पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/८९

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खोगे-खामा सौरी (हि. स्त्री० ) १ कपास्न, खोपड़ी। २ भस्म, राग्य । फांक-जैसा होता है। इनमें कई एक गोत्र खोर (हि.पु०) वृषभशब्द, बलकी बोली या डकार । हैं। इनका विवाह मगोवमें नहीं होता। इन लोगों में चौलना ( हि क्रि०) उबलना, गम होकरके चुरने बाल्पविवाहकी प्रथा प्रचलित है। पांचसे १३ वषको लगाना। अवस्था तक लड़कोंका विवाह होता है। विवाहक खौलाला ( हि पु० ) उबानना, पानी वगैरहको इतना कार्य कलापादि उच्च थे लोक हिन्दकी तरह हैं। गम करना कि वह बोलने लगे। विवाहकै पहले कन्या वरको उपहार भेजतो है, वरके खोहा (हि. वि. ) १ खोराको, पेट, ज्यादा खानवाला। उपहार ग्रहण करने पर विवाह बन्धन दृढ़ हो जाता २ खानका लालची मरभुखा ३ अन्य व्यक्तिका उपाजित है। इन लोगामि भी विधवा विवाह और विवाह धन व्यय करनेवास्ता, जो दूमर्गका रुपया पैमा उड़ाता हो | बन्धनच्छद निषिद्ध हैं। पूजा, विवाह प्रभृति मङ्गल- ख्यात ( वि.) ख्या-त। १ कथित, कहा हुआ। कार्य में ये ब्राह्मणको नियुक्त करते हैं ब्राह्मग्म, कायस्थ, २ विथ त, मुना इमा। ३ ख्यातियुक्त, मशहर । इमका और वैश्य इनके हाथका जल और मिष्टान खाया करते हैं। संस्कृत पर्याय -प्रतीत, प्रथित, वित्त, विज्ञात और ख्यापक ( म० त्रि. ) ख्या-णिच-गब ल । १ जापक, बतला- विश्रुत है। नेवाला । २ प्रकाशक, जाहिर करनेवाला ख्यातगह ण ( म० त्रि. ) ख्याता प्रमिला गई गाा निन्दा ख्यापन ( म क्लो. ) स्था णिच-ल्य ट । प्रकाशन, जहर । यस्य, बहुव्री०। अवगीत, बदनाम, जिमको बहुतम ख्याल ( अ पु० ) १ ध्यान, तवज्जोह । २ अनुमान, अट- आदमी बुरा कहत हों। कल । ३ विचार, समझ। ४ आदर, मम्मान, लिहाज । ख्यातव्य ( मं० त्रि० ) वक्त य, बतलाया जानवाला। ५ गौतभेद, किमी किम्मका गाना। इसमें एक मुखड़ा स्याति ( म० त्रि०) या तिन्। १ प्रशंमा, तारीफ । और एक अन्तरा लगता तथा विशेषतः शृङ्गार इमका २ प्रसिद्धि, नामवरी। ३ कथन, बातचीत । ४ प्रकाश, । वर्णन रहता है। लावनीक गानका कोई ढंग। रौशनी। ५ ज्ञान, ममझ। ६ महत्तत्त्व । __ "मनो महान मास व्रमा पूर्वाहि यासिर शरः" (माग्याभाष्य) ख्याल खुशाल-एक विख्यात कवि तथा गायक । इनकी | कवितायोंमे एक यों है :- ख्यातिकर (म.वि.) प्रशंमा करनेवाला. जो तारीफ मन्ददा निगा पतिको ठिटीमा सामसलीमा करता हो। गेम रिझोना बाको चितवनमै टोना। ख्यातिघ्न ( म० वि०) ख्यातिको नाश करनेवाला, जो पटनागर रसके सागर गपागर भटनागर नामवरोको मिटाता है। रसिक प्रीतम मन मोह लियो मोम भाष ख्यातिमत् ( स• त्रि.) ख्याति-मतुप् । ख्यातियुक्त, खाना पीना सोमा रहना भौना । नामवर। ख्याली (फा.वि.) १ फजी, कल्पित, अटकलपञ्च । स्यात्यापन (स' त्रि. ) ख्यात्या आपनो युक्तः, ३-तत्।। २ खवती, पागल, मनको। ख्याति लाभ करनेवाला. ओशोहरत शामिल कर सिखानाविप)मारी बिगान । चुका हो। | खिष्टीय (त्रि.वि.) ईमवी, ईमाकै मुताजिक । ख्यान-यवमायो और वषिजोवी जातिविशेष। उत्तर ख्रीष्ट (किं. पु.) ईमा, ममोह। मा देखा: बङ्ग में यह ख्य न ओर प्रासाममें कोम्लिता कहलाते हैं। खाजा ( फा• पु० ) १ प्रभु, खाविन्द । २ प्रधान, सरदार । ये अपमको कायख-सन्तान जैसा बतलाते हैं। इनके ३ सुप्रमित व्यक्ति, मशहर शखम । ४ प्रतिष्ठित वणिक, पूर्व पुरुष कोचबिहारराज सरकारमें दैवज्ञका काम बड़ा मौदागर । ५ मुमतमान माधुमेद कोई मुमलमान करते थे। ये देखनमें सुश्री हैं। इनका मुख चौड़ा. | फकीर । ६ पन्तःपुरका क्लीव दाम, जनानखानका नामर्द मत्या गोल, नाक कादिया-जैसी और चच भामकी | नौकर •