पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१११

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पाम्मद गाह-महम्मद माद (२य। लिजिर पाये. पात्र तथा . फरीद उद्दीनके पुत्र थे।। प्रयके प्रोता, पापडशायामी सैयदयालोफे दुध १८०० १४३४ २०में अपने चचा मुबारकको हत्या कर ये मिहा में इन्होंने अपना नय सम्मान किया । मन पर यैठे। पारद य गय करनेके बाद १४४६९०. महम्मद मार-तैमुर मादफे पुत बार भमन माद अम. में इनकी मृत्यु हुई। 'दादी पौर। दाने दोन महम्मद हारा कायुन्टी महम्मदशाह-गुजरातके एक राजा। १४४३९०में अपने . भगाये जाने पर हारट पर अधिकार किया। कुछ दिन पिनाफे मरने पर ये सिदामन पर अधिमद हुए। इनफो। राज्य करने गर १८२६ मे पालोकयामो हुए। पाँच खोमे विष खिला कर इन्दै १४५10 मार डाला। । इनका पुर्व कामरान मिहासन पर प्रैठा। महम्मद शाह-मालयाधिपति होसरशाहके पुन । १४३४ : महम्मद साह (वामनी १मा यक्षिण बंदेश वापनीयंग में ये अपने पिताको गहो पर यैठे। नौ माससे दाद ५म सुलतान, मुलतान भन्दाउदोन हुसैगफे कनिष्ठ पुत्र । इनफे मंत्री मालिक मुधियफे पुन महम्मदने उन्हें विष १३७८ ई० में अपने भाई दाऊद को मार कर ये पटपर्गा खिला कर मार डाला और भाप महमूद शाद विलगी। नगरकी राजगद्दी पर बैठे। प्रायः वोम य राय करशी. नामसे राज्य करने लगे। में १३१७ में ज्यररोग प्राणत्याग किया। पीछे इनके महम्मद शाहपरसियाफे एक राजा, अम्घास मिजाके पुत्र गपामुद्दोग राजगद्दी पर मासीन हुए। ये साहित्य. पुन तथा फथ् मायुशाहक पोत । १६३४ ई०में ये प्रेमी थे और माहित्यको उन्नति में हमेशा लगे रहते थे। सिंहासन पर पेठे और १८४७९०में परलोकयासी हुए।! इनको पद्यम विरोर प्रेम था और मार भी अच्छे गये महम्मद (आदिल या धादिलोर- शरतीय एक पय बनाते थे। इनके साहित्यिक मेमसे भरव श्रीर अफगान योर। ये शेरशाह भाई और निझाम सां। परसियाके भनेको कयि इनके पास भाषा करते थे। शूरफे पुत्र थे। इनका प्रशत नाम मुबारिज वो था। विचारपति मार फेजला जून एक दिन एक छोटीमो १५५४ २०में सलोम शाहके नायालिग पुत्र फिरोजको फयिता राजाको पढ़ सुनाई। राजाने प्रेमसे गहगह हो राज्यच्युत तथा मार कर यह महम्मद शाह भादिलफे। एक सहन ग्यर्ण मुद्रा दे उन्हें विदा किया । इफे शासन. नामसे गजतख्त पर बैठा। कालम यिगपात कवियर हाफिजने दक्षिण प्रदेश मानेको महम्मद म्ययं मूर्य था, इसीलिये विद्वानों का संसर्ग हा प्रकट की, पर कालवामे या मालमा उनको पूरी विलफुल नहीं चाहता था। मूनों को हो राजदरबार : म होने पाई। चलतो धी। उनमें सभी मुसलमान थे, मिर्फ एक हिन्दू महम्मदशाह (२५) -चाल गोयनाय ये गुल्लाग, हुमायू था। यह दिग्दू था सही पर बहुत दुराचारो था । मलीम : माहफे पुव । १४६३ में अपने भाई निजाम शाद इसे पाजारफा अध्यक्ष बना गये थे। भय महम्मद शाहके मरने पर पे पिताको गदा पर बैठे। इस समय ने इसीको राज्यका सयेसर्वा बनाया। धीरे धीरे हिन्दू इगकी उमर मिनी याका घो। मना रानो माना क्षमता बढ़ने लगो। इस पर अफगान कर्मचारी जलने .. भाज्ञानुमार पाना हान और ममता मापद गान लगे और महम्मदके कट्टर दुश्मन हो गये। अन्त में उन्हों. गयकार्यकी पोलोयन करने लगे। इन्होंने पोम पर्ष में रामाफ जमाई इमादिम यूएको १५५५ ई० में गहो पर राज्य कर १९८२१०में परलोकमा यात्रा की। बिठाया। मदम्म नाइने सुदीप काल तरराय ती किया, पर मदम्मद बचायका कोई रास्ता न देन गुनार र राज्यकाल में यात्मझदाइ यिद RE, गया भाग गये। १५५६ १०में बहाल के राजा बहादुर शादफे वा मनीशका गौग्य रयिका मन होला नी सा साथ यह मुर-युज गया था और पदी मर गया। ना है। जो जीता इनके पूर्व पुरुषका कर दिया इसने पं.यल ११ मास राज्य किया था। करते ये भीसाधन हो गये। इनमें बाद नये. महम्मद शाह (य--अगा-उन्न दस्तुर नामक माईन , पुत्र सुलत ( २५) मा दमाद सिक्षामन पर रहें। Bol.x .20