पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/११५

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महम्मद शार साथ सनपुर में पहुंच अपना पेमा गाड़ दिया। पियोंकी दुरी मलाहम पड़ कर बादशाहने वाल नदी "यहाँसे पुलं तोग कोस पर: महम्मद शाह मौजूद था।| किया। 'इस समयं गिनने पर बादशाहको फौजसे सैयद याकुल सम्राटको उन्न कम घो। पैसे दो उनका संगमml हुसैनकी फौज दूनीसे भी अधिक थी। अबदुल हुसैन- मी था। कितने ही निको भीर अवारे भादमी उन. को जीतको पड़ी आशा थी। किन्तु सदा सत्यको हो। फे साथो पन गपे थे। दादगाद उन्होको सुनामदन • जय होती है। गवदुलको मोर फौज अधिशोने पर। मुले रहते थे मोर प्रजाफे दिलर फायमिं उनका दिल ' भी व्ययस्था ठीक न थी, किसी अच्छे सिपहसालारकी नहीं लगता था। फेवल आमोद-प्रमोद और विषय जरूरत थी। सभी सेनापति अपने अपने दल ले कर एक पासनामें चिर लगाये रहते थे। कमी कमी तो अपनी ही साथ युद्ध करने लगे। । येत्या काहनेसे अन्याय करने में जरा भी दिचश्ते न • ' बादशाह महम्मद शाह अपने हाथी पर सवार हो थे। जब तक सैयदोंके अधीन थे, सब तक प्रजाफे रणनमें सिपाहियोंफो ललकारने लगा। लड़ाई हितको वार्ता सुनत और उसो अनुसार कार्य करने की शुरुमें पादशाहफे एफुमसे रतनवादका सर धड़से अलग चेष्टा करते थे। फिन्तु भव पद समय चला गया। यह · कर दिया गया और हाथोफे पैरीके मोचे फेक दिया | स्वतन्त हो गया है। अद उसपो ऊपर को नदी । ऐसा • गया। यह महम्मद शाहके लिये युद्धका मङ्गलाचरण | किसका मजाल है, कि दिल्ली: पादगाद महम्मद हुआ, लड़ाई छिड़ गई। दोनों भोरसे गोलो भीर तोपोंकी | फापेमें वाधा माले। उसका हदय उदार होने पर भी . वर्षा होने लगी। आकाश धुमा मौर तीरोंसे समाच्छन | प्रजाफे दितको चिन्ता करने का समय उसको मिलता हो हो गया, घनघोर लदाई होने लगी। यह देख कितने ही नहीं था। पपोंकि आमोद-प्रमोदमे उसको फरमम ही • अच्छे अच्छे सिपाही माग पडे हए । सैपद पक्षमी नहीं मिलती थी। फौजे. जाति-गौरयको रक्षाफे लिये प्राणपणसे युद्ध रामसिंहासन पर प्रतिष्टिन होने, ठोक पांच य . करने लगी, सारा दिन युद्ध हुमा । अन्तम सैयदों की बाद मजमेरफे रागा अजितमिहने अधीगना पीकार फोजों को जीत हो हो चुकी थी, कि अचानक बादशाह कर ली। महम्मद शाहकी फौजफे कुछ पदादुरोंने सैयद अबदुल हैं वर्ष में निमाम उल मुल्क बादशादपं. ध्यपहारमै सैनको तोप पर कब्जा कर लिया। मबदुल हुसैनकी असन्तुष्ट हो कर चला गया और दक्षिण में जा पर मुमा. माशा निराशा परिणत हुई । हुसैनने भूख प्याससे | रिज उल मुसाको मार फर दाक्षिणात्यका नासम करत

पथित दो कर रात जाग कर ही विताई । दूसरे दिन लगा ।ध्य पर्ष रोहिलोका दमन तथा ये घने पुग्दला

...दोनों ओरको फौजें वीं उत्साहपे साथ युद्ध करने । एतशालफे दमनफे, लिपे मम्मी महन्न पुश्सपाय: लगी। माम मी महम्मद साद बड़े उत्सादसे मपने साय महम्मद का जाना, १२यें पर में महाराष्ट्रनाया . बदादुर सिपादियों को ललकार रहा था। इस तरहको वाजीराय द्वारा मालयाकम्बदार रामा गिरिधरको परा. लड़ाई बहुत दिनों तक चली। जप पीर एवशालका माप देना । १४ये या ममगाई ... . मन्तम सैयद अबदुल हुसैन दार गपा मोर वाद- जपसिदका मालपासोमपेदारी, पाना १ मीर

महम्मद शाहका कैदी बना । वादगाह १८ पत्र में महाराष्ट्रों द्वारा मत्यावारको दिया
दिल्लीमें , भाये और . अपने यहादुर सिपादियोको उनका सयपुर, उदापुर, मारवाट मादि राम्पों में दरार

. माम राम फर पिलयत पक्ष । निजाम उल. मधाना सपा इनके साथ मुगलसैन्यका कमो छनो , मुन्त दक्षिणसे युलापे गये । यही बयार ! मार रावट युक्त हो जाता ! बनाये गये। इसने साम्राज्य सुशासनसे लिये मान मदरमाके मये-नये नियम बनाये, किन्तु उमर पिरो सफे. बाद महाराष्ट्र प्रमाप दिन्नौका साप्रार Vol.XVII27