पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/९

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खातो-खादिरीय तरे १२०, मेवाड़े ६. पूर्विये ५५, दिशीवास ५६, बढ़ । नदी, झील कादिके तौर पड़ता है। २ चरागार, गोबर ८५८और जांगड १४४४ शाखामों में विभक्त एए है।। भूमि । खातो. खाता देखो। खादि (वै. लि.) खाद कर्मणि इन् । १ मच्छ, खाया खाव (स'• क्लो. ) खन-छन् किञ्च । उघिनिभा विम। आनेवाला। (पु.) २ असहारविशेष, कोई गहमा। B. १६९।१खमित्र, सन्ता। २खास, गड्ढा । ३ वम, (सक १६६९ ) ३ वाणकर्ता, वाता, बचाने वाला। जनन । ४ सूत्र, धागा । ५ जनाधारविशेष, पानी रखने. का कोई पान खादि (Eि स्त्रो० ) दोष, मुराई । खादित (म. वि.) खाद कमणित। भक्षित, खाया बाद (म.१० खाद भावे घत्र । भक्षण, खवाई। साद (हिं. स्त्री०) पास, खेतों में डाला जानेवाला इपा। गोवर इत्यादि । चूना, खड़या पादि चीजें भी खाद का | खादितव्य (म त्रि.) खाद-तव्य । खादनीय, भच्च, खाने सायक। काम देती है। खाद डालनेसे खेतको उपज बढ़ जाती खादिम (प. पु.) सेवक, खिदमत करनेवाला । दा. है। खेतको हरेक चोजके लिये अलग अलग खाद गाह वगैरहका रखवाला भी खादिम करनाता है। पड़ती । चहगे की म्य निसपासिटियाँ पपना कूड़ा खादिम हुसेन खा-नवाब शोराज-उद-दौलाके ममय कर्कट इकट्ठा कर खाद जैसा बरतती है। पुरनियाके एक सूबेदार । इन्होंने मीरजाफरको विद्रा खादक { म• वि०) खाद-तु ल । १ भक्षक, खानेवाला ने पर पुनियाभ घुमने न दिया था। रसोसे मीरजा- (मन ५।५।) २ ऋणग्रहीता, कर्ज लेनेवासा। फरके नवाब होने पर उनके पुत्र मोरन फोबके साथ "मादको वित्तहीनः स्यात लपको वित्तवान् यदि । मूलतस्य भवेहे यम् ॥" (भारत) खादिमको पाक्रमण करने चले, या डर कर भाग यदि ऋण लेनवाना निर्धन पोर देनेवासा धनवान खड़े हुए। किन्तु पचानक डेरे में बिजली गिरनेसे मोरम मर मिटे। हो, तो समे मुन्न ही देना पड़ता है। सादतमोदमा (सं• स्त्री०) खादत मोटत इस यते खादिर (सं• त्रि.) खदिरस विकारः, खदिर-पत्र । यस्ता क्रियायां मयूरव्यसकादित्वात् समासः । एष १ खदिर-निर्मित, खेरका बना पा।२ काई । (पु०) क्रिया, खाना उड़ाना । इसमें भोजन पौर हर्षप्रकाश खदिग्स्व अषयवः । १ सदिरसार, कत्या । ४ विट- करनेको पनुमति रहती है। खदिर, पापगे कत्था। स्वादतवमता (म. स्त्री०) खादत वमत इत्य यते यमां खाटिक (म० लि.) खदिर चातुरर्थिव पुष । खदिर क्रियाया मयूरव्य मकादिवत् समासः । एक क्रिया खाना | नित, खैरमे पैदा होनेवाला। उगसमा । रसमें भोजन और वमनकी पनमनिती । खादिरसार (म. पु० ) खदिर विकार पर समः खादन (म• ५०) खादत्य नेम, 'खाद करणे खुट् । कर्मधा खदिरहभिर्यास, कत्था । इसका संस्थान १ दन्त, दांत । (क्लो०) भावे शुट । २ पाहार, खवाई। पर्याय-खादिर, पासमार, मत्सार, पद और पर खादनकोष्ठक (म० की.) पखकाहिस्तोबत भोजन. एकत्या बड़वा, तोता, उष्ण, रुचिकर, दीपन और पात्र, घोडेको दाना, घास खिसानका दो रायचा कफ, वात, वर तथा कण्ठका रोग दूर करनेवाला है। बर्तन। (राजनिषए) खादिरायण (स.पु.) खदिरस्य गोतापत्यम, खदिर- सादनीय ( स० वि० ) खाद-मनीयर। भोजनीय, खाया पत्र । खदिर नामक ऋषिके वंधम बापण करने. जानेवाला। वाले। सादर (हिं० पु०) १ तराई, कहार, नौवे जमीन । इसमें बादिश्य (स.वि.) स्वादिरी-ठक मदादिभो ठक् । पा वरसातका पानी बहस दिन ठहरता है। खादर प्रायः ॥९० खादिरीसे उत्पन। .