पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१०८

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पहम्मद बिन ईसस-महम्मद विन तुनिश अलबुखारि) :. ... . महम्मद विन ईसस-रिसाला अल मुआजम फी आशा को हुकुम दिया, फिजाओ, आज ही. कासिमको नाजे ... आर अल माजग' नामक प्रथके प्रणेता। गोके चमड़े से लपेट कर अच्छी तरह सिलाई. कर दो। । महम्मद विन प्रवाहिम (सदर सिराजो कपिल कुजात)- सलीकाक्रो आमr फौरन तामिल की गई। तीन दिन ' .. उल हिपात नामक प्रथक टीकाकार। ये मुल्ला सदर असा गन्त्रणा भाग फर फासिमले प्राण निकले । । । के नाम भी प्रसिम्-थे। ___कासिगको मृतदेह जब खलीफाफे सामने लाई गई, महानद विन इद्रिस (इमाम)-एक मुसलमान-प्रथकार । | तष दोनों कन्याओंने प्रकृत घटना तथा कासिमको निदी- गे इस्लामधर्मके तृतीय सम्प्रदायके अधिष्टासा थे। इन्हो- पिता कह सुनाई। इस पर सलीफा क्रोधका पारावार . ने प्रवादगाला संग्रह कर गापुस्तक लिखी थी। न रहा। उन्होंने अपने अनु वारो जवालागोके येश । महामद विन इजाक उल नादिम-शताव उल फिरिस्त | घाई को पूछमें गाँध कर घुड़दौड़ करनेका हुकुम दिया। नामक एक सुप्राचीन अरवो नथके प्रणेता । १८१ ई०। इस प्रकार राशी रग और खुरको ठोकरसे दोनोंको : यह थ लिखा गया था । इस प्रथम अलिफ-लयला | प्राणवायु उड़ गई। पीछे मृतदेह नदी में फेंकी गई और वा 'एक हजार एक रजनी' नामक अरवी उपन्यासोंका | कासिमफा शरीर दमकसमें ला कर दफनाया गया। उल्लेख है। महम्मद विन करम उद्दीन-वहर उल फजापल नामक . ' महम्मद विन फासिम-एक प्रसिद्ध सिन्धु-विजेता । पारसी अभिधानफे प्रणेता। - ।' खलीफा प्रथम पालीदके भाई तथा हिजाज विन युग्मुफ- महम्मद विन खवन्द शाह (विन मह मूद)--एक पिण्यात के जमाई। इन्होंने ७११ ई०मै उक्त खलीफाकी आझांसे मुसलमाम ऐतिहासिक। इन्होंने 'रोजत उल सफा' . सिन्ध पर ससैन्य चढ़ाई की थी। पहले इन्होंने देवल नामक महम्मदीय कहानी पारसी भाषामें लिखी थो। ये धन्दर ( या मनोरा घाउह) पहुंच कर नारायणकी आर सर्वसाधारणमें मीर खबन्द, अमीर खां वा मीर खोदके . कदम बढ़ाया था। यहांके शासनकर्ताको छलसे यशी नामसे विख्यात थे । इनका जन्म १४३३ ई०में मावरुनहर भूत कर इन्होंने शेवान (शिवस्थान ) दुर्ग को जीता। नगरमें हुआ था। पिताका नाम था संयद पुर्हान उद्दीन इसके बाद वे नारायणकोट आये और यहांसे सिंधु- स्वयंदशाह । पिताको मृत्युके याद होरटको राजा मुल्तान नद पार कर ७१२ ई०मे हिन्दूराज दाहिर पर इन्होंने , हुसैन मिर्जाके प्रधान मंत्री अमीर अली शेरके साथ इन- "गाया योल दिया। रायलदुर्ग में राजा दाहिरकी मृत्यु का परिचय हुआ। इन्होंके यत्न, दया तथा उत्साहसे होने के पश्चात् उनके भात्मीय स्वजनोंको मुसलमानों ने महम्मदने अपना इतिहास-ग्रन्थ समाप्त किया । १४६८ फैद कर लिया। फेवल दाहिरके पुल जयसिंहने काश्मीर ई० यहुत दिनों तक रोग भुगत फर बालन नगरमें इन- भाग कर अपनी जान बचाई थी । पीछे कासिमने वालणा की मृत्यु हुई। इतिहासके छः मंश तफ लिस्त्र कर याद पर अधिकार कर आलोर दुर्ग जीतना चाहा। ये शय्याशायी हुए थे। पीछे इनके लड़के खोन्दा ७१३ ई० में इन्होंने भालोर विजय फर दाहिरको दो | मोरने १५२३में यां भाग शेष किया। महम्मदीय इति- कन्याओं को दमस्कस भेज दिया। खलीफा सुलेमानने | हासमें इस इतिहासको ऊंचा स्थान दिया गया है। दोनोंको अन्तापुरमें रखा। एक दिन खलोफाने उन्हें महम्मद बिन ताहिर शखुरासनके ताहिरी जातीय अपने कमरे में बुलाया और उनको रूप लावण्यता पर अन्तिम राजा। ८७४ ६०के युद्ध में याकुच विन लाइसने . मोहित हो उनकी इच्छा पूरी करनेगो कहा। इस पर इन्हें पकड़ फर फैद कर लिया। नभीसे पुरासगराज्य : कन्याओंने उत्तर दिया, "कासिमने पहले हम लोगोंका याफुयके हाथमें रहा। धर्म नष्ट कर आपके पास भेजा है। अतः हम लोग महम्मद यिन सुनिश ( अलवुपारि )-अबदुल्लानामा थाप शाहजादेके उपयुक्त नहीं रहीं।" खलीफा यह नामक फास्पीय सागरोपकूलवत्ती उजयक तातार जाति- सुनते ही आग बबूले हो गये और तुरन्त अपने नौकरों के इतिहास प्रणेता | यह प्रय इन्दोंने निजामुद्दीन . ..