लोग लगे रहते हैं। तहसील। यह अक्षा० २६४५ तथा २७°४ उ० और राज्यके दक्षिण भागमे हो करके बङ्गाल नागपुर रेल देया. ७७°२६ एवं ७८.७ पू० पवस्थित है । क्षेत्रफल निकलो है । इस राज्यको वार्षिक प य प्रायः ३०३०००,