पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१०६

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६ . ... ' ' ,महम्मद मिर्जा-महम्मद रेजा खां ।। .. विशेष व्युत्पत्ति थी। बड़े होने पर ये भारतवर्ष, प्रतिष्ठाता। इनका प्रयात नाम मुबारिज उद्दीन था। अरव, तुर्किस्तान, मिस्र तथा दक्षिण परसियोंके गांव परसियाके राजा सुल्तान भाबु सैयद के अधीन एक गांवमें घूम घूम कर विभिन्न जातियों तथा धर्मावल | उच्च पद पर नियुक्त हुए थे। १३३५ ई० में उक्त राजाके .. स्वियों के साथ मिले थे। " | मरने पर जब राज्यमें विश्ल ता प्रारम्भ हुई तब इन्होंने... , • इसी समय मन्नूजान खानमका स्वामी परलोक- येजदको अधिकार किया। १३५३ ईमें शाह शेख आबु.. बासी हु। मन्नूजानके विशेष अनुरोध करने पर इजाफसे इन्होंने सिराज छीन लिया । : पोछे इजाकको महम्मदको घर लौटना पड़ा। उनके हुगलो पहुंचने भी मार कर ये फार राज्यके अधीश्वर वन.पेठे। १५५६ " पर मन्नूने अपनी सारी सम्पत्ति उन्हें दे दो। ई०में इनके लड़के शाहसुजाने इनसे विद्रोह कर इनको. . .. अब महम्मद महसिन सर्घसाधारणको दृष्टिमें आये। आखें निकाल लो और आप सिराज सिंहासन पर धैठ दरिद्रको अन्नदान उनके जीवनका महाप्रत था। बड़े गये। १३५४ ई०में मुजफ्फरको मृत्यु हुई। १ मुवारिम: बड़े अक्षरों में जो दानपत्र लिखा है उससे अनुमान होता उद्दीन महम्मद मुजफ्फर, २शाह सुजा, ३ शाह , अहमदा है, कि सरकारी खजाना दे कर जो कुछ वचता उसे वे ४ सुल्तान अहमद, ५ शाह मनसुर, ६शाह आदिपा, दरिद्रोंके बीच वांट देते थे। शाह जैन उल साविहीन इन सातोने ७७ वर्ष तक प्रबल महम्मद मिर्जा-एक संसार-विरागी युवराज । ये अमीर | प्रतापसे फार राज्यका शासन किया था। परबत्तों दो तैमूरके पौत्र तथा मोरन शाहके पुत्र थे। संसारसे | राजाओंके कुछ महीने राज्य करने पर फार राज्य किसी विरत हो ये अपने भाई समरकन्दाधिपति सलिल उल्ला | दूसरे राजाके हाथ चला गया। ..:. :: . खांके साथ रहने लगे। १४०८ ई०में मिर्जा शाहरुकने | महम्मद (मुला)-"शामस-घाजिग" तथा हवसी-फरिद- । समरकन्द पर अधिकार कर जब अपने पुत्र मिर्जा उलध | फिशारा-उलफयेद नामक ग्रन्थके लेखक। इनका जन्म- घेगको वहाँका अधिकारी बनाया, तव युवराज मिर्जा, स्थान जौनपुर था। ये:महम्मद फरकोफे पुत्र थे। .महम्मदने अपना शेष जीवन उन्हींकी अधीनतामें यिताया १५६२ ईमें इनकी मृत्यु हुई। .. .. . .. था। १४४१ ई० में इनकी मृत्यु हुई। महम्मद रजा-असरकात अलविया तथा इन्दितार-उल- महम्मद मुफिम-तवकात-इ-अकवरा वा तारीख निजामो | अहकाम नामक अरवी धर्म-शाखके प्रणेता। . , .. नामक भारत-इतिहासके लेखक । १५९३ ई०में इन्होंने महम्मद रफिया चापेज-इस्पाहनवासी एक धर्मप्रचा. उक्त प्रध समाप्त फर अकवर वादशाहको समर्पण रफ। 'पे मिर्जा सायव और ताहिर बाहिदफे .समसाम. किया। इनका प्रकृत नाम खाजा निजाम उहीन अहमद यिक थे। इनके लिखे हुए फारसी भाषाभं एक दीवान था। पेहोरटवासी खाजा महम्मद मुकिमके पुत्र थे। तथा उल-जनान नामक एक धर्मग्रन्थ मिलते हैं। इसके इनफे पिताने मुगल बादशाह वावर शाहके अधीन सिवा शाह अब्बास तथा तुरानके राजा पलान वांका दीवानका काम करके अच्छा नाम कमाया था।.. वायर युद्ध वर्णन फर इन्होंने एक दूसरा काथ्य भी लिखा है। . शाहकी मृत्युके वाद पे अहमदावादके अधिपति मिर्जा असकरीके धजोर हुए थे। कुछ समय इन्होंने अकवर | महम्मद रफिउद्दीन (मुहाजिस )-दाक्षिणात्यवासी एक शाइके अधीन भी काम किया था।. .: .. मुसलमान कवि । ये पहले सम्राट अकवरके यहाँ सेना. . ... इनके पुत्र महम्मद अकवरशाहके यहां गुजरातका | ' नायकका काम करते थे। १५६२ ई० में इनका दीवान वफ्सी हुआ था। इसी पद पर रह - कर १५६४ ईमें ) ग्रंथ समाप्त हुभा। सम्राट्ने इनको कवितासे प्रसन हो . उसफा देहान्त हुआ। लाहोर नगरमें इरावतीके किनारे इन्हे यथट पुरस्कार दिया था। . . . . .. .. . मकररा तय्यार किया गया। , .महम्मद रेजा स्त्रां-बङ्गालके एक नायव सूर्यदार । नवाब महम्मद मुजफ्फर-फार-राज्यके मुजफ्फरी राजवंशके | जाफर अली खांके मरने पर इनका पुत नजिमुहोला ..